"शिलारस": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
छो बॉट: पुनर्प्रेषण ठीक कर रहा है
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
[[चित्र:Petroleum.JPG|right|thumb|250px|बिना साफ़ किया शिलारस (कच्चा शिलारस)]]
[[चित्र:Petroleum.JPG|right|thumb|250px|बिना साफ़ किया शिलारस (कच्चा शिलारस)]]
'''शिलारस''' (पेट्रोलियम) एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ हैं, जिसका उपयोग देनिक जीवन में बहुत अधिक होता हैं। शिलारस वास्तव में [[उदप्रांगार|उदप्रांगारों]] का मिश्रण होता है। इसका निर्माण भी कोयले की तरह वनस्पतियों के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके ऊपर उच्च दाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले शिलारस को अपरिष्कृत तेल (Crude Oil) कहते हैं जो काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है। इसके [[प्रभाजी आसवन]] (फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन) से [[केरोसिन]], [[पेट्रोल]], [[डीज़ल]], [[प्राकृतिक गैस]], [[वेसलीन]],तारकोल ल्यूब्रिकेंट तेल इत्यादि प्राप्त होते हैं।
'''शिलारस''' (पेट्रोलियम) एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ हैं, जिसका उपयोग देनिक जीवन में बहुत अधिक होता हैं। शिलारस वास्तव में [[हाइड्रोकार्बन|उदप्रांगारों]] का मिश्रण होता है। इसका निर्माण भी कोयले की तरह वनस्पतियों के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके ऊपर उच्च दाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले शिलारस को अपरिष्कृत तेल (Crude Oil) कहते हैं जो काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है। इसके [[प्रभाजी आसवन]] (फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन) से [[केरोसिन]], [[पेट्रोल]], [[डीज़ल]], [[प्राकृतिक गैस]], [[वेसलीन]],तारकोल ल्यूब्रिकेंट तेल इत्यादि प्राप्त होते हैं।


दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें [[उदप्रांगार|उदप्रांगारों]] की बहुलता होती है। उदप्रांगारों की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और [[प्रांगार]] के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले उदप्रांगारों ठोस जैसे कि मोम या टार नामक उत्पाद का निर्माण करते हैं।
दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें [[हाइड्रोकार्बन|उदप्रांगारों]] की बहुलता होती है। उदप्रांगारों की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और [[कार्बन|प्रांगार]] के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले उदप्रांगारों ठोस जैसे कि मोम या टार नामक उत्पाद का निर्माण करते हैं।
[[चित्र:Schemat wydobywania ropy naftowej.svg|right|thumb|200px|सछिद्र चट्टान (4) में शिलारस स्थित है।]]
[[चित्र:Schemat wydobywania ropy naftowej.svg|right|thumb|200px|सछिद्र चट्टान (4) में शिलारस स्थित है।]]
जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त अपरिष्कृत तेल (क्रूड ऑयल) ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए अपरिष्कृत तेल में मौजूद उदप्रांगार के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। उदप्रांगार के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया रासायनिक क्रांस जोड़ने [[उदप्रांगार]] कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया शोधन कारखानें (रिफाइनरीज) में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले उदप्रांगारों के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के उदप्रांगारों का क्वथनांक के, अलग-अलग होता है इस तरह [[आसवन]] की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। तेल शोधक कारखाना की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है।
जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त अपरिष्कृत तेल (क्रूड ऑयल) ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए अपरिष्कृत तेल में मौजूद उदप्रांगार के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। उदप्रांगार के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया रासायनिक क्रांस जोड़ने [[हाइड्रोकार्बन|उदप्रांगार]] कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया शोधन कारखानें (रिफाइनरीज) में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले उदप्रांगारों के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के उदप्रांगारों का क्वथनांक के, अलग-अलग होता है इस तरह [[आसवन]] की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। तेल शोधक कारखाना की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है।


