"सत्यभूषण वर्मा": अवतरणों में अंतर

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| आन्दोलन = भारतीय हाइकू आंदोलन के प्रणेता
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| प्रमुख कृति = जापानी हिन्दी शब्दकोश
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<ref>{{Cite web |url=http://www.amazon.in/Books-Satya-Bhushan-Verma/s?ie=UTF8&page=1&rh=n%3A976389031%2Cp_27%3ASatya%20Bhushan%20Verma |title=जापानी हिन्दी शब्दकोश पुस्तक का विवरण |access-date=18 अप्रैल 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160425130004/http://www.amazon.in/Books-Satya-Bhushan-Verma/s?ie=UTF8&page=1&rh=n%3A976389031%2Cp_27%3ASatya%20Bhushan%20Verma |archive-date=25 अप्रैल 2016 |url-status=live }}</ref>
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== भारत में हाइकु की प्रस्तावना ==
== भारत में हाइकु की प्रस्तावना ==
भारत में हाइकु कविता के प्रचार-प्रसार में उनकी महत्वपूर्ण और अत्यन्त उपयोगी भूमिका तथा दीर्घकालिक योगदान के लिए उन्हें दिसम्बर २००२ में जापान में हाइकु कविता के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान [[मासाओका शिकी अंतर्राष्ट्रीय हाइकु पुरस्कार]] से भी पुरस्कृत किया गया था। जापानी के साथ-साथ चीनी, उडिया, बाँगला, अंग्रेजी, हिन्दी आदि कई भाषाओं के विद्वान प्रो॰ वर्मा ने स्वयं हाइकु सृजन नहीं किया, लेकिन सीधे जापानी से भारतीय भाषाओं में हाइकु के अनुवाद का अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य करते हुए उन्होंने इस विधा से भारतीय रचनाकारों का साक्षात्कार कराया। उससे पूर्व हाइकु अंग्रेजी अनुवादों के माध्यम से ही लोगों तक पहुँचा था और उसकी कोई स्पष्ट छवि, शिल्प या दर्शन सुनिश्चित नहीं था। उनकी पुस्तक 'जापानी हाइकु और आधुनिक हिन्दी कविता' ने उनके हाइकु मिशन को पूरा करने में अत्यन्त महत्वूर्ण योगदान किया। उससे पूर्व उनकी अनूदित पुस्तक 'जापानी कविताएँ' वर्ष १९७७ में ही प्रकाशित हो चुकी थी। जापान में प्रकाशित पहले जापानी हिन्दी शब्दकोश की रचना करके उन्होंने दोनों भाषाओं के बीच एक सुदृढ़सेतु के निर्माण का भी उल्लेखनीय कार्य किया। अनुवाद के क्षेत्र में किए गए उनके कार्यों को अत्यन्त सम्मान से याद किया जाता है। प्रो॰ वर्मा भारत में हाइकु सम्बन्धी हर गतिविधि के केन्द्र १३ जनवरी २००५ को अपनी मृत्यु के ठीक पूर्व तक बने रहे। १९८८ में उनके द्वारा निर्मित हाइकु केन्द्रित लघु वृत्त चित्र 'स्माल इज़ द ब्यूटीफुल' विधा के लिए उनका एक अन्यतम योगदान रहा, जिसे जापान में पुरस्कृत भी किया गया था। उनकी प्रतिबद्धता और उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि मेरठ तथा लखनऊ विश्वविद्यालयों में हाइकु केन्द्रित शोध हुए तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों ने हाइकु को शोध के लिए चुना। 1991-92 में कोयातो [[जापान]] स्थित इण्टरनेशनल रिसर्च सेण्टर फॉर जापानीज़ स्टडीज़ के विजिटिंग प्रोफेसर रहे। <ref>{{Cite web |url=http://www.worldhaiku.net/poetry/eng/india/verma_files/verma.html |title=Dr. Satya Bhushan Verma,World Haiku Association &#91;&#91;हिन्दी&#93;&#93;: डॉ॰ सत्यभूषण वर्मा, वर्ल्ड हाइकू एसोसियेशन |access-date=18 जून 2013 |archive-url=https://web.archive.org/web/20130917223202/http://www.worldhaiku.net/poetry/eng/india/verma_files/verma.html |archive-date=17 सितंबर 2013 |url-status=live }}</ref><ref name=timesofindia>{{cite web| last = | first = | authorlink = | title = She has earned laurels for writing poems in Haiku style| trans-title = वे हाइकू शैली में कविताएं लिखने के लिए ख्याति अर्जित की है| language = en| publisher = टाइम्स ऑफ इंडिया| url = http://timesofindia.indiatimes.com/city/patna/She-has-earned-laurels-for-writing-poems-in-Haiku-style/articleshow/4401669.cms| accessdate = 18 अप्रैल 21016| archive-url = https://web.archive.org/web/20160629024612/http://timesofindia.indiatimes.com/city/patna/She-has-earned-laurels-for-writing-poems-in-Haiku-style/articleshow/4401669.cms| archive-date = 29 जून 2016| url-status = live}}</ref>
