सदस्य:Brundha sk
ब्रुन्दा बी एस | |
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जन्म | कोलार जिला का मुलबागल |
राष्ट्रीयता | भारतवासी |
शिक्षा | बी.कॉम |
पेशा | विध्याभ्यास |
परिचय
[संपादित करें]मेरा नाम ब्रुन्दा बी एस है। और मेरा जन्म १९९७ सन को कर्नाटक के कोलार जिले में हुआ था। अब मैं बैंगलोर के क्राइस्ट विश्वविद्यालय नामक एक प्रसिध्द कालेज में बी.कॉम कर रही हू्ँ। अपने बारें में शुरू करने से पहले अपनी परिवार के बारे में कुछ् बताना चाहती हूँ। हमारे परिवार मे कुल ४ सदस्या रहते हैं। सब से पेहले मेरी पूजनीया पिताजी जिससे में बहूत प्रेम करती हूँ। उनका नाम है शिव कुमार और वे एक व्यापारी है अब कि बारी है मेरी माताजी का उनका नाम है आरती और वो घर् ग्रुह्स्थि को समाल ते है। और मेरी घर् की तीसरी सदस्य हैं मेरा छोठा भाई शरन वो अब ९वीँ कक्षा में पढ़ रहा है । मुझे अपना भाई बहुत पसंद है। हम दोनों मिलकर बहुत मस्ती करते है। मेरा परिवार कोलार में रहता है।
विध्याभ्यास
[संपादित करें]अब मे अपनी शिक्षा के बारे में कुछ बताना चाहती हूँ। मेरी प्राथमिक शिक्षा ज्ञान ज्योती शाला से हुई। जहा मेनें बहुत कुछ सीखा और नए दोस्त बनाए। इतना ही नहीं मेरे शिक्षको से ढ़ेर सार प्यार मिला। मेरी शाला के बारे मे और कहना है तो मैं यह बता सकती हूँ की वहाँ मेनें बहुत अच्छी शिक्षा पाई और वहाँ के अध्यापको ने हमें अच्छे संस्कार सीखाए हैं जीससे मे अपनी ज़िन्द्गी जीना सीखा हैं। और मेने द्स्वी कक्षा मे अच्छे अकों से पास होकर आगें की पढाई के लिए कोलार के दिक्षा कालेज में दाखिला हूई। इस कालेज से मेरी बहूत सारे अच्छी यादें जुड़ी़ हैं मेने तो बहूत सारी पाठयेतर कार्यक्रमों में भाग ली जैसे की साहित्य, नाच-गाना , चित्र बनाना, भाषण देना आदि। और इस के बाद मैने खेलकूदो में भी भाग लिया मेरे सबसे पसंदीदा खेल टेबल टेन्नीस हैं जिसमे मेने बहूत सारे प्रात्योगीता मे भाग लिया है और सीलवर मैडल जीता था। इसके आगे मेने बहूत सारी कालेज मेंतिरछे अक्षर अपनी काला को प्रदर्शित किया था। एक बर मेने अपनी कालेज की दोस्तो के साथ "वोन्देर ला" गई थी । उस जगाह् पर हम कूब सारी मस्ती की जिसे में कभी नहीं भूल सक्ती वो सब बहूत ही यादगार और मीठे पल थें। और उस दिन मेने एक फैइव स्टार होतेल् मे खाना खाया वो खाना बहूत ही स्वादिष्ट था। और अंतिम में हम सब दोस्त गले लगाकर रोए पर हमे खूशी था की उस दिन हम हमरे साथ बहूत सारे यादों को लेकर जा रहे थे। मुझे अपनी माता पिता के साथ सामय बीताना अच्छा लगता है। मेरा रुछी है गाना गाना जिसे मुझे सुखून मिलती है जब भी में अनिच्छुक होति हू तब मे गान गा लेति या सून लेति तो मुझे खूशि होति ।
शौक
[संपादित करें]है और उतना ही नहीं कभी- कभी मेरी माँ के साथ खाना बानाने मे मद्द करती हूँ । पिता जी के साथ उनकी व्यापार सिख रही हू । मेने अपनी १३ साल मे " अब्बकस " नामक एक कोरस भी किया है जिस मे मेने गोल्डेन मेड्ल जीता है । कभी कभार उपन्यास और विज्ञान सब्ंधित किताबें पढ़ लेति हू । और आगे जाकर मुझे कुछ बनना है मेरा लक्ष्य है की आगे जाकर अपनी सी एस की पढाईं क्त्म करके एक अच्छी सी नौकरी ढूँढना चाहता हूँ। ,
पसंद
[संपादित करें]मुझे फ़ि़ल्म देखना पसंद है और मे ज़्यादा से ज़्यादा अंग्रेज़ी़ फिल्म देखती हूँ। मेरी परिवार के साथ और दोस्तो के साथ बाहर घुमने चाली जाति पर अब मे अपने परिवार से दूर रहती हू बैगलूर शेहर मे कारण मेरी आगे की पढाई की वजह से और् 'पी जी' मे रहती हूँ ताकि मैं आत्मनिर्भर बन पाँऊ, अपने काम खुद कर सकूँ। मे काम पर विश्र्वास करती क्योकि काम करना भागवान को पूजा करने की समान होता हैं। मुझे प्रेरित करने वाला व्य्क्ति है "कल्पना चावला" उनकि कहानी सुनकर मुझे अपनि जीवन मे कुछ अच्छा करने का मन करता है और आगे बढ्ने की प्रेरणा मिलती हैं। इसी तरह विकिपीडीया ने भी मुझे प्रेरणा दी है जिससे मैने बहुत कुछ सीखा है। इसी तरह आगे जाकर विकिपीडीया सबकी सहायक दारी और प्रेरणा बनकर रहने का आशा करता हूँ