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संवलन

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दो आयताकार पल्सों का संवलन एक त्रिभुज होता है।

गणित में संवलन (convolution) दो फलनों की एक गणितीय संक्रिया है जिससे एक तीसरा फलन प्राप्त होता है। संवलन, अन्तःसहसंबंध (cross-correlation) के समान है। इसका उपयोग फलनीय विश्लेषण तथा संकेत प्रसंस्करण में होता है। कुछ प्रमुख अनुप्रयोग हैं- प्रायिकता, सांख्यिकी, संगणक दृष्टि (computer vision), छबि प्रसंस्करण, संकेत प्रसंस्करण, अवकल समीकरण आदि।

परिभाषा

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दो फलनों f तथा g का सम्वलन fg द्वारा निरूपित किया जाता है (दोनों फलनों के बीच में तारे का प्रयोग)। संवलन की परिभाषा निम्नलिखित प्रकार से की जाती है-

 
      (commutativity)

ऊपर जिस चर t का प्रयोग किया गया है वह आवश्यक नहीं कि 'समय' को ही निरूपित करे।

गुणधर्म

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क्रमपरिवर्तनीयता

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साहचर्य

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अदिश गुणन का साहचर्य

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जहाँ कोई वास्तविक या समिश्र संख्या है।

अवकलन का नियम

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जहाँ Df का मतलब f का अवकलज है।

.

जहाँ , f के फुर्ये रूपान्तरण को निरूपित करता है। इस प्रमेय के अन्य रूपों में लाप्लास रूपान्तरण या मेलिन रूपान्तरण का प्रयोग होता है।

डिरैक डेल्टा के संवलन

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संवलन का महत्व एवं उपयोग

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रैखिक काल अपरिवर्ती (लिनियर टाइम इनवैरिएण्ट / LTI) निकायों के रिस्पॉन्स निकालने के लिये संवलन बहुत उपयोगी सिद्ध हुआ है। इसके पीछे सिद्धान्त यह है कि फ्रेक्वेंसी डोमेन में दो फलनों का गुननफल, टाइम-डोमेन में उनके संवलन के ट्रांसफॉर्म के बराबर होता है। चूंकि फ्रेक्वेंसी डोमेन में, किसी निकाय का आउटपुट उस निकाय पर लगे इनपुट तथा उस निकाय के ट्रांसफर फंक्शन के गुणनफल के बराबर होता है, अतः

Y = X . H
y(t) = x(t) * h(t) (संवलन प्रमेय के अनुसार)
अर्थात, टाइम-डोमेन में आउटपुट = (इनपुट फलन) * (निकाय का इम्पल्स रिस्पांस)
जहाँ h(t) निकाय के ट्रांसफर फलन का इन्वर्स लाप्लास फलन है, जो निकाय के इम्पल्स रिस्पांस के बराबर होता है।
किसी वर्गाकर पल्स तथा इक्सपोनेन्शियल फलन का संवलन ; यह किसी RC परिपथ के इनपुट में वर्गाकार पल्स लगाने पर उस परिपथ का रिस्पांस निकालने के लिये उपयोग में लाया जा सकता है।

इन्हें भी देखें

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