भारत में हाइकु कविता के प्रचार-प्रसार में उनकी महत्वपूर्ण और अत्यन्त उपयोगी भूमिका तथा दीर्घकालिक योगदान के लिए उन्हें दिसम्बर २००२ में जापान में हाइकु कविता के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान [[मासाओका शिकी अंतर्राष्ट्रीय हाइकु पुरस्कार]] से भी पुरस्कृत किया गया था। जापानी के साथ-साथ चीनी, उडिया, बाँगला, अंग्रेजी, हिन्दी आदि कई भाषाओं के विद्वान प्रो॰ वर्मा ने स्वयं हाइकु सृजन नहीं किया, लेकिन सीधे जापानी से भारतीय भाषाओं में हाइकु के अनुवाद का अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य करते हुए उन्होंने इस विधा से भारतीय रचनाकारों का साक्षात्कार कराया। उससे पूर्व हाइकु अंग्रेजी अनुवादों के माध्यम से ही लोगों तक पहुँचा था और उसकी कोई स्पष्ट छवि, शिल्प या दर्शन सुनिश्चित नहीं था। उनकी पुस्तक 'जापानी हाइकु और आधुनिक हिन्दी कविता' ने उनके हाइकु मिशन को पूरा करने में अत्यन्त महत्वूर्ण योगदान किया। उससे पूर्व उनकी अनूदित पुस्तक 'जापानी कविताएँ' वर्ष १९७७ में ही प्रकाशित हो चुकी थी। जापान में प्रकाशित पहले जापानी हिन्दी शब्दकोश की रचना करके उन्होंने दोनों भाषाओं के बीच एक सुदृढ़सेतु के निर्माण का भी उल्लेखनीय कार्य किया। अनुवाद के क्षेत्र में किए गए उनके कार्यों को अत्यन्त सम्मान से याद किया जाता है। प्रो॰ वर्मा भारत में हाइकु सम्बन्धी हर गतिविधि के केन्द्र १३ जनवरी २००५ को अपनी मृत्यु के ठीक पूर्व तक बने रहे। १९८८ में उनके द्वारा निर्मित हाइकु केन्द्रित लघु वृत्त चित्र 'स्माल इज़ द ब्यूटीफुल' विधा के लिए उनका एक अन्यतम योगदान रहा, जिसे जापान में पुरस्कृत भी किया गया था। उनकी प्रतिबद्धता और उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि मेरठ तथा लखनऊ विश्वविद्यालयों में हाइकु केन्द्रित शोध हुए तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों ने हाइकु को शोध के लिए चुना। 1991-92 में कोयातो [[जापान]] स्थित इण्टरनेशनल रिसर्च सेण्टर फॉर जापानीज़ स्टडीज़ के विजिटिंग प्रोफेसर रहे। <ref>{{Cite web |url=http://www.worldhaiku.net/poetry/eng/india/verma_files/verma.html |title=Dr. Satya Bhushan Verma,World Haiku Association &#91;&#91;हिन्दी&#93;&#93;: डॉ॰ सत्यभूषण वर्मा, वर्ल्ड हाइकू एसोसियेशन |access-date=18 जून 2013 |archive-url=https://web.archive.org/web/20130917223202/http://www.worldhaiku.net/poetry/eng/india/verma_files/verma.html |archive-date=17 सितंबर 2013 |url-status=dead }}</ref><ref name=timesofindia>{{cite web| last = | first = | authorlink = | title = She has earned laurels for writing poems in Haiku style| trans-title = वे हाइकू शैली में कविताएं लिखने के लिए ख्याति अर्जित की है| language = en| publisher = टाइम्स ऑफ इंडिया| url = http://timesofindia.indiatimes.com/city/patna/She-has-earned-laurels-for-writing-poems-in-Haiku-style/articleshow/4401669.cms| accessdate = 18 अप्रैल 21016| archive-url = https://web.archive.org/web/20160629024612/http://timesofindia.indiatimes.com/city/patna/She-has-earned-laurels-for-writing-poems-in-Haiku-style/articleshow/4401669.cms| archive-date = 29 जून 2016| url-status = live}}</ref>
==निधन==
==निधन==
डॉ॰ वर्मा का 13 जनवरी 2005 को [[नई दिल्ली]] में हृदयाघात से निधन हो गया। उनके परिवार में केवल उनकी पत्नी हैं।
डॉ॰ वर्मा का 13 जनवरी 2005 को [[नई दिल्ली]] में हृदयाघात से निधन हो गया। उनके परिवार में केवल उनकी पत्नी हैं।
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== पुस्तकें==
== पुस्तकें==
