सदस्य:Anna Serene Boby/प्रयोगपृष्ठ/1
इतिहास
[संपादित करें]मलयालम भाषा जिसे हम आज जानते हैं, वो महान कवि तुंजत्त एज़ुत्तच्चन के प्रभाव से विकसित हुआ हैं और वो भी १६ वीं शताब्दी। मूल रूप से मलयालम भाषा शुद्ध तमिल की एक स्थानीय बोली जैसे थी। मलयालम भारत के प्रसिद्ध भाषाओं में से एक हैं। १८ वीं शताब्दी के भोर से मलयालम साहित्य अपने पूर्ण खिल में था। मलयालम एक मधुर भाषा है जिसे कई जगहों पर बोली जाती है और यह भाषा एक द्राविड भाषा भी है जिसे भारत में बोली जाती है, मुख्य केरल राज्य में। माना जाता है कि मलयालम का जन्म ६ वीं शताब्दी में मध्य तमिल (सेन-तमिल) से हुआ था। मलयालम केरल की आधिकारिक भाषा है। यह भारत की २२ अनुसूचित भाषाओं में से एक है और इसे २०१३ में भारत में शास्त्रीय भाषा के रूप में नामित किया गया था। मलयालम को केरल राज्य, लक्ष्द्वीप और पुदुचेरी के केंद्र शासित प्रदेशों में आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला है। यूनेस्को की भाषा अनुसूची के अनुसार, मलयालम की स्थिति स्वतंत्र लिपि और साहित्य के संदर्भ में २६ वें स्थान पर है।
उत्पत्ति
[संपादित करें]मलयालम बहुत सारे लोगों की मातृभाषा है। मलयालम भाषाओं के द्रविड़ीयन परिवार का है। मलयालम की उत्पत्ति विद्वानों के बीच विवाद का मामला है। मलयालम शब्द लिखने के लिए इस्तेमाल की गई सबसे पुरानी लिपि वट्टलुत्तु वर्णमाला थी और बाद में कोलेज़ुत्तु, जो इसी से उत्पन्न हुआ था।
आरंभिक विकास चरण
[संपादित करें]वर्तमान मलयालम लिपि वट्टलुत्तु लिपि पर आधारित है। कुल ५२ पत्रों के साथ मलयालम, भारतीय भाषा की आत्मकथाओं में अधिकतर अक्षर वाली भाषा मानी जाती है। मलयालम में सबसे पुराना साहित्यिक काम ९ वीं और ११ वीं शताब्दियों के बीच दिनांकित है। किसी भी भरतीय भाषा में पहला यात्रा वृत्तांत है मलयालम के वर्तमानपुस्तकम। "मलयालम" शब्द मलयालम शब्द "मलाइ" या "माला" से आया है जिसका अर्थ है "पहाड़ी", और एलाम जिसका अर्थ है "क्षेत्र"। मलयालम इस प्रकार से "पहाड़ी क्षेत्र" के रूप में सीधे अनुवादित है। मलयालम को "मलय" भाषा के साथ भ्रमित नहीं होना चाहिए क्योंकि "मलय" मलेशिया में बोली जाती है। एतिहासिक रूप से, भाषा के लिए मलयालम वक्ताओं द्वारा उपयोग की जाने वाली शब्द ही मलयन्मा या मलयायमा थी जिसका अर्थ है "मलयालम राष्ट्र की भाषा"।
भाषा का अन्य नाम
[संपादित करें]मलयालम भषा को अन्य राज्यों में कई नामों से जाने जाते हैं। मलयालम भाषा को वैकल्पिक रूप से एलालुम, मलयालनी, मलयाली आदि भी बुलाया जाता है। आम तौर पर आयोजित विचार यह है कि मलयालम तमिल की पक्ष्चिमी तटीय बोली थी और ९ वीं और १३ वीं शताब्दियों के बीच कुछ समय में तमिल से अलग हुआ।
प्रसिद्धि
[संपादित करें]मलयालम भाषा इतना प्रसिद्ध है कि यह सिर्फ भारत में ही नहीं बल्की अन्य देशों में भी बोला जाता हैं। मलयालम कुछ श्रीलंकाई तमिल बोलियों के समान है, और इन दोनों को अक्सर देशी भारतीय तमिल वक्ताओं द्वारा गलत समझा जाता है। मलयालम में वर्षों से अन्य भाषाओं के कई तत्व शामिल किए गए है। इनमें से सबसे उल्लेखनीय संस्कृत और बाद में अंग्रेजी है। एतिहासिक रूप से मलयालम लिखने के लिए कई लिपिओं का उपयोग किया गाया था। मलयालम लिपि में कुल ५७८ वर्ण है। लिपि में ५२ अक्षर शामिल है जिनमें १६ स्वर और ३६ व्यंजन शामिल है। अंग्रेजी के विपरित, मलयालम भाषा में पत्र और लिपि एक दूसरे से संबंधित होती है। मलयालम भाषा के दो मूल शैली है-एक औपचारिक और एक अनौपचारिक।
