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कोटार्ड सिंड्रोम[संपादित करें]

जूल्‍स कोटार्ड

कोटार्ड सिंड्रोम या कोटार्ड भ्रम एक दुर्लभ मानसिक बीमारी है जिस में प्रभावित व्यक्ति भ्रम पूर्ण धारणा रखता है कि वह पहले से ही मर चुका हैं। उसे ऐसा एहसास होता है कि उसका कोई अस्तित्व नही। कभी कभी प्रभावित व्यक्तियों को ऐसा भी प्रतीत होता है जैसे उन में रक्त या महत्त्वपूर्ण आंतरिक अंग नही हैं। इसी कारण वह हर समय ज़बरदस्त तनाव और अनिद्रा में अपने जीवन का गुजारा करते है। इसे वॉकिंग कॉपर्स सिंड्रोम के नाम से भी जाना जाता है। [1]

1788 में, इस बीमारी के बारे में पहली बार पता चला था, जिसके पश्चात फ्रांस के न्‍यूरोलॉजिस्‍ट जूल्‍स कोटार्ड ने 1880 में औपचारिक रूप से इसकी पहचान की थी। इस मानसिक बीमारी की पहचान मस्तिष्क और बादाम के आकार के न्यूरॉन्स के एक सेट के प्रभाव के कारण होती है जो व्यक्ति की भावनाओं का विश्लेषण करती है। कोटार्ड सिंड्रोम से पीड़ित लोग खुद को चोट पहुंचा-पहुंचाकर मार डालते हैं। इस बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कई बार इसके रोगी धन-दौलत, खाने-पीने का समान होते हुए भुख के कारण मर जाते हैं। प्रारंभिक अवस्था मेंं निराशा और आत्म-घृणा के संकेत दिखाई देते है और गम्भीर अवस्था मेंं नकारात्मकता और क्रोनिक डिप्रेशन दिखाई देते है| [2]

कोटार्ड सिंड्रोम के चरण[संपादित करें]

कोटार्ड सिंड्रोम तीन चरणों में पाया जाता है:

(i) जरमिनेशन स्टेज : डिप्रेशन और हाइपोकॉन्ड्रिया के लक्षण प्रकट होते हैं

(ii) ब्लूमिंग स्टेज: सिंड्रोम का पूर्ण विकास और अस्वीकृति के भ्रम (iii) क्रोनिक स्टेज : निरंतर, क्रोनिक डिप्रेशन के साथ गंभीर भ्रम।

संकेत और लक्षण[संपादित करें]

कोटार्ड सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति, व्यक्तिगत स्वच्छता और शारीरिक स्वास्थ्य की उपेक्षा के कारण अन्य लोगों से दूर चला जाता है। स्वयं की अस्वीकृति का भ्रम, रोगी को बाहरी वास्तविकता की भावना समझने से रोकता है, जिसके कारण बाहरी दुनिया का विकृत दृश्य उत्पन्न होता है। कोटार्ड सिंड्रोम में केंद्रीय लक्षण नकारात्मकता का भ्रम है। डिप्रेशन या गेहरे अवसाद और कॉटर्ड भ्रम के बीच गेहरा सम्बन्ध पाया गया है। कॉटर्ड भ्रम के बारे में मौजूदा शोध के अनुसार प्रलेखित मामलों में से 89% में अवसाद एक लक्षण के रूप में शामिल है। अन्य लक्षण जैसे चिंता, दु:स्वप्न,रोगभ्रम भी दिखाई दिए जाते है। [3]

कोटार्ड सिंड्रोम की अंतर्निहित न्यूरोफिजियोलॉजी और मनोविज्ञान, ‘भ्रमपूर्ण गलत पहचान’ अथवा ‘डेलूशनल मिसआईडेंटिफिकेशन’ या ‘स्किड्ज़ोफ्रेनिया’ जैसे मानसिक बीमारीयो से संबंध रखते है। न्यूरोलॉजिकली देखा जाए तो, कोटार्ड भ्रम (स्वयं की अस्वीकृति) को 'कैप्रस भ्रम' अथवा ‘कैपग्रस डेलूशन’ से संबंधित माना जाता है। प्रत्येक प्रकार का भ्रम - मस्तिष्क के फ्यूसिफार्म चेहरे क्षेत्र और अमिगडाले में न्यूरल मिस्फायरिंग के परिणामस्वरूप माना जाता है। कोटार्ड सिंड्रोम आमतौर पर मनोविकृति से पीड़ित लोगों (जैसे कि स्किज़ोफ्रेनिया), न्यूरोलॉजिकल बीमारी, मानसिक बीमारी, नैदानिक डिप्रेशन​​,मस्तिष्क ट्यूमर या माइग्रेन से पीड़ित लोगों में दिखाई देता है। चिकित्सा साहित्य के अनुसार, कोटार्ड के भ्रम की घटना पैरिटल लोब में 'लीजन'से जुड़ी हुई है। [4]

निदान और उपचार[संपादित करें]

डीएसएम-५ (मानसिक विकारों का डायग्नोस्टिक और सांख्यिकीय मैनुअल,५ वां संस्करण) के अनुसार, कोटार्ड भ्रम शारीरिक गतिविधियों या संवेदनाओं को शामिल करने वाले सोमैटिक भ्रम की श्रेणी में आता है। डीएसएम-५ के भीतर कोटार्ड सिंड्रोम के लिए कोई और नैदानिक ​​मानदंड नहीं है, और सिंड्रोम की पहचान नैदानिक ​​व्याख्या पर निर्भर करती है। लेख 'कोटार्ड सिंड्रोम: ए रिव्यू' (२०१०) के अनुसार इस डिसआर्डर मेंं एंटी डिपरेशन, एंटीसाइकॉटिक और मूड को ठीक करने वाली दवाईयाँ मदद करती है। ईलेक्ट्रो कॉनक्लूसिव थेरेपी ऐसी बीमारियों में अधिक प्रभावी साबित हुई है।[5]

  1. https://www.healthline.com/health/cotard-delusion
  2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC2695744/
  3. https://www.healthline.com/health/cotard-delusion#symptoms
  4. https://www.psychologytoday.com/us/blog/in-excess/201410/dead-strange
  5. https://en.wikipedia.org/wiki/Cotard_delusion