* जापानी-हिन्दी शब्दकोश ([[आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰]]: 8176463825,[[आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰]]-13:9788176463829)
* जापानी-हिन्दी शब्दकोश ([[आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰]]: 8176463825,[[आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰]]-13:9788176463829)
* जापानी हाइकु और आधुनिक हिन्दी कविता<ref>{{Cite web |url=http://ec2-50-16-192-254.compute-1.amazonaws.com/japani-haiku-aur-adhunik-hindi-kavita-dr-satyabhushan-verma-book-9788128804977 |title=जापानी हाइकु और आधुनिक हिन्दी कविता पुस्तक की जानकारी |access-date=2 मई 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160701194056/http://ec2-50-16-192-254.compute-1.amazonaws.com/japani-haiku-aur-adhunik-hindi-kavita-dr-satyabhushan-verma-book-9788128804977 |archive-date=1 जुलाई 2016 |url-status=dead }}</ref><ref>{{Cite web |url=http://rsaudr.org/show_artical.php?&id=4386 |title=प्रो. सत्यभूषण वर्मा का प्रदेय एवं हाइकु की विकास-यात्रा के सोपान |access-date=18 अप्रैल 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160509142643/http://rsaudr.org/show_artical.php?&id=4386 |archive-date=9 मई 2016 |url-status=live }}</ref>
* जापानी हाइकु और आधुनिक हिन्दी कविता<ref>{{Cite web |url=http://ec2-50-16-192-254.compute-1.amazonaws.com/japani-haiku-aur-adhunik-hindi-kavita-dr-satyabhushan-verma-book-9788128804977 |title=जापानी हाइकु और आधुनिक हिन्दी कविता पुस्तक की जानकारी |access-date=2 मई 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160701194056/http://ec2-50-16-192-254.compute-1.amazonaws.com/japani-haiku-aur-adhunik-hindi-kavita-dr-satyabhushan-verma-book-9788128804977 |archive-date=1 जुलाई 2016 |url-status=dead }}</ref><ref>{{Cite web |url=http://rsaudr.org/show_artical.php?&id=4386 |title=प्रो. सत्यभूषण वर्मा का प्रदेय एवं हाइकु की विकास-यात्रा के सोपान |access-date=18 अप्रैल 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160509142643/http://rsaudr.org/show_artical.php?&id=4386 |archive-date=9 मई 2016 |url-status=dead }}</ref>
*जापानी कविताएँ <ref>{{Cite web |url=http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%A8_%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%80_%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%90%E0%A4%82 |title=हिन्दी साहित्य में स्थान बनाती जापानी विधाऐं |access-date=18 अप्रैल 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160417075030/http://www.kavitakosh.org/kk/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%A8_%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%80_%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%90%E0%A4%82 |archive-date=17 अप्रैल 2016 |url-status=live }}</ref>
*जापानी कविताएँ <ref>{{Cite web |url=http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%A8_%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%80_%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%90%E0%A4%82 |title=हिन्दी साहित्य में स्थान बनाती जापानी विधाऐं |access-date=18 अप्रैल 2016 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160417075030/http://www.kavitakosh.org/kk/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80_%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82_%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%A8_%E0%A4%AC%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%A4%E0%A5%80_%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80_%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%90%E0%A4%82 |archive-date=17 अप्रैल 2016 |url-status=dead }}</ref>