दरअसल अपरिष्कृत तेल को अलग-अलग तापमान पर गर्म करके वाष्प एकत्रित करके तथा उसे दोबारा संघनित करके उदप्रांगार की अलग-अलग चेन निकाल ली जाती हैं। तेल शोधक कारखाना (ऑयल रिफाइनरी) में शोधन का यह सबसे सामान्य और पुराना तरीका है। उबलते तापमान का उपयोग करने वाली इस विधि को प्रभाजी आसवन कहते हैं। आसवन का एक तरीका यह भी होता है कि उदप्रांगार की एक लंबी चेन को जैसे का तैसा निकाल लेने के बजाए उसे छोटी-छोटी चेन्स में तोड़कर निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को रासायनिक प्रसंस्करण कहते हैं। तो बच्चे अब आप समझ गए होंगे कि पेट्रोल और कैरोसिन के अलावा दूसरे ईंधन कैसे बनते हैं। इस सारी प्रक्रिया में तेल शोधक कारखाना की अहम भूमिका होती है।
दरअसल अपरिष्कृत तेल को अलग-अलग तापमान पर गर्म करके वाष्प एकत्रित करके तथा उसे दोबारा संघनित करके उदप्रांगार की अलग-अलग चेन निकाल ली जाती हैं। तेल शोधक कारखाना (ऑयल रिफाइनरी) में शोधन का यह सबसे सामान्य और पुराना तरीका है। उबलते तापमान का उपयोग करने वाली इस विधि को प्रभाजी आसवन कहते हैं। आसवन का एक तरीका यह भी होता है कि उदप्रांगार की एक लंबी चेन को जैसे का तैसा निकाल लेने के बजाए उसे छोटी-छोटी चेन्स में तोड़कर निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को रासायनिक प्रसंस्करण कहते हैं। तो बच्चे अब आप समझ गए होंगे कि पेट्रोल और कैरोसिन के अलावा दूसरे ईंधन कैसे बनते हैं। इस सारी प्रक्रिया में तेल शोधक कारखाना की अहम भूमिका होती है।
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
शिलारस को आंशिक आसवन द्वारा रिफाइन, यानी उसमें मौजूद महत्वपूर्ण ईंधनों को अलग किया जाता है। शिलारस को पहले धातु के बने कक्ष में रखते हैं और फिर इसका वाष्पीकरण किया जाता है। इस अवस्था में जिस तत्व का आण्विक द्रव्यमान जितना कम होता है वह कक्ष में उतनी ही ऊपर की स्थिति पर रहता है और अलग अलग स्थिति पर स्थित पाइपलाइन द्वारा संग्रहित कर लिया जाता है। इसके बाद इसे कंडेनसेशन(वाष्प को फिर से तरल अवस्था में बदलना) के द्वारा फिर संग्रहित किया जाता है, इस अवस्था में इसके अंदर के तत्व अलग अलग हो जाते हैं। शिलारस से निकलने वाले महत्वपूर्ण तत्व हैं:-
शिलारस को आंशिक आसवन द्वारा रिफाइन, यानी उसमें मौजूद महत्वपूर्ण ईंधनों को अलग किया जाता है। शिलारस को पहले धातु के बने कक्ष में रखते हैं और फिर इसका वाष्पीकरण किया जाता है। इस अवस्था में जिस तत्व का आण्विक द्रव्यमान जितना कम होता है वह कक्ष में उतनी ही ऊपर की स्थिति पर रहता है और अलग अलग स्थिति पर स्थित पाइपलाइन द्वारा संग्रहित कर लिया जाता है। इसके बाद इसे कंडेनसेशन(वाष्प को फिर से तरल अवस्था में बदलना) के द्वारा फिर संग्रहित किया जाता है, इस अवस्था में इसके अंदर के तत्व अलग अलग हो जाते हैं। शिलारस से निकलने वाले महत्वपूर्ण तत्व हैं:-
* [[पेट्रोल]]
* [[पेट्रोल]]
* [[डीजल]]
* [[डीज़ल|डीजल]]
* [[केरोसीन]]
* [[केरोसीन]]
* [[प्राकृतिक गैस]]
* [[प्राकृतिक गैस]]


== शिलारस का विश्व वितरण ==
== शिलारस का विश्व वितरण ==
* [[संयुक्त राज्य|अमेरिका]]
* [[संयुक्त राज्य अमेरिका|अमेरिका]]
* [[ईरान]]
* [[ईरान]]
* [[ईराक]]
* [[इराक़|ईराक]]
* [[रूस]]
* [[रूस]]
* [[सउदी अरब]]
* [[सउदी अरब]]

09:52, 5 मार्च 2020 का अवतरण

बिना साफ़ किया शिलारस (कच्चा शिलारस)

शिलारस (पेट्रोलियम) एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ हैं, जिसका उपयोग देनिक जीवन में बहुत अधिक होता हैं। शिलारस वास्तव में उदप्रांगारों का मिश्रण होता है। इसका निर्माण भी कोयले की तरह वनस्पतियों के पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके ऊपर उच्च दाब तथा ताप के आपतन के कारण हुआ। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले शिलारस को अपरिष्कृत तेल (Crude Oil) कहते हैं जो काले रंग का गाढ़ा द्रव होता है। इसके प्रभाजी आसवन (फ्रैक्शनल डिस्टिलेशन) से केरोसिन, पेट्रोल, डीज़ल, प्राकृतिक गैस, वेसलीन,तारकोल ल्यूब्रिकेंट तेल इत्यादि प्राप्त होते हैं।

