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[1]Sudhir chippi wallah -


WRITTEN BY - PRINCE MAURYA

Ch 1 - Sudhir Chippi Wallah

यह कहानी सुधिर  नाम के लड़के की है जो  मिहींपुरवा  के नयापुरवा गांव मे अपने नाना - नानी के साथ रहता था | वह अपने नाना नानी से बहुत प्यार करता था वह नाना नानी के छत्रछाया मे बड़ा हुआ उसने अपनी प्राथमिक शिक्षा वाही पास के सरकरी  विद्यालय से हुई सुधीर ने वहा nur - 5 तक तक पड़ाई की  वह बचपन से हि पड़ाई मे बहुत कमजोर था उसका मन खेलने कूदने मे ज्यादा लगता था कंचे की गोलियाँ खेलना , काबड्डी खेलना , पेड़ पर खेलना बहुत सरे खेल खेला करता था एक बार पेड़ पर खेलते समय उसका right वाला हाथ टूट गया फिर वह left वाले हाथ से लिखने लगा फिर 2012 मे उसकी नानी का expire हो गयी उस समय सुधीर को बहुत बड़ा टोकर लगा मनो ऐसा ( परतीत हो रहा था जैसे दुनिया अनजान हो गयी है ) फिर उस समय सुधीर के नाना ने उसे संभाला सुधीर सरकारी विद्यालय से 5 वीं कक्षा पुरा करके सर्वोदय विद्यालय मे कक्षा 6 मे दाखिला कराया कुछ समय सब अच्छा चलता रहा कक्षा 8 मे सुधीर को ऐसा लग रहा था की फेल हो जाएगा उसने तो कोचिंग जाना चालू कर दिया किसी तरह वह 8 पास हो गया वह 10 मे आते आते अपनी पड़ई का काफी सुधार किया उसकी मेहनत रंग लाई उसने 10 मे 80% आउवल नंबर के  साथ 10 की पढ़ाई पुरी की फिर वह 11 मे ( फिजिक्स , केमिस्ट्री  , गणित ) लेकर अपनी 11 की यात्रा प्रारंभ की 2016  मे सुधीर के  नाना जी expire हो  गये सुधीर अंदर से टूट गया ( यह दृश्य देख कर ऐसा प्रतित हो रहा था जैसे बिना पानी मछली ) फिर सुधीर बीमार ज्यादा होने लगा  शायद भगवान सुधीर की कोई परीक्षा ले रहा हो सुधीर ने अपने आप को किसी तरह संभाला और दुनिया के इस दौड़ मे आगे बढ़ा इंटरमीडिट  पास करने के बाद उसने बहराइच के KDC  मे बीएससी मे एडमिशन लिया  पारिवारिक कंडीशन खराब होने के वजह से  उसने पढ़ाई छोड़ दी फिर उसे  नेपाल जाना पड़ा नेपाल मे सरिया मिल मे सरिया का काम करता था उसके बाद उसको वहा का काम कुच्छ  अच्छा नहीं लगा उसने काम छोड़ दिया फिर उसने रोड कम्पनी मे काम शुरु किया | उसके पिता की तबियत खराब होने के वजह से उसे घर वापस आना पड़ा उसके बाद उसने BHU EXAM  दिया नाम नही आया फिर उसने पॉलीटेक्निक एग्जाम दिया उसका उसमे नाम आ गया लेकिन उसने जोइन नहीं किया फिर उसकी दोस्ती रमन नाम के लड़के के साथ हुई दोनो बलरामपुर चले गये BSC करने तीन साल पुरा करने के बाद घर आ गया एक दिन वह खेत मे गन्ना के खेत मे गन्ने काट रहा था तभी वाहा पर अतुल वर्मा आते है दोंनो की बात शुरु हुई दोनो बात करने के बाद बहराइच आ गये सुधीर का उद्देश्य UPPCS क्रैक करने का उदेश्य था अतुल का NEET  क्रैक करने का उदेश्य था दोनो लोग आराम से  पढ़ाई करते थे फिर उनकी ज़िंदगी मे आयी MAARA कंपनी जो लोगो के पैसे दोगुने करती थी अतुल और सुधीर ने शुरु किया अपना जलवा और प्रतिदिन खाने लगे गाजर का हलवा सच मे MAARA company से ऐसा लग रहा था की जैसे अब हम जल्द हि अमीर हो जाएँगे अपने पास गाड़ी , बंगलो , सब होगा लेकिन कुछ हुआ ऐसा की MAARA सबकी मार के चली गयी किसी की ज्यादा तो किसी की कम लोगों को पछतावा होने लगा की काश हम ना लगाते पैसा ना हमारे साथ होता ऐसा |

WRITTEN BY - PRINCE MAURYA

 


                      (  जिंदगी सुधीर चिप्पी वाला  की )  

