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Hareeshbk1840246
[[File:Tejaswi||पूर्णचंद्र तेजस्वी]]
पूर्णचंद्र तेजस्वी
नाम पूर्णचंद्र तेजस्वी
लिंग पुरुश
जन्म तिथि ८ सेप्तेम्बेर १९३८
जन्म स्थान कुप्पलि गाव के शिमोग जिला
देश  भारत
नागरिकता भारतीय
शिक्षा तथा पेशा
पेशा कवि
शौक, पसंद, और आस्था
पुस्तक कादिना कथेगलु, पाका कृन्थि मथु इतरा कथेगलु आदि

पूर्णचंद्र तेजस्वी[संपादित करें]

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

कुप्पली पुट्टप्पा पूर्णचंद्र तेजस्वी जी एक कन्नड लेखक,उपन्यासकार,फोटोग्राफर, चित्रकार और पर्यावरणविद थे। वे ८ सेप्तेम्बेर १९३८ मे कुप्पलि गाव के शिमोग जिला मे जन्म लिया। वे रस्त्रकवी कुवेम्पु के बेटा थे। महाराजा कॉलेज मे शिक्षा पूरी कर ने के बाद उसका रुचि प्रकृति और खेती पर बदली। वह प्रकृति के बारे में जानने वाले थे और उनका पसंदीदा शगल पश्चिमी घाटों के जंगलों में घूमना था। उसका शादी रजेश्वरि से हुही। उनकी दो बेटिया हैं जिनका नाम सुस्मिता और एशनेवे है। अपने लेखन करियर के शुरुआती चरणों में, तेजस्वी ने कविताएँ लिखीं, लेकिन बाद में लघु कथाओं, उपन्यासों और निबंधों पर ध्यान केंद्रित किया। पूर्णचंद्र तेजस्वी की लेखन की एक विशिष्ट शैली है जिसने कन्नड़ साहित्य में एक नए युग की शुरुआत की है।

साहित्यिक कार्य[संपादित करें]

तेजस्वी ने साहित्य के लगभग सभी रूपों में लिखा है, जिसमें कविताएँ, लघु कथाएँ, उपन्यास, यात्रा साहित्य, नाटक और विज्ञान शामिल हैं। उनके अधिकांश कार्य प्रकृति से संबंधित हैं। वे कन्नड के प्रमुक लेखक थे। करवालो एक ऐसा उपन्यास है जहाँ लेखक पश्चिमी घाट के घने जंगलों में उड़ती हुई छिपकली की खोज के साहसिक कार्य में भाग लेते हैं। वे ज्यदा अंग्रेज़ी किताबो को कन्नड मे अनुवाद किया।उनके प्रसिद्ध अनुवादों में केनेथ एंडरसन के शिकार अभियानों और हेनरी चारिएर के पैपिलॉन पर श्रृंखला शामिल है। जब उन्होंने २४ साल की उम्र में अपना पहला नौसिखिया लिखा जिसका नाम कादु मटू क्रौर्य। कर्नाटक के वनाच्छादित मलनाड क्षेत्र में अपनी पत्नी राजेश्वरी के मायके में जाकर तेजस्वी को उपन्यास लिखने की प्रेरणा मिली।

तेजस्वी द्वारा लिखे गए कुछ उपन्यास कडु मट्टू कौर्य हैं, निगुदा मानुष्यारु,चिदम्बरा रहस्या,जुगरी क्रॉस,मलयोका - १ आदी। तेजस्वी द्वारा लिखी गई कुछ लघुकथाएँ हैं, हुलियूरिना सराहहदु,अबचुरिना पोस्ट ऑफिस,किरगुरीना ग्यालीगलु,पाकरकार्थी मट्टू इतरा कठेगलु आदी।

पुरस्कारो[संपादित करें]

तेजस्वी को कन्नड़ साहित्य के प्रति उनके अंतहीन योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले हैं जैसे "चिदम्बरा रहस्या" के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार (१९८७), लाइफटाइम अचीवमेंट के लिए कर्नाटक साहित्य अकादमी मानद पुरस्कार (१९८५), पम्पा अवार्ड (२००१), राज्योत्सव पुरस्कार, "साहित्य" के लिए कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार, "चिदम्बरा रहस्या" के लिए कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार, कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार "किरगुरिना ग्यालीगलु" के लिए, "अलेमरिया अंडमान मट्टू महानदी नील" के लिए कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार, "तबराना काटे" के लिए सर्वश्रेष्ठ कहानी १९८६-८७ के लिए कर्नाटक राज्य फिल्म पुरस्कार आदी मिला हैं।


कर्नाटक राज्य के चिकमगलूर जिले में मुदिगेरे के उनके फार्म हाउस निरुतारा में कार्डियक अरेस्ट से उनकी मृत्यु हो गई, 5 अप्रैल 2007 को लगभग दोपहर 2.00 बजे।

संदर्भ[संपादित करें]

[1]

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Poornachandra_Tejaswi