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संजीवनी (हिंदू धर्म)

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हनुमान ने सम्पूर्ण पर्वत को ही उठा लिया और लेकर लक्ष्मण के पास आये।

संजीवनी (संस्कृत: संजीवनी) या मृतसंजीवनी (संस्कृत: मृतसञ्जीवनी) एक औषधीय पादप है जिसका उल्लेख रामायण में हुआ है।

साहित्य[संपादित करें]

संजीवनी बूटी का उल्लेख रामायण में आया है। जब रावण पुत्र इंद्रजीत ने लक्ष्मण पर शक्तिवाण चलाया। लक्ष्मण इससे मूर्छित हो गये। कम्ब रामायण में ऐसा वर्णन है सुषेण वैद्य ने हनुमान को निर्देश दिया कि वे मेरु पर्वत के उत्तरी भाग में उड़कर संजीवनी बूटी लाएं। वहाँ उन्हें नीलमहागिरि मिलेगा, जिसके आगे उन्हें ऋषभाद्रि (बैल जैसा पर्वत) मिलेगा, जिसके दो शिखर हैं। इस पर्वत पर संजीवनी सहित चार औषधीय जड़ी-बूटियाँ पायी जाती हैं। [1] संजीवनी बूटी की पहचान करने में असमर्थ, और समय की कमी को देखते हुए, हनुमान पूरा पर्वत उठाकर मूर्छित लक्ष्मण के पास ले आये। संजीवनी बूटी का सेवन करने के बाद लक्ष्मण ठीक हो गये और उठ बैठे। [2]

जिस पर्वत पर संजीवनी थी, उसको ओषधिपर्वत भी कहते हैं।[3]

पहचान[संपादित करें]

उत्तराखंड में हिमालय की ढलानों पर बद्री के पास फूलों की घाटी जड़ी-बूटियों के पहाड़ मानी जाती है।

कौन सा पादप संजीवनी बूटी है, इसके लिये कई पादप सम्भावित हैं जिनमें से कुछ प्रमुख ये हैंः सेलाजिनेला ब्रायोप्टेरिस, डेंड्रोबियम प्लिकाटाइल (समानार्थी नाम डेसमोट्रिचम फिंब्रियाटम क्रेसा क्रेटिका, और अन्य। सीएसआईआर प्रयोगशालाओं में प्राचीन ग्रंथों की खोज से किसी भी पौधे का पता नहीं चला जिसकी निश्चित रूप से संजीवनी के रूप में पुष्टि की जा सकती है। कुछ ग्रंथों में यह लिखा गया है कि संजीवनी अंधेरे में चमकती है।[4][5]

आयुर्वेदिक चिकित्सा में औषधीय गुणों के लिए मानी जाने वाली जड़ी बूटी की खोज सदियों से लेकर आधुनिक समय तक असफल रही है।[6] उत्तराखंड ने अगस्त 2016 से संजीवनी बूटी की खोज के लिए प्रारंभिक 25 करोड़ रुपये देने का वचन दिया। यह खोज चीनी सीमा के पास हिमालय की द्रोणागिरी पर्वत शृंखला पर केंद्रित थी। रामायण में एक पर्वत का उल्लेख है जो माना जाता है कि द्रोणागिरि शृंखला का एक पर्वत है। माना जाता है कि इसी में संजीवनी बूटी उगती थी। उत्तराखंड ने नवंबर 2014 में आयुष विभाग की स्थापना की।[7]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. www.wisdomlib.org (2019-01-28). "Story of Mṛtasañjīvanī". www.wisdomlib.org (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2022-11-17.
  2. Bansal, Sunita Pant (2005). Hindu Gods and Goddesses (अंग्रेज़ी में). Smriti Books. पृ॰ 46. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-87967-72-9.
  3. Vālmīki (2003). The Ramayana. Internet Archive. New York : North Point Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-86547-660-8.
  4. Telegraph India
  5. In search of Sanjeevani, Current Science, Vol. 97, No. 4, 25 August 2009
  6. D. Balasubramaniam (11 September 2009). "In search of the Sanjeevani plant of Ramayana". The Hindu. अभिगमन तिथि 29 July 2016.
  7. Agence France-Presse (29 July 2016). "Indian state steps up hunt for mythical glow-in-the dark plant". अभिगमन तिथि 29 July 2016.