अब के रूप में विकास
[संपादित करें]मलयालम को अन्य लिपियों में लिखा गया है जैसे रोमन, सिरिएक और अरबी आदि और यही लिपि विशेष रूप से केरल और लक्षद्वीप समूह में मदरसा में पढ़ाया जाता था। मलयालम में शुरुआती साहित्य में तीन प्रकार की संरचना शामिल थी-मलयालम नाद, तमिल नाद और संस्कृत नाद। मलयालम केवल भारत में ही नहीं बल्कि भारत के बाहर भी बोला जाता है। मलयालम की बोलियाँ क्षेत्रीय और सामाजिक स्तरों पर अलग-अलग है। द्रविड़ ज्ञानकोश के अनुसार, मलयालम की क्षेत्रीय बोलियाँ तेरह बोली क्षेत्र में विभाजित की जा सकती है। अपने विकास के दौरान, मलयालम शब्द का संस्कृत भाषा से ज़्यादा प्रभाव पड़ा है। मलयालम की बोलियों के बीच विचलन भाषा के लगभग सभी पहलुओं को आलिंगन लगाती है जैसे व्याकरण, शब्दावली आदि। किसी भी दो दिए गए बोलियों के बीच अंतर भाषा के प्रत्येक स्तर पर विशिष्ट इकाइयों की उपस्थिति या अनुपस्थिति के अनुसार मात्रा निर्धारित किया जा सकता है। २००१ के जनगणना के अनुसार लगभग दस लाख से अधिक लोगों द्वारा मलयालम बोली जाती है। जनसंख्या के आधार पर यह पाया गया है कि, मलयालम का चौथा स्थान है। मलयालम एक ऐसी भाषा है जिसकी खुद की लिपि है।
भाषा की विशिष्टता
[संपादित करें]मलयालम एक लोकप्रिय भाषा हैं। मलयालम में एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा है। मलयालम लिपि में बड़ी संख्या में समान वर्ण है जो पहचान स्वरूप चुनौतीपूर्ण बनाते है। पारंपरिक मलयालम में ज्यादातर शब्द तमिल या संस्कृत में अपनी जड़ों हैं। मलयालम में आधुनिक दिवस साहित्य दुनिया के किसी भी अन्य भाषा के रूप में विकसित और जटिल है। आधुनिक मलयालम में विभिन्न प्रकार के रूपों को देखा जा सकता है। जाती, क्षेत्रीय व्यवसाय, शैली और असंख्य भाषा रूपों में मलयालम का गठन होता है। समाज, संस्कृति, जाति और धर्म भी मलयालम में योगदान दिया है। हिंदी, पाली, मराठी आदि भाषाओं का प्रभाव इस भाषा के विकास और परिवर्तन के दौरान देखा जा सकता है। तो यह आश्चर्य की बात नहीं है कि बहुत से विदेशी शब्द मलयालम का हिस्सा बन चुका है। मलयालम, जैसा हम अभी जानते हैं, 900 ग्लिफ़ों से बहुत सरलीकृत किया है, जो पहले थे। भारत में ३३१२१२५३ लोग मलयालम में बात करते है। सबसे अधिक मलयालम भाषा बोलने वाले लोग केरल में है और सबसे कम सिक्किम में है। मलयालम भारत में ९ वें प्रसिद्ध् भाषा है। आधुनिक मलयालम के पिता तुंजत्त एज़ुथचन है। उन्होंने ही मलयालम भाषा में सुधार किया और भाषा को थोड़ा और आत्मनिर्भर बना दिया। उन्होंने दूसरे भाषाओं से बहुत सारे शब्द लिए है ताकि भाषा को सुधार सके। मलयालम एक सुंदर भाषा है जो बहुत सारे लोगों के लिए प्रिय भाषा है। मलयालम इतना प्रसिद्ध है कि विभिन्न देशों से लोग इसे सीखने आते है।