सतत विपणन

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सतत विपणन उप्भोक्तयो और व्यापारो के आज के जरुरतो को महत्व देता है और उसके साथ आने वाली पीढ़ी के योग्यता को संरक्षण कर उसे बढ़ाता है ताकि उनकी जरुरतो का भी ध्यान दिया जा सके। सतत विपणन सन्कल्पना और बाकी विपणन सन्कल्पना की तुलना भी की जा सकती है। विपणन सन्कल्पना व्यवस्थापन के रोज़ाना फलना का निर्धारण कर लक्षित ग्राहको के वर्तमान जरुरते और चाहतो को पहचानता है और उन्ही को कुशलतापूर्वक पुरी करता है। यह दलो के छोटा अवधि बिक्रि, विकास और लाभ होने के जरुरतो पर ध्यान केन्द्रित करता है और ग्राहको के इच्छाओ पे भी ध्यान केन्द्रित कर उन्हे उसकी सुविधा देता है। हालान्कि उपभोक्तायो के जरुरते को तुरन्त सन्तोषजनक करने से उनके भविष्य चाहतो को समझा नही जा सकता। जबकि सामाजिक विपणन सन्कल्पना उपभोक्तायो के भविष्य कल्याण को महत्व देता है और सामरिक आयोजन सन्कल्पना दलो के भविष्य जरुरते को महत्व देता है, सतत विपणन सन्कल्पना दोनो को महत्व देता है। पर्यावरण की दृष्टि से और सामाजिक रूप से सतत विपणन ग्राहको और दलो के भविष्य और वर्तमान जरुरतो को मिलाता है। सही मायने मे सतत विपणन को कार्यात्मक विपणन प्रणाली की आवश्यकता है जिसमे उपभोक्तायो, दलो, सार्वजनिक नीति निर्माताओं एक साथ कार्य कर नैतिकता कार्यो और सामाजिक आवश्यकताओ को सुनिश्चित करे।

' विपणन का विकास'-

रिशता विपणन सतत विपणन
आधुनिक विपणन नैतिक विपणन

'विपणन के सामाजिक आलोचनाये'-

विपणन अनेक आलोचनाये प्राप्त करता है। कुछ आलोचनाये जायज है, कुछ नही। सामाजिक आलोचक दावा करते है कि कुछ विपणन नीतिया उप्भोक्तयो को चोट पहुचाती है, पुरे समाज को और अनेक फर्मो को भी। उनमे से कुछ प्रथाव इस प्रकार है:

१) उच्च कीमतें लागत - बहुत आलोचक प्रभारी करते है की अमेरिकी विपणन प्रणाली, जो तेजी से विश्व स्तर पर अपनाया जा रहा है, उच्च कीमतो का कारण बनता है। इसके तीन कारक बताये गये है- अ) उच्च वितरण लागत - लम्बे समय से प्रभारी यह है कि लालची चैनल बिचौलियों कीमतो को उनके सेवा से ज्यादा दाम बताते है। आलोचक बताते है कि बहुत सारे बिचौलियों जो अक्श्म है और वह बेकार सेवाये देते है। इसी वजह से वितरण कीमत ज्यादा होता है और उप्भोक्तयो ज्यादा भुगतान करते है। आ) उच्च विज्ञापन और संवर्धन लागत - आधुनिक विपणन पे भारी विज्ञापन और संवर्धन लागत का भी आरोप लगाया गया है। विपणक का जवाब है कि विज्ञापन उत्पाद लागत का आवरन्न करते है। यह क्षमता खरीदारो को भी सूचित करता है और ब्रांड के खूबियो को दर्शाता है। इ) अत्यधिक मार्क अप - कुछ दल अपने उत्पादो को अत्यधिक मार्क अप करते है। विपणक क जवाब है कि बहुत व्यापारो उप्भोक्तयो से सम्बन्ध रखने कि कोशिश करते है। और अपने व्यापार को दोहराते है। विपणक यह भी बताते कि बहुत बार ग्राहको के उच्च मार्क अप के कारणों का पता नही चलता।

