"शिव नाडार": अवतरणों में अंतर

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''' शिव नाडार ''' [[भारत]] के प्रमुख [[उद्यमी]] एवं समाजसेवी हैं। वे एचसीएल टेक्नॉलोजीज के अध्यक्ष एवं प्रमुख रणनीति अधिकारी हैं। सन् २०१० में उनकी व्यक्तिगत सम्पत्ति ४.2 बिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य है। उनको सन [[२००८]] में [[भारत सरकार]] द्वारा [[उद्योग एवं व्यापार]] के क्षेत्र में [[पद्मभूषण]] से सम्मानित किया था। पाँच देशों में, 100 से ज्यादा कार्यालय, 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी और दुनिया भर के कंप्यूटर व्यवसायियों, उपभोक्ताओं का विश्वास - शिव नाडार अगर सबकी अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं, तो इसके केंद्र में उनकी मेहनत, योजना और सूझबूझ ही है।
''' शिव नाडार ''' [[भारत]] के प्रमुख [[उद्यमी]] एवं समाजसेवी हैं। वे एचसीएल टेक्नॉलोजीज के अध्यक्ष एवं प्रमुख रणनीति अधिकारी हैं। सन् २०१० में उनकी व्यक्तिगत सम्पत्ति ४.2 बिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य है। उनको सन [[२००८]] में [[भारत सरकार]] द्वारा [[उद्योग एवं व्यापार]] के क्षेत्र में [[पद्म भूषण|पद्मभूषण]] से सम्मानित किया था। पाँच देशों में, 100 से ज्यादा कार्यालय, 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी और दुनिया भर के कंप्यूटर व्यवसायियों, उपभोक्ताओं का विश्वास - शिव नाडार अगर सबकी अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं, तो इसके केंद्र में उनकी मेहनत, योजना और सूझबूझ ही है।


== परिचय ==
== परिचय ==
अगस्त 1976 में एक गैरेज में उन्होंने एचसीएल इंटरप्राइजेज की स्थापना की, तो 1991 में वे एचसीएल टेक्नोलॉजी के साथ बाजार में एक नए रूप में हाजिर हुए। पिछले तीन दशक में भारत में तकनीकी कंपनियों की बाढ़-सी आ गई है, लेकिन एचसीएल को उत्कर्ष तक ले जाने के पीछे शिव नाडार का नेतृत्व ही प्रमुख है। नाडार की कंपनी में बड़े पद तक पहुंचना भी आसान नहीं होता। शिव ने एक बार कहा था, मैं नेतृत्व के अवसर नहीं देता, बल्कि उन लोगों पर निगाह रखता हूं, जो कमान संभाल सकते हैं।
अगस्त 1976 में एक गैरेज में उन्होंने एचसीएल इंटरप्राइजेज की स्थापना की, तो 1991 में वे एचसीएल टेक्नोलॉजी के साथ बाजार में एक नए रूप में हाजिर हुए। पिछले तीन दशक में भारत में तकनीकी कंपनियों की बाढ़-सी आ गई है, लेकिन एचसीएल को उत्कर्ष तक ले जाने के पीछे शिव नाडार का नेतृत्व ही प्रमुख है। नाडार की कंपनी में बड़े पद तक पहुंचना भी आसान नहीं होता। शिव ने एक बार कहा था, मैं नेतृत्व के अवसर नहीं देता, बल्कि उन लोगों पर निगाह रखता हूं, जो कमान संभाल सकते हैं।


कुछ साल पहले फो‌र्ब्स की सूची में शामिल धनी भारतीयों में से एक, नाडार 1968 तक [[तमिलनाडु]] की डीसीएम कंपनी में काम करते थे। उन्होंने अपने साथ के छह लोगों को प्रेरणा दी, क्यों न एक कंपनी खोली जाए, जो ऑफिस इक्विपमेंट्स बनाए। फलत: 1976 में एचसीएल की नींव पड़ी। 1982 में जब आईबीएम ने एचसीएल को कंप्यूटर मुहैया कराना बंद कर दिया, तब नाडार और उनके साथियों ने पहला कंप्यूटर भी बना लिया। फिलहाल, हालत यह है कि एचसीएल की 80 फीसदी आमदनी कंप्यूटर और ऑफिस इक्विपमेंट्स से ही होती है। फरवरी 1987 में चर्चित पत्रिका 'टाइम' ने लिखा था, पूरी दुनिया नाडार की सोच और भविष्य के लिए तैयार किए गए नेटवर्क को देखकर आश्चर्यचकित और मुग्ध है। दरअसल, नाडार का साम्राज्य अर्थशास्त्र और शासन को नई परिभाषा देने वाला है। वैसे, तकरीबन तीन दशक पहले जब नाडार ने कंपनी स्थापित की थी, तो यह एक दांव की तरह ही था। तमिलनाडु में पहले नौकरी छोड़ना और बाद में दिल्ली में क्लॉथ मिल की जमी-जमाई जॉब को भी ठोकर मार देना..ऐसा साहस नाडार ही कर सकते थे, लेकिन वे न सिर्फ कामयाब हुए, बल्कि उन्होंने साथियों और निवेशकों का भरोसा भी जीता। मधुरभाषी नाडार बताते हैं, पिछले तीन-चार दशक में मैंने देखा है कि आईटी इंडस्ट्री का काफी विकास हुआ है। खासकर, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, सर्विसेज, सॉल्यूशंस, नेटवर्किग, कम्युनिकेशन, इंटरनेट और आईटी इन्फ्रॉस्ट्रक्चर की दिशा