सदस्य:Arshiya zamani(1410132)/प्रयोगपृष्ठ

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कार्य विश्लेषण तथा कार्य अभिकल्पन[संपादित करें]

किसी भी संस्था की सफलता के लिये यह आवश्यक होता है की, उस संस्था में किये जाने वाले हर कार्य का 'विश्लेषण' और 'अभिकल्पन' सही तरीके से किया जाये। 'कार्य विश्लेषण' को 'नौकरी विश्लेषण' भी कहा जाता है। कार्य विश्लेषण में कई प्रकियाएँ होती हैं, जो किसी भी कार्य की सामग्री के सन्दर्भ में, उस कार्य की विशेष्ताओं या गतिविधियों की पहचान करने के लिये आवश्यक हैं। कार्य विश्लेषण संगठनों को कार्य के बारे में जानकारी प्रदान करता है और उन्हें हर कार्य के लिये एक अच्छे कर्मचारी को निर्धारित करने में सहायता प्रदान करता है। कार्य विश्लेषण के माध्यम से विश्लेषक, अन्य कार्यों के महत्वपूर्ण उपदेशों को समझकर, उन कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिये आवश्यक तरीकों की सूच्ना प्रदान करता है। कार्य विश्लेषण की प्रक्रिया में, 'अवलंबी के कार्यों', 'कार्य की प्रकृति और उसकी परिस्थितियाँ', और अंत में कुछ बुनियादी योग्यताओं का वर्णन; विश्लेषक द्वारा किया जाता है। कार्य के विश्लेषण के बाद उसका 'अभिकल्पन' किया जाता है, जिसमे कार्यों की 'सामग्री', 'तरीकों' और 'संबंधों' का विवरण किया जाता है, ताकी वे किसी भी कर्मचारी की तकनीकी और संगठनात्मक आवश्यकताओं के साथ-साथ सामजिक और व्यक्तिगत आवश्यकताओं को भी पूरा कर सकें। कार्य अभिकल्पन का उद्देश्य है: 'कार्य से संतुष्टि पैदा करना और कार्य से संबंधी समस्याओं को दूर करना'।

कार्य विश्लेषण के तरीके[संपादित करें]

विशेषज्ञों ने कार्य विश्लेषण के लिये कई अलग-अलग प्रणालियों और तरीकों को प्रस्तुत किया है। इन्में से कई तरीके उपयोगता में नहीं हैं।कार्य विश्लेषण के कुछ प्रसिध्द और नये तरीके इस प्रकार हैं:

  • अवलोकन: यह कार्य विश्लेषण के लिये मनोवैज्ञानिकों द्वारा इस्तेमाल किया गया पहला तरीका था। इस प्रक्रिया में केवल अवलंबियों को कार्य करते हुए देखा जाता है और ज़रूरी बातों को नोट किया जाता है। कभी-कभी उन अवलंबियों से सवाल भी पूछे जाते हैं और आम तौर पर विश्लेषक खुद वह कार्य करते हैं। जितनी गंभीरता के साथ किसी कार्य का अवलोकन किया जाता है, उतनी ही सरलता से उस कार्य की समझ बड जाती है।
  • साक्षात्कार: अवलोकन की तकनीक को साक्षात्कार से अनुपूर्ण करने के लिये यह आवश्यक है कि, अवलंबियों के साथ बात की जाए। साक्षात्कार तभी प्रभावी होता है जब, उसे विशिष्ट सवालों के समूह के साथ कार्यान्वित किया जाता है।
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  • आलोचनात्मक घटनाएँ और कार्य जंत्री: इस तकनीक में विषय-विशेषज्ञों को आलोचनात्मक घटनाओं के उन महत्वपूर्ण पहलुओं को पहचानना होता है, जिनकी वजह से कार्यों में सफलता या विफलता प्राप्त होती है। दूसरी विधि, कार्य जंत्री, में कार्यकर्ताओं को एक निर्धारित अवधि के लिये अपनी गतिविधियों की एक कार्य पंजी का संधारण करने के लिये कहा जाता है। कार्यकर्ताओं से कहा जा सकता है कि वे, अपने उस कार्य के बारे में लिखें जो उन्होंने कुछ देर पहले किया है, या उन्हें अपने द्वारा किये गये हर कर्य के बारे में लिखने के लिये कहा जा सकता है।
  • प्रश्नावली और सर्वेक्षण: पर्यवेक्षक अक्सर कार्य विश्लेष्ण के एक भाग के स्वरूप प्रश्नावलियों और सर्वेक्षणों का प्रत्युत्तर देते हैं। इन प्रश्नावलियों में कार्यकर्ताओं के व्यवहार; कार्य कथन के रूप में सम्मिलित होते हैं। प्रश्नावलियों के परिणामों को सांखिकीय रूप से भी जाँचा जा सकता है। काफी हद तक, इन प्रश्नावलियों और सर्वेक्षणों को इंटरनेट पर प्रकाशित किया जा रह है।
  • स्थिति विश्लेषण प्रश्नावली: यह कार्य विशलेषण के लिये सबसे जाना-माना साधन है। इसे प्रश्नावली माना जाता है, हालांकि वास्तव में इसे एक प्रशिक्षित कार्य विश्लेषक द्वारा पूरा किया जाता है। इस तकनीक में 'कार्य की वैधता' ही, अच्छे कार्य प्रदर्शन और परीक्षण संख्या के बीच का संबंध है।
  • जाँच सूची: जाँच सूची को विशिष्ट रूप से 'वायु सेना' जैसा क्षेत्रों में, एक कार्य विश्लेषण पध्दति के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अवलंबी, उन कार्यों की जाँच करता है, जो वह प्रदर्शित करता है और जो उसके पद का विवरण करते हैं।

