विशेष चाल

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किसी तारे की कुल चाल (space velocity) में दो हिस्से होते हैं - रेडियल वेग जो उसके हमारे पास-दूर आने का माप है और 'विशेष चाल' जो उसके दाएँ-बाएँ जाने का माप है

खगोलशास्त्र में विशेष चाल (proper motion) हमारे सौर मंडल के द्रव्यमान केंद्र से देखे गए किसी तारे के स्थान में समय के साथ-साथ हुए कोण (ऐंगल) में परिवर्तन को कहते हैं। इसका माप आर्कसैकिंड प्रति वर्ष (arcseconds per year) में किया जाता है - aik डिग्री कोण में ३,६०० आर्कसैकिंड होते हैं। यदि सौर मंडल के द्रव्यमान केंद्र पर कोई दर्शक स्थित हो तो उसके लिए तारे का दाएँ-बाएँ hilna 'विशेष चाल' कहलाएगा जबकि तारे का उसके पास आना या उस से दूर जाना रेडियल वेग कहलाएगा। ध्यान दें कि विशेष चाल वास्तव में केवल तारे की चाल पर निर्भर नहीं है क्योंकि हमारा सौर मंडल स्वयं भी ब्रह्माण्ड के दिक् (स्पेस) में चल रहा है। अन्य शब्दों में कहा जा सकता है कि अगर हम तारे के दूर या पास होने को अलग छोड़ दें तो उसकी विशेष चाल खगोलीय गोले पर देखी गए उसके स्थान-परिवर्तन का माप है।[1]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. The Amateur Astronomer's Introduction to the Celestial Sphere, William Millar, pp. 35, Cambridge University Press, 2006, ISBN 978-0-521-67123-1, ... Proper motion is the movement of the stars across the celestial sphere due to their spatial motion relative to our sun ...