सदस्य:Bhadra18/प्रयोगपृष्ठ/1

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चाक्यार कूत[संपादित करें]

चक्यार कूत् केरल की एक प्रदर्शन कला है। यह मुख्य रूप से अत्यधिक परिष्कृत एक्ता का एक प्रकार है जहां कलाकार हिन्दु महाकाव्यों ( जैसे रामायण और महाभारत ) और पुराणो की कहानियों से कडियों का वर्णन करता हैं। कभी-कभी यह आधुनिक स्टैंड-अप कॉमेडी अधिनियम का एक पारंपरिक बरबर भी है, जिसमें मौजूदा समाजिक-राजनीतिक घटनाऔं ( और दर्शकों के सदस्यों को निर्देशित व्यक्तिगत टिप्पणियों ) पर टिप्पणी शामिल है।

प्रदर्शन[संपादित करें]

"कूथु" का मतलब नृत्य है, जो कि एक मिथ्या नाम है, क्योंकि चेहरे के भाव पर जोर दिया जाता है और इसमें न्यूनतम नृत्यकला हैं। यह कूतम्बलम में किया जाता है, जो कुट्टियाटम और चाक्यारकूत जैसे कला रूप को प्रदर्शित करने के लिए विशेश रूप से हिन्दु मन्दिरों में बनाये हुए हैं। यह कला रूप त्योहरों के साथ संयोजन में होता हैं, जिसे अबम्बलवासी नम्बियार के साथ चाक्यार समुदाय के सदस्य के द्वारा प्रस्तुत किय जाता हैं। यह प्रदर्शन कला एक अकेले प्रदर्शन कला हैं। इसमें, कथावाचक एक विशिष्ट हेडगियर पहनते है और एक काला मूछ काले रंग से बनाते हैं। वह अपने पूरे बदन में चन्दन पेस्ट लगाते हैं और उसके ऊपर लाल रंग के दोट्स बनाते हैं। हेडगियर एक सांप की सिर जैसा लगता हैं जिसका प्रतीक है कि इस कथा हज़ार प्रमुख सर्प द्वारा बताया गया हैं। चक्यार संस्कृत शैली चम्पु प्रबंदा के आधार पर सुनाते हैन। चम्पु प्रबंदा गध्या और श्लोक क मिश्रण है। यह प्रदर्शन मंदिर के देवता की प्रार्थना से शुरु होता है। पहले वह एक कविता को संस्कृत मे समझाते है और फिर वह इसी कविता को मलायालाम मे समझाते है। कथन वर्तमान घटनाओं और स्थानीय स्थितियों के सात समानताएं बनाने के लिये बुद्धि और हास्य का उपयोग करता है। पारंपरिक रूप से 'कूत' को चक्यार समुदाय द्वारा ही प्रदर्शन किया जया है। प्रदर्शन के साथ दो संगीत उपकरण का उपयोग भी करता है - एक मिऴव और एक जोडी इत्तालाम। यह नांग्यार कूत से अलग है जो नंग्यार नामक महिलओं द्वारा किया गया है जो नंब्यार समुदाय की सदस्य है।

मनी मधवा चक्यार[संपादित करें]

यह एक नट्यैचार्य था अथार्थ एक महान शिक्षक और एक नाट्यम के व्यवसाय उनके सम्मान में दिए गए शीर्षक पद्म श्री मनी माधवा चक्यार जो इस कला के गुणगुण थें, जो आम लोगों के लिए मन्दिरों के सामने कूत और कूडियाट्टम ले गए थे। वह पहली इनसान था जो आल इन्डिय रेडियो और दूरदर्शन के लिए चक्यार कूत कि प्रदर्शन किए। बहुत सी लोग उन्हे आधुनिक समय का सबसे बडा चक्यार कूत और कूडियाट्टम कलाकार मानते है। कहानी कहती है कि उनके गुरु राम वर्मा परिक्षिथ थम्पुरान ने एक प्राफ्लाद्चिरिता नामक एक संस्कृत शंख प्राबंध को लिखा है और कुछ वरिष्ठ कलाकारों से अध्ययन करने और उसे करने के लिए अनुरोध किया है, लेकिन उन्हें यह करना असंभव है। यह तब कि बात थी जब छोटे मनी माधव चक्यार की कोशिश की बारी थी। उन्होने सहमति व्यक्त कि और रात भर प्राबंध क एहक हिस्सा अध्यायन किया और अगले दिन इसे त्रिपुणिथरामें किया, फिर कोचिन रज्य की रजधानी। इस घटना ने स्ंस्कृत और शास्त्रीय कला रूपों दोनों कि अपनी क्षमता को साबित कर दिया। कुछ महीनों के बात , उन्होने एक ही महीने में उन्होने पूरे प्रह्लाग चरित्र का प्रदर्शन किया। देर से अम्मनूर माधव चक्यार और दर्द्कुलाम रमन चक्यार इस कला के रूप में २० शताब्दी की एक और महत्त्वपूर्ण भूमिक थी।

वेशभूसषा[संपादित करें]

चक्यार अपने सिर पर एक हेडगियर पहनता है। वेशभूषा एक न्यातयालय की जेस्टेर कि तरह है। चेहरे कि मेक अप चावल पौडर, हल्दी पौडर और काला पौडर से किया जाता है। वह एक कान मे एक आभूषण पहनते है और दूसरे कान में एक पतलून पहनता है।

प्रसिद्द कलाकार[संपादित करें]

कलामन्डलम शिवन नंबूदिरी, मनी दामोदरन चक्यार,पि के नारायणन नंबूदिरि, कपिला वेणु, मणि दामोदरा चाक्यार आदि चक्यार कूत के सबसे प्रसिद्ध कलाकार है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

[1]

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Chakyar_koothu