कार्य अभिकल्पन की तकनीकें[संपादित करें]

Job Description Management
  • कार्यवर्तन: कार्य वर्तन, कार्य अभिकल्पन की एक ऐसी तकनीक है, जो कर्मचारियों की प्रेरणा बढाती है, उनके दृष्टिकोण का विकास करती है, उत्पादकता बढाती है और विचार, क्षमताओं और कौशल में सुधार करने के लिये नये अवसर प्रदान कर्ती है। कार्य वर्तन एक ऐसी भी प्रक्रिया है जिसके द्वारा कर्मचारी विभिन्न संगठनात्मक स्तरों पर अपनी सेवा प्रदान कर सकते हैं।
  • कार्य का इज़ाफा: यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो कर्मचारियों को अपनी गति का निर्धारण करने के लिये, अपनी गलतियों को सुधारने के लिये, गुणवत्ता नियंत्रण के लिये, स्वयं के निरीक्षकों के रूप में काम करने के लिये और विधि के चुनाव को पाने के लिये अनुमति प्रदान करता है।
  • कार्य संवर्धन: कार्य संवर्धन, कर्मचारियों को अपने काम की योजना और निष्पादन करने के लिये कर्मचारियों की स्वयत्तता को बढाता है। कर्मचारियों को स्वयत्तता प्रदान करना ही 'नौकरी संवर्धन' का एक ऐसा लाभ है, जो 'नौकरी के इज़ाफे' के लाभों से विपरीत है।

कार्य विश्लेषण द्वारा प्रदान की गई जानकारी के उपयोग[संपादित करें]

  • भरती और चयन: कार्य विश्लेषण, नौकरी की ज़रुरतों को और उस नौकरी की गतिविधियों को पूरा करने के लिये आवश्यक मानवीय विशेष्ताप्ं की जानकारी प्रदान करता है। नौकरी के विवरण और उसकी विशिष्टताओं के रूप में दी गई यह जानकारी, प्रबंधकों को यह तय करने में मदद करती है कि, उन्हे किस प्रकार के लोगों का चयन करना चाहिये।
  • मुआफज़ा: नौकरी विश्लेषण द्वारा प्रदान की गयी जानकारी, हर काम के मूल्य या उसके मुआफज़े का उचित आकलन करने के लिये महत्वपूर्ण है। आम तौर पर, मुआफज़ा; कार्य करने के लिये आवश्यक 'कौशल', 'शिक्षा का स्तर', 'ज़िम्मेदारी', और 'कार्य से संबंधी खतरों' पर निर्भर करता है। इसके अलावा कई नियोक्ताओं ने कार्यों को अलग-अलग वर्गों में समूहित किया है। कार्य विश्लेषण, हर काम के उचित मूल्य और उसके उचित वर्ग को निर्धारित करने में सहायता प्रदान करता है।
  • प्रदर्शन का मूल्यांकन: यह हर एक कर्मचारी के वास्तविक प्रदर्शन के मानकों के साथ करता है। कार्य की विशिष्ट गतिविधियों और प्रदर्शन के मानकों को जानने के लिये, कार्य विश्लेषण, प्रबंधकों की सहायता करता है।
  • प्रशिक्षण: नौकरी का विवरण, कार्य को करने के लिये आवश्यक गतिविधियाँ, विश्लेषण द्वारा बताता है।
  • न सौंपे गये कर्तव्यों की खोज: कार्य विश्लेषण; 'न सौंपे गये कर्तव्यों' को प्रकट करने सहायता करता है।[1][2][3]

सन्दर्भ[संपादित करें]