सदस्य:Brundha sk/साख निर्माण

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सेट्रल बैंकं अफ इनडिया
                                                     ==साख निर्माण==

अर्थ[संपादित करें]

साख निर्माण वाणिज्यिक बैंको का एक महत्वपूर्ण कार्य हैं। इन व्यवसायों का साधारण क्रम यह है की बचतकर्ता से पैसा जमा करवा कर उसे बाद में अपेक्षित जनता को उधार के रूप में पैसे देते हैं। जब बैंक ऋण अग्रिम करवाते है तब पैसे के रूप मे रकम नहीं बताने पर उसकें बदले में जनता के नाम से एक खाता बनवा कर उस से जब चाहें तब वापस करने का अनुमति देतें हैं। वो भी चेक के रूप में इस तरह एक बैंक साख या जमा करवातें हैं। जब कोइ व्यक्ति को माल या सेवाएं खरीदना हैं तब वो पैसे के रूप में उस उपयोग कर सकता हैं।

बैकों में जमा करवाने का दो प्रकार[संपादित करें]

*मिक जमा[संपादित करें]

जब कोइ व्यक्ति बैक्ं में पैसा जमा करता हैं तब उसके खाते में उसी क्षण पैसे भारवा दिया जयेगा। और बैक्ं का यही कर्तव्य हैं की जब कोइ ग्राहक उन पैसे क मांग कारेगा तब उस कर्ज कों पूर्ण करना पढ्ता हैं। उतना ही नहीं वो ग्राह्क जब चाहैं तब अपनी खाते से पैसें वापसी करवा सकता हैं। इस तरहा जब पैसें जमा करवातें हैं उस तरीके को प्राथमिक जमा कहतें हैं। इस जमा करवानें का उपक्रमण जनता का काम हैं । इस तरह बैंकिंग प्रणाली के लिए प्राथमिक जमा करवानें के तारीकें से नकदी लाना पढता हैं।

*व्युत्न्न जमा[संपादित करें]

जमाकर्ता ओं से प्राप्त नकद को उपयोग करकें बैक्ं अनुदान व्यवसायियों को अग्रिम या संपति जैसें की बिलं, बांड आदि बाजार से खारीदवात हैं। जब भी एक बैंक ऋण अनुदान या परिस्ंपति खरीदवता हैं आमतौर पर भुगतान नहीं करता हैं। बजाय नकद भुगतान की, बैंकर वास्तव में ऋण लेने वाले के खाते में ऋण की देते हैं। इस प्र्कार, ऋण लेने के लिए एक बैंक के खिलाफ एक दावा बस के रूप में वह पैसे की राशि जमा की है प्राप्त कर लेता हैं। इन जमा प्राथमिक जमा से प्राप्त कर रहे हैं और इसलिए वे व्युत्पन्न जमा के रूप में जाना जाता हैं।

क्रेडिट के कइ सृजन[संपादित करें]

साख निर्माण करने का विभिन्न तरीकें हैं।

===*ऋन और अग्रिम===अबैंकों ने व्यापारीयों को ऋण और अग्रिम के माध्यम से ऋण, ओवरड्राफट, साख निर्मान जैसे सुविधाए उपलब्ध करवातें हैं।जब कोइ बैंक ऋण या ओवरड्राफट का स्वीकृति देते हैं तब् वो रकम उस ग्राहक के खाते मे प्रावेश कर दिया जाता हैं। और उस व्यक्ति जब चाहें तब अपनि खाते से जितना चाहे उतना रकम चेक के माद्ययम से अनुमति पाने पर निकाल सकता हैं। इस प्रकार बैंक उधार लेने वाले के नाम पर एक जमा बनाते हैं। बैंक इस तरहा अधिक ऋण और जमा करने से अधिक ऋण बना सकते हैं।

*मांग और अल्प सूचना पर प्रतिदेय राशि[संपादित करें]

