सदस्य:Mahi Modi/प्रयोगपृष्ठ/स्टैनले मिलग्राम

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मिल्ग्राम का प्रयोग


स्टैनले मिलग्राम[संपादित करें]

जीवनी[संपादित करें]

स्टैनले मिलग्राम का जन्म १५ अगस्त १९५३ मे हुआ था। वह एक अमेरिकन सामाजिक मनोविज्ञानी थे। वह सब्से ज़्यदा प्रसिध्द ' आज्ञकारिक्ता ' प्रयोग के लिए थे, जो विवादास्प्द थ। यह प्र्योग के समय वह येल मे अध्यापक थे। यह १९६० कि बात है। मिलग्राम को इस्कि प्रेरना प्र्लय से मिलि , खास्क्र्र अदोल्फ इछमेन के परीक्षण के समय। हार्वड उनिर्वसिटि से इन्हे प ह दि हासिल हुइ। फिर वह हार्वड, येल के अध्यापक बन गए। अपने पुरे व्यवसाय उन्होने ज़्यादातर सिटि उनिर्वसिटि ओफ न्यु योर्क ग्रडुयट सेन्टर मे हि अध्यापक थे ,जब तक उन्का १९८४ मे देहान्त न हो गया। जब वह हार्वड मे थे उनकि छोटि दुनिया का प्र्योग शोधकर्ताओ को विश्लेषण हद तक सन्युक्त करदि जिस्मे ६ जुदाइ कि संकल्पना भी मौजूद हे। सामाजिक मनोविज्ञान के सबसे जाने-माने ओर प्र्सिद्ध मनोवेज्ञानिक हे। वह ज्वीइश थे। उनका ज्नम न्यु योर्क मे हुआ था। अडेल और सामिउल के बेटे थे जो विश्व युद्ध १ के समय रोमानिया मे रेहने लगे। वह अपने माता-पिता के तीन बच्चो मे से दुसरे औलाद थे। उनकि पत्नि एलेक्ज़ाड्रिया थी। १० दिस्मबर १९६१ मे उनका विवाह हुआ था। उनके २ बच्चे है जिनका नाम मार्क और मिशेल हे। प्रलय मे उनकि बडि रूचि थी।

व्यवसाय[संपादित करें]

उन्होने अपना प्र्योग १९६३ मे जमा किया। पर्ंतु उनकि आवेदन अमेरिकन मनोविज्ञान असोसिश ने १ साल लगाया देने मे उनके आचार-विचार देख के पर फिर उन्हे ज़िंदगी भर कि सदस्यता मिल गइ। १० साल बाद उन्होने आज्ञाकारिक्ता से अधिकार प्र्काशित करा जो बहुत सफल हुआ। १९६४ मे उन्हे अ अ अ स प्राइज़ फोर बिहेवरल साइन्स रिसर्च के मिला। आज के वेज्ञानिको ने ढुंढ निकाला हे की यह बस कभी-कबार ही काम करता हे, खास्कर तब ही जब प्रतिभागियो को लगत हे की ये विज्ञान कि भलाइ के लिए हे। इन सब काल्पनिक एजेंटिक स्थिति के अलावा मिलग्राम ने कुछ ओर कारकों का प्रस्तावित अस्तित्व बताया, जेसे की- शील , वापसी की अजीबता , तकनीकी पहलुओ का अवशोषण , एक चाह की कार्य का अंत चाह के अनुसार हो।

प्रेरणा स्त्रोत[संपादित करें]

मिलग्राम की यह प्र्योग की प्रेरणा नाज़ी जर्मनी की खतर्नाक हादसे से ली गई थी, जिसकी मदद से बहुत सारे सामजिक प्राभाव पडे हे लोगो पर- जेसे की जिस तरह पुलीस एक व्यक्ति से जो गुनाह उसने नहीं किया उसके लिए उसे कबूल करने पे मजबूर कर सकता हे। पर्ंतु यह प्रयोग कइ बार निशाने पे आ चुकी हे। कुछ आलोचकों ने यह भी पुछा की यह क्या सच में विषयो को लगा की यह काल्पनिक घटना हे। कुछ आलोचकों ने यह भी पूछा की क्या समानता हे इस प्रयोग को प्रयोगशाला मे करने मे ओर असल दुनिया मे करने मे। सबसे भयानक आलोचन मे यह भी शामिल था प्रयोग का आचार-विचार।

योगदान[संपादित करें]

६ हद पृथक्करण वाली स्ंकल्पना मिलग्राम द्वारा छोटी दुनिया प्रयोग के माध्यम से जांच् की गइ थी जो अमेरिका मे परिचितों की कडी धुन्ध निकाली। इस प्र्योग मे ओमाहा मे मिलग्राम ने १६० अनजान लोगो को स्ंकुल भेजा ओर उन्हे यह स्ंकुल एक दोस्त जो बोस्टन मे रेहते हे उनको भेजने बोला। सब ही को अगे क्या करना था उसकि सूची उसमे थी। वह बस अपने जान-पेहचान के व्यक्ति को ही भेज सकते थे। कुछ लोग उन सूची को सही से नहिं मान रहे थे और मिलग्राम इस बात की जानकारी रख रहे थे। उनको यह जानके आर्श्चय हुआ यह जानके कि पहली स्ंकुल ४ दिन मे ही पहोंच गई। उनका अंतिम निर्नय यह था कि स्ंकुल को २ से १० लोगो की कडि मे पोहचाया जा सकता हे। इस प्रयोग को कइ लोगों ने आलोचक किया हे। आलोचकों का कहना हे कि कुछ लोगो के स्ंकुल उन्होने सही तरह से पालन नही किया था। मिलग्राम ने एक और तरीका निकाला जिसका नाम था 'खोया पत्र' प्रयोग, इस प्रयोग की यह वोशेषता थी कि लोग कितने माप तक अनजान लोगो की सहायता करते हे और उनका रवेया। कई ब्ंद पत्र जनता स्थलो मे रखे गए। उन्हे अलग-अलग लोगो, कार्यालयो के लिय स्ंबोधित किया गया था। कुछ नामी कार्यालयो को पत्र पोह्चा दिए गए थे पर्ंतु लांछित कार्यालयो को नही। मिलग्राम ने एसे प्रयोग भी किए हे जिनसे हमे सह-स्ंब्ंध मिले मीडिया खपत (टी वी देखना) और असमाजिक व्यवहार। यह प्रयोग पैसे चोरी करना या दान देना या कुछ नहीं और जांच करे की यह सब कार्य कहि मीडीया खपत के कारन तो नही।मिलग्राम एक प्रयोग का स्ंचालन करने लगे जिसका मुख्य लक्ष्य उसके दिमाग-बदन कापोल कल्पित का स्ंचालना करना था। मिलग्राम ने भाषण शॉवर्स को प्रशिक्षित किया ताकि वह वास्तविक समय सहज गद्य सचमे कर पाए।

स्ंर्दभ[संपादित करें]

  1. १) "मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक विकार: शर्तें एक विश्वकोश .." Books.google.com 2015/12/14। पी। 70. संशोधित 2016-05-05
  2. २) डॉ मेगन ई। ब्राडली (1 933-08-15) "स्टेनली मिल्ग्राम" Faculty.frostburg.edu। पुनर्प्राप्त 2016-05-05