जिंदगी क्या है कुछ वक्त का एक कारवां है,
जो चल पड़ता है किसी अनजान मंजिल को पाने के लिए
समय के साथ साथ मंजिलें भी बदलती रहती हैं
रास्ते बदलने पड़ते हैं इन मंजिलों तक जाने के लिए
बचपन जवानी बुढ़ापा कुछ पड़ाव हैं जिंदगी के रास्ते में

इन पड़ावों से गुजरना पड़ता है जिंदगी बिताने के लिए

बहुत से साथी मिलते रहते हैं कुछ विछड़ भी जाते हैं

मगर रुकना मना है बिछड़ों को वापिस लाने के लिए


रास्ते भर किसी एक सही साथी की दरकार रहती है

वर्ना मंजिल पे भी कुछ नहीं बचता सिवा पछताने के लिए

बस जान लो कि ताउम्र सिर्फ चलते रहने से कुछ नहीं होता

एक सही दिशा जरूरी है सही मंजिल तक जाने के लिए

   Atul varma -    किसी के जाने के बाद

उदासी थोड़ी दिन तक रहती है

फिर ज़िन्दगी उसके बिना

भी अच्छे से चलती है।


यादो के साये मे इंसान

आज को भूल जाता है

कल को जीने के लिए

वो खूब तेज दौड़ लगता है।


खुशियाँ सौ होती है

एक गम के खातिर इंसान

उन सौ खुशियों में आग लगता है

उस एक गम से नाता बना कर

ज़िन्दगी को बर्बाद करता जाता है।


छूटना तो सबका साथ है एक दिन

फिर भी दुख के साए में छूटती है

जिनसे ज़िन्दगी

उसी का राग वो गाता है।


सपनों के महलों को बुन

उन सपनों के टूटने पर

वो खुद को तन्हा पता है।



                        (  खूब सूरत लम्हे )

    जीवन में सुनहरे पल कब बीत जाते हैं, पता ही नहीं चलता है. वक्त तो वही याद रहता है जो बोझिल हो जाता है. वही काटे नहीं कटता, उस के पंख जो नहीं होते हैं. दर्द पंखों को काट देता है. शादी के बाद पति का प्यार, बेटे की पढ़ाई, घर की जिम्मेदारियों के बीच कब वैवाहिक जीवन के 35 साल गुजर गए, पता ही नहीं चला.

आंख तो तब खुली जब अचानक पति की मृत्यु हो गई. मेरा जीवन, जो उन के आसपास घूमता था, अब अपनी ही छाया से बात करता है. पति कहते थे, ‘सविता, तुम ने अपना पूरा वक्त घर को दे दिया, तुम्हारा अपना कुछ भी नहीं है. कल यदि अकेली हो गई तो क्या करोगी? कैसे काटोगी वो खाली वक्त?’

मैं ने हंसते हुए कहा था, ‘मैं तो सुहागिन ही मरूंगी. आप को रहना होगा मेरे बगैर. आप सोच लीजिए कि कैसे रहेंगे अकेले?’ किसे पता था कि उन की बात सच हो जाएगी. बेटा सौरभ, बहू रिया और पोते अवि के साथ जी ही लूंगी, यही सोचती थी. जिंदगी ऐसे रंग बदलेगी, इस का अंदाजा नहीं था.

बहू के साथ घर का काम करती तो वह या तो अंगरेजी गाने सुनती या कान में लीड लगा कर बातें करती रहती. मेरे साथ, मुझ से बात करने का तो जैसे समय ही खत्म हो गया था. कभी मैं ही कहती, ‘रिया, चल आज थोड़ा घूम आएं. कुछ बाजार से सामान भी लेना है और छुट्टी का दिन भी है.’

उस ने मेरे साथ बाहर न जाने की जैसे ठान ली थी. वह कहती, ‘मां, एक ही दिन तो मिलता है, बहुत सारे काम हैं, फिर शाम को बौस के घर या कहीं और जाना है.’ बेटे के पास बैठती तो ऐसा लगता जैसे बात करने को कुछ बचा ही नहीं है. एक बार उस से कहा भी था, ‘सौरभ, बहुत खालीपन लगता है. बेटा, मेरा मन नहीं लगता है,’ कहतेकहते आंखों में आंसू भी आ गए पर उन सब से अनजान वह बोला, ‘‘अभी पापा को गए 6 महीने ही तो हुए हैं न मां, धीरेधीरे आदत पड़ जाएगी. तुम घर के आसपास के पार्क क्यों नहीं जातीं. थोड़ा बाहर जाओगी, तो नए दोस्त बनेंगे, तुम को अच्छा भी लगेगा.’’

  1. Sudhir Chippi Wallah story, Sudhir (https://www.pocketnovel.com/novel/80d80a06631b161e5d4134be3a7c9d573bfe1ef1). "Sudhir chippi wallah story". https://www.pocketnovel.com/novel/80d80a06631b161e5d4134be3a7c9d573bfe1ef1. मूल से https://www.pocketnovel.com/novel/80d80a06631b161e5d4134be3a7c9d573bfe1ef1 को पुरालेखित. |date=, |archive-date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद); |website= में बाहरी कड़ी (मदद)