व्हीटस्टोन सेतु
व्हीटस्टोन सेतु (Wheatstone bridge) एक छोटा सा परिपथ है जो मापन में उपयोगी है। इसका आविष्कार सैमुएल हण्टर क्रिस्टी (Samuel Hunter Christie) ने सन् १८३३ में किया था किन्तु चार्ल्स ह्वीटस्टोन ने इसको उन्नत और लोकप्रिय बनाया। अन्य कामों के अतिरिक्त यह किसी अज्ञात प्रतिरोध का मान ज्ञात करने के लिये प्रयुक्त होता है।
ह्वीटस्टोन सेतु की सहायता से अज्ञात प्रतिरोधक का मान निकालना
[संपादित करें]माना वह अज्ञात प्रतिरोध है जिसका मान प्राप्त करना है। , और ज्ञात मान वाले प्रतिरोध हैं जिनमें से का मान आवश्यकतानुसार बदला जा सकता है। जब का मान के बराबर हो जाता है तो B और D बिन्दुओं के बीच विभवान्तर शून्य हो जायेगा तथा गैलवानोमीटर से होकर कोई धारा नहीं बहेगी। इस स्थिति को प्राप्त करने के लिये को तब तक परिवर्तित करते हैं जब तक गैल्वानोमीटर का विक्षेप शून्य नहीं हो जाय। ध्यान रहे कि गैलवानोमीटर की सुई के विक्षेप की दिशा यह संकेत करती है कि का मान जरूरत से अधिक है या कम।
जब धारामापी से कोई धारा नहीं बहती, उस दशा में सेतु को "संतुलित" कहा जाता है। इस दशा में,
- अत:,
इस प्रकार अज्ञात प्रतिरोध का मान पता कर सकते हैं।
संवेदनशीलता
[संपादित करें]गैर-विद्युत राशियों के मापन में ह्वीटस्टोन सेतु बहुत उपयोगी है। इसके लिए प्रायः यह संतुलन अवस्था के आसपास सेतु की किसी भुजा में छोटे परिवर्तन को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि इसे स्ट्रेन गेज के रूप में उपयोग में लाय जा रहा है तो शून्य स्ट्रेन की स्थिति में यह सेतु संतुलित होता है उर बल लगाने पर किसी भुजा का प्रतिरोध बदलता है, और यह परिवर्तन लगाये गये बल के समानुपाती होता है। इस प्रकार, प्रतिरोध में परिवर्तन को सीधे मापकर स्ट्रेन या बल का मान सीधे निकाला जा सकता है। यही तरीका व्हीटस्टोन सेतु की सहायता से ताप के मापन में उपयोग किया जाता है।
माना सेतु, संतुलन की स्थिति में है और अब को बदलकर कर दिया जाता है। इसके कारण का मान शून्य से बदलकर कुछ अशून्य हो जाता है।
माना और तो
इसके साथ ही, या
इस सन्निकटन (approximation) का उपयोग करने पर,
- अर्थात् समानुपाती है !
यह भी देख सकते हैं कि फलन का अधिकतम मान पर मिलेगा, तथा . दूसरे शब्दों में, संतुलन के आसपास, सेतु की संवेदनशीलता सबसे अधिक तब होती है जब सभी प्रतिरोध समान (=R) होते हैं। अतः
उदाहरण : प्रतिरोध में आपेक्षिक परिवर्तन हो, तथा हो तो . यदि किसी वोल्टमीटर (या मल्टीमीटर) की इन्पुट रेंज 200 mV हो और इसका अधिकतम गिनती (count) 2000  हो तो इस स्थिति में 25 काउन्ट का आउटपुट देगा, जो कि पर्याप्त है।
इसका अर्थ यह भी है कि यहाँ हमें जो आउटपुट () मिल रहा है वह प्रतिरोध का मान नहीं है बल्कि प्रतिरोध में परिवर्तन का मान है। अर्थात हम प्रतिरोध का ठीक-ठीक मान जाने बिना भी प्रतिरोध के मान में लघु परिवर्तन का मान निकाल (या पढ़) पा रहे हैं।
यह भी ध्यान दीजिए कि यदि सेतु के कोई दो 'पड़ोसी प्रतिरोध 2 ‰ बढ़ा दिए जाँय, तो इसके कारण में कोई परिवर्तन नहीं होगा, बल्कि वे एक-दूसरे के प्रभाव को समाप्त करने का कार्य करते हैं।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- मैक्सवेल सेतु
- सेतु परिपथ
- विकृति मापी (स्ट्रेन गेज)
- प्रतिरोध तापमापी
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- Wheatstone Bridge - Interactive Java Tutorial National High Magnetic Field Laboratory
- efunda Wheatstone article
- Methods of Measuring Electrical Resistance - Edwin F. Northrup, 1912, full-text on Google Books