== सन्दर्भ ==
== सन्दर्भ ==

18:13, 1 सितंबर 2020 का अवतरण

सत्यभूषण वर्मा


डॉ॰ सत्यभूषण वर्मा (जन्म: 4 दिसम्बर 1932 रावलपिंडी मृत्यु:13 जनवरी 2005 दिल्ली), जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली में जापानी भाषा के पहले प्रोफेसर थे। हिन्दी हाइकु का भारत में प्रचार-प्रसार करने में उनकी बड़ी भूमिका रही है।

योगदान

डॉ॰ सत्यभूषण वर्मा ने जापानी से सीधे हिन्दी में हाइकु कविताओं के अनुवाद किए। इससे पहले जो अनुवाद हाइकु कविताओं के किए गए वे सभी जापानी से अंग्रेजी उसके बाद अंग्रेजी से हिन्दी में किये जाते थे। १९७८ में उन्होंने भारतीय हाइकु क्लब की स्थापना की तथा फरवरी ७८ से अगस्त ८६ तक प्रकाशित 'हाइकु' के २६ अंकों ने हिन्दी ही नहीं अन्य भारतीय भाषाओं में भी हाइकु सृजन को आन्दोलन का स्वरूप प्रदान करने की आधार पीठिका तैयार की। जापान और वहाँ की संस्कृति उनके रोम-रोम में बसी थी और वर्ष में चार छ: जापान यात्राएँ उनकी नियमितचर्या का हिस्सा थीं। जापान से भारत आने वाले तथा भारत से जापान जाने वाले विभिन्न महत्वपूर्ण प्रतिनिधि मण्डलों में प्रो॰ वर्मा की हिस्सेदारी किसी न किसी रूप में अवश्य होती थी। वे सही अर्थों में भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक सेतु की तरह थे और उनकी इसी छवि का संज्ञान लेते हुए वर्ष १९९६ में जापान सम्राट की ओर से नई दिल्ली में उन्हें 'दि आर्डर ऑफ राइजिंग सन: गोल्ड रेज विद रोसेट' नामक महत्वपूर्ण सम्मान से सम्मानित किया गया था।[1] [2]