दरअसल जब तेल के भंडार पृथ्वी पर कहीं ढूंढे जाते हैं, तब यह गाढ़े काले रंग का होता है। जिसे क्रूड ऑयल कहा जाता है और इसमें उदप्रांगारों की बहुलता होती है। उदप्रांगारों की खासियत यह होती है कि इनमें मौजूद हाइड्रोजन और प्रांगार के अणु एक दूसरे से विभिन्न श्रृंखलाओं में बंधे होते हैं। ये श्रृंखलाएं तरह-तरह की होती हैं। यही श्रृंखलाएं विभिन्न प्रकार के तेल उत्पादों का स्रोत होती हैं। इनकी सबसे छोटी श्रृंखला मिथेन नामक प्रोडक्ट का आधार बनती है। इनमें लंबी श्रृंखलाओं वाले उदप्रांगारों ठोस जैसे कि मोम या टार नामक उत्पाद का निर्माण करते हैं।

सछिद्र चट्टान (4) में शिलारस स्थित है।

जब पृथ्वी से तेल खोद कर निकाला जाता है उस वक्त अपरिष्कृत तेल (क्रूड ऑयल) ठोस रूप में होता है। इससे तेल के विभिन्न रूप पाने के लिए अपरिष्कृत तेल में मौजूद उदप्रांगार के विभिन्न चेन को अलग करना पड़ता है। उदप्रांगार के विभिन्न चेनों को अलग करने की प्रक्रिया रासायनिक क्रांस जोड़ने उदप्रांगार कहलाती है। जिसे हम शोधन प्रक्रिया के नाम से जानते हैं। यह शोधन प्रक्रिया शोधन कारखानें (रिफाइनरीज) में होती है। एक तरह से यह शोधन बेहद आसान भी होता है और मुश्किल भी। यह सरल तब होता है जब क्रूड ऑयल में पाए जाने वाले उदप्रांगारों के बारे में पता हो और मुश्किल तब जब इसकी जानकारी नहीं होती है। दरअसल हर प्रकार के उदप्रांगारों का क्वथनांक के, अलग-अलग होता है इस तरह आसवन की प्रक्रिया से उन्हें आसानी से अलग किया जा सकता है। तेल शोधक कारखाना की पूरी प्रक्रिया में यह एक महत्वपूर्ण चरण होता है।

दरअसल अपरिष्कृत तेल को अलग-अलग तापमान पर गर्म करके वाष्प एकत्रित करके तथा उसे दोबारा संघनित करके उदप्रांगार की अलग-अलग चेन निकाल ली जाती हैं। तेल शोधक कारखाना (ऑयल रिफाइनरी) में शोधन का यह सबसे सामान्य और पुराना तरीका है। उबलते तापमान का उपयोग करने वाली इस विधि को प्रभाजी आसवन कहते हैं। आसवन का एक तरीका यह भी होता है कि उदप्रांगार की एक लंबी चेन को जैसे का तैसा निकाल लेने के बजाए उसे छोटी-छोटी चेन्स में तोड़कर निकाल लिया जाता है। इस प्रक्रिया को रासायनिक प्रसंस्करण कहते हैं। तो बच्चे अब आप समझ गए होंगे कि पेट्रोल और कैरोसिन के अलावा दूसरे ईंधन कैसे बनते हैं। इस सारी प्रक्रिया में तेल शोधक कारखाना की अहम भूमिका होती है।

आंशिक आसवन द्वारा शिलारस की रिफाइनिंग

शिलारस को आंशिक आसवन द्वारा रिफाइन, यानी उसमें मौजूद महत्वपूर्ण ईंधनों को अलग किया जाता है। शिलारस को पहले धातु के बने कक्ष में रखते हैं और फिर इसका वाष्पीकरण किया जाता है। इस अवस्था में जिस तत्व का आण्विक द्रव्यमान जितना कम होता है वह कक्ष में उतनी ही ऊपर की स्थिति पर रहता है और अलग अलग स्थिति पर स्थित पाइपलाइन द्वारा संग्रहित कर लिया जाता है। इसके बाद इसे कंडेनसेशन(वाष्प को फिर से तरल अवस्था में बदलना) के द्वारा फिर संग्रहित किया जाता है, इस अवस्था में इसके अंदर के तत्व अलग अलग हो जाते हैं। शिलारस से निकलने वाले महत्वपूर्ण तत्व हैं:-

शिलारस का विश्व वितरण

इन्हें भी देखें