सदस्य:रणजीतसिंह राजपुरोहित

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भारत चीन युद्ध 1962 ।।

  महावीर चक्र विजेता मेजर महेन्द्रसिंह चौधरी , सूबेदार कांशीराम ,और नायक चैनसिंह की तिकडी अद्वितीय वीरता का परिचय देते हुए चीनियों के डटकर लडे थे...
      भारत चीन युद्ध के दौरान 9 पंजाब रेजिमेंट नेफा के निकट त्संगजोंग पर तैनात थी, 10 अक्टू को अचानक 500 से ज्यादा चीनियो से पोस्ट पर धावा बोला..

मेजर महेन्द्रसिंह चौधरी के नेतृत्व वाली इस यूनिट ने डटकर सामना किया,चीनियो पर मोर्टार और मशीनगनों से करारे प्रहार शुरू किये, दो बारगी चीनियो को पीछै हटने को मजबूर किया,

   विकट भौगोलिक परिस्थितियो ,और दूश्मन की संख्याबल, तथा मजबूती को भांप इस टूकडी को पीछे लौटने का आदेश मिला लेकिन भारतीय वीर लगातार जवाबी कार्यवाही करते रहे, सुरक्षित निकलने मे थोडी देर कर दी,  चीनी सेना सामने आ चुकी थी, आमने सामने की सीधी लडाई में मेजर MS , कांशीराम और चैनसिंह ने साथी योद्धाओ के साथ मिल चीनियों पर गोलियो की झडी लगा  दी , शत्रु सेना के क ई सैनिको को मौंत के घाट उतारा...
  एक गोला मेजर चौधरी  के ऊपर आकर गिरा,

वो निढाल गिरते हुए मां भारती की गोद मे चिर निद्रा मे सो गये... साथी चैनसिंह, काशीराम के साथ कंधे से कंधा मिला लगातार कवर फायर देते हुए अपने शेष साथियों को सुरक्षित निकाला, चैनसिंह भी अदम्य साहस के साथ लडते हुए दूश्मनों की गोली का शिकार बन गये ।

अब काशीराम चहूंओर से घिर चुके थे,इन पर आत्मसमर्पण के लिए चिल्लाए, काशीराम ने हामी भरी, शत्रु सेना का अधिकारी और तीन सैनिक ज्यू ही करीब आने लगे काशीराम ने उन पर हथगोला फेंक मौत की नींद सुला डाला 
   काशीराम बिजली सी फूर्ती दिखाते हुए दूश्मन  सैनिक को धक्का मार उसके हाथ से स्वचालित हथियार झपट कर फायरिंग करते हुए सुरक्षित बच निकले  , 

62 के यूद्ध मे दूश्मन से हथियार छिनने की यह पहली घटना थी.. .10 अक्टू के इस संघर्ष मे काशीराम, मेजर.चौधरी और चैनसिंह ने अपने साथियों के साथ मिल अदभुत रणकौशल दिखाया था।

युद्ध समाप्ति पर भारत सरकार ने इन तीनो जाबांजो को मेजर महेन्द्रसिंह (मरणोपरांत) चैनसिंह (मरणोपरांत) और काशीराम को दूसरे सर्वोच्च सैन्य सम्मान महावीरचक्र से नवाजा । काशीराम उस समय सिपाही थे, लेकिन बाद मे सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हुए ।और अब पैतृक गांव मे अपना गौरवमय जीवन व्यतीत कर रहे है । अमर शहीदों को शत शत नमन करते हुए ईश्वर से माँ भारती के सच्चे सपूत काशीरामजी की लंबी उम्र की प्रार्थना करता हू।

  1. रणजीतसिंह राजपुरोहित

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