भारत में हाइकु की प्रस्तावना

भारत में हाइकु कविता के प्रचार-प्रसार में उनकी महत्वपूर्ण और अत्यन्त उपयोगी भूमिका तथा दीर्घकालिक योगदान के लिए उन्हें दिसम्बर २००२ में जापान में हाइकु कविता के अन्तर्राष्ट्रीय सम्मान मासाओका शिकी अंतर्राष्ट्रीय हाइकु पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया गया था। जापानी के साथ-साथ चीनी, उडिया, बाँगला, अंग्रेजी, हिन्दी आदि कई भाषाओं के विद्वान प्रो॰ वर्मा ने स्वयं हाइकु सृजन नहीं किया, लेकिन सीधे जापानी से भारतीय भाषाओं में हाइकु के अनुवाद का अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य करते हुए उन्होंने इस विधा से भारतीय रचनाकारों का साक्षात्कार कराया। उससे पूर्व हाइकु अंग्रेजी अनुवादों के माध्यम से ही लोगों तक पहुँचा था और उसकी कोई स्पष्ट छवि, शिल्प या दर्शन सुनिश्चित नहीं था। उनकी पुस्तक 'जापानी हाइकु और आधुनिक हिन्दी कविता' ने उनके हाइकु मिशन को पूरा करने में अत्यन्त महत्वूर्ण योगदान किया। उससे पूर्व उनकी अनूदित पुस्तक 'जापानी कविताएँ' वर्ष १९७७ में ही प्रकाशित हो चुकी थी। जापान में प्रकाशित पहले जापानी हिन्दी शब्दकोश की रचना करके उन्होंने दोनों भाषाओं के बीच एक सुदृढ़सेतु के निर्माण का भी उल्लेखनीय कार्य किया। अनुवाद के क्षेत्र में किए गए उनके कार्यों को अत्यन्त सम्मान से याद किया जाता है। प्रो॰ वर्मा भारत में हाइकु सम्बन्धी हर गतिविधि के केन्द्र १३ जनवरी २००५ को अपनी मृत्यु के ठीक पूर्व तक बने रहे। १९८८ में उनके द्वारा निर्मित हाइकु केन्द्रित लघु वृत्त चित्र 'स्माल इज़ द ब्यूटीफुल' विधा के लिए उनका एक अन्यतम योगदान रहा, जिसे जापान में पुरस्कृत भी किया गया था। उनकी प्रतिबद्धता और उनके प्रयासों का ही परिणाम था कि मेरठ तथा लखनऊ विश्वविद्यालयों में हाइकु केन्द्रित शोध हुए तथा अन्य कई विश्वविद्यालयों ने हाइकु को शोध के लिए चुना। 1991-92 में कोयातो जापान स्थित इण्टरनेशनल रिसर्च सेण्टर फॉर जापानीज़ स्टडीज़ के विजिटिंग प्रोफेसर रहे। [3][4]

निधन

डॉ॰ वर्मा का 13 जनवरी 2005 को नई दिल्ली में हृदयाघात से निधन हो गया। उनके परिवार में केवल उनकी पत्नी हैं।

पुस्तकें

सन्दर्भ

  1. "Look East: A new son rises" [पूरब की ओर देखो: एक नए सूरज का उदय हुआ है] (अंग्रेज़ी में). दि हिन्दू. मूल से 16 जनवरी 2004 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 21016. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. हाइकू इन इंडिया Archived 2016-04-25 at the वेबैक मशीन(अँग्रेजी में)
  3. "Dr. Satya Bhushan Verma,World Haiku Association [[हिन्दी]]: डॉ॰ सत्यभूषण वर्मा, वर्ल्ड हाइकू एसोसियेशन". मूल से 17 सितंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 जून 2013.
  4. "She has earned laurels for writing poems in Haiku style" [वे हाइकू शैली में कविताएं लिखने के लिए ख्याति अर्जित की है] (अंग्रेज़ी में). टाइम्स ऑफ इंडिया. मूल से 29 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 21016. |accessdate= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  5. "जापानी हाइकु और आधुनिक हिन्दी कविता पुस्तक की जानकारी". मूल से 1 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 मई 2016.
  6. "प्रो. सत्यभूषण वर्मा का प्रदेय एवं हाइकु की विकास-यात्रा के सोपान". मूल से 9 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 2016.
  7. "हिन्दी साहित्य में स्थान बनाती जापानी विधाऐं". मूल से 17 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 18 अप्रैल 2016.

बाहरी कड़ियाँ