२) भ्रामक प्रथाओ - विपणक पे कभी कभी भ्रामक प्रथाओ का आरोप लगाया जाता है कि वह ग्राहको को झूठी प्रथाओ मे उलझाते है। भ्रामक प्रथा तीन भागो मे है- अ) मूल्य निर्धारण आ) संवर्धन इ) पैकेजिंग विपणक तर्क करते है कि बहुत द्ल भ्रामक प्रथाओ से बचते है क्योकि यह अभ्यास उनके व्यापार को लम्बे समय के लिये हानी पहुचाते है और वह सतत नही होते है।

३) उच्च बिक्री दबाव - द्लो पे उच्च बिक्री दबाव का आरोप लगाया जाता है जो लोगो को अनावश्यक उत्पादो को खरीद्ने मे आकर्षित करता है। हालाकि ज्यादा बेच उप्भोक्तयो से सम्भन्ध बनाती है। उच्च दबाव और भ्रामक बिक्री इन सम्भन्धो को खराब कर सकती है।

४) अप्रचलित आयोजन - आलोचक तर्क करते है कि कुछ दल अप्रचलित आयोजन को महत्व देते है, जो उनके उत्पादो को प्रतिस्थापन से पहले अप्रचलित बना देता है। विपणक का जवाब है कि उप्भोक्तयो को शैली मे बदलाव अच्छा लगता है। वह पुराने माल से उब जाते है और उन्हे शैली मे नई देख चाहिये होती है।

५) भौतिकवाद और झूठी इच्छा - विपणन प्रणाली पे समाज मे विभिन्न बुराइयों को महत्व देने का आरोप लगाया गया है। आलोचक ने बताया है कि विपणन प्रणाली का आग्रह भौतिकवाद मे है और उसमे ज्यादा रुची है। उप्भोक्तयो पर यह चक्कर सतत नही है।

६) अनुचित प्रतिस्पर्धी प्रथाओ - कुछ दलो ने दुसरे दलो को नष्ट करने के इरादे से अनुचित प्रतिस्पर्धी प्रथाओ अपनाया है। वह अपनी कीमते लागत से नीचे करते है, आपूर्तिकर्ताओं को व्यापार से कट करने कि धमकी देते है या लोगो को प्रतियोगियो के उत्पादो को लेने से हतोत्सहित करते है। जबकि यह साबित करना है कि उनका इरादा शिकारी है।

'सतत विपणन के सिद्धांत'-

१) ग्राहक उन्मुखी विपणन - सतत विपणन जो यह दर्शाती है कि दल को अपना दृश्य और विपणन गतिविधियो उप्भोक्तयो के दृश्य से रखना चाहिये।

२) ग्राहक मान विपणन - सतत विपणन का वो सिद्धांत जो दर्शाता है कि दल को अपने सन्साधन ग्राहक मान विपणन निवेश बनाता है।

३) नविन विपणन - सतत विपणन का वो सिद्धांत जो दर्शाता है कि एक दल को अपने उत्पाद और विपणन सुधार कि तलाश की जरुरत होती है।

४) मिशन की भावना विपणन - सतत विपणन का वो सिद्धांत जो दर्शाता है कि दल को अपना मिशन व्यापक सामाजिक रूप से तैयार करना चाहिये।

५) सामाजिक विपणन - सतत विपणन का वो सिद्धांत जो दर्शाता है कि एक दल को अपना विपणन निर्णय उपभोक्तायो कि जरुरते, दल की लम्बे समय की आवश्यकताये, रुचिया और सामाजिक इच्छायो पर विचार कर उसे अपनाना चाहिय।

'सतत विपणन के पांच प्रमुख तत्वों'-

१) सतत व्यापार प्रथायो को अपने व्यापार रणनीति मे शामिल करे।

२) विपणन गतिविधियाँ चल रहे विकास स्थिति के लिये उद्धार करे।

३) सतत व्यापार क समर्थन करे।

४) दुसरे व्यापारो को सतत व्यापार अपनाने का प्रभाव करे।

५) रोजगारी व्यापारी संसाधन का कम से कम उपयोग करे।

सन्दर्भ[संपादित करें]

[1]

  1. principles of marketing-Philip Kotler