काल्ँ और कम समय में पैसो को सट्टेबाजी या शेयर दलालों में कम अवधि जैसे कि २४ घ्ंटे से दो य तीन दिनों तक दिया जाता हैं। बैंक रशेयर दलालों या सट्टेबाजों के खातों मे क्रेडिट सुविधान प्रादान कर रहे है और उनहें राशि आकर्षित करने के लिए अनुमति देता है।

*बिलों की छूट[संपादित करें]

जब एक बैंक ९० दिन या उससे कम समय की एक छोटी अवधि के लिए एक ग्राहक के आदान- प्रदान का बिल छूट करवाता हैं जिससे बिल की राशि ग्राहक जो यक् चेक के माध्यम से निकाल लेते है। जो खाते मे जमा किया जाता है। या, यह् अपने आप पर एक चेक के माध्यम से राशि का भुगतान करती हैं। दोनों ही मामलों मे, बैंक एक जमा विनिमय बिल की राशि के बराबर बनाता हैं।

*पूंजी निवेश[संपादित करें]

एक वाणिज्यिक बैंक भी सरकारी बाँनड डिबेंचर के शेयरों की तरह प्रतिभूतियों में निवेश करने से एक जमा बनाता हैं। जिसका एक लबां जीवन हैं। और एक बैंक अपने आप पर चेक के द्वरा बांड का रकम बरकें सेंट्रल बैंक मे भुकतान करवा देता हैं। अगर यह शेयर बाजार से बांड या डिबेंचर खरीदता है, विक्रेताके खाते में रकम बर दिया जाता हैं। पर किसी भी मामले मे,जमा या तो इस बैंक में या किसी अन्य बैंक में बनाए जाते हैं।

क्रेडिट् निर्माण का जरूरत[संपादित करें]

  • व्यावसायिक बैंक को क्रेडिट के कारखानों से बुलाया जाता हैं
  • व्यावसयिक बैंक जमा के रूप में लोगों से इकट्ठे किए पैसों से तुलना मे अधिक अग्रिम करवातें हैं।
  • साख निर्माण की प्रक्रिय के सभी क्षेत्रों के लिए विक्त उपलब्द कराने के लिए उन्हें पहले की तुलना में अधिक विकसित कर रहि हैं।

क्रेडिट निर्माण का सीमाएँ[संपादित करें]

*नकदी की राशि[संपादित करें]

क्रेडिट बनाने की शक्ति बैंकों द्वारा प्राप्त नकदी पर निर्भर करता है। बैंकों की अधिक ऋण बना सकते हैं।

===*ध्वनि प्रतिभूतियों एक बैंक,ध्वनि और लाभदायक स्ंपति प्राप्त करने की प्रक्रिया में क्रेडिट बनाता बिल और सरकारी प्रतिभूतियों कि तरह करते हैं।

*त्तरलता वरीयता[संपादित करें]

अगर लोगों को उनके पैसे अपने आप् के साथ रकने का इच्छा हो जाएतों तब बैंक के क्रेडिट बनाने का शक्ति पकडं कम हो जाता हैं।

*केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति[संपादित करें]

साख निर्माण की हद ज्यादा से ज्यादा एक देश के केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति पर निर्भरीत हैं। केंद्रिय बैंक स्ंचलन में पैसे की मात्रा को प्रभावित करने की शक्ति है और इस के माध्यम से यह बैंकों द्वारा बनाई गई ऋण की मात्रा को प्रभावित कर सकता हैं।

*नकद आरक्षित अनुपात[संपादित करें]

सभी जमा सखा निर्माण के लिए इस्तेमाल नाहीं किया जा सकता। बैंकों रिजर्व के रूप में नकद में जमा राशि का कुछ प्रतिशत रखना चाहिए।

संदर्भ[संपादित करें]

http://www.economicsdiscussion.net/banks/commercial-bank-definition-function-credit-creation-and-significances/607
http://www.indianmba.com/Occasional_Papers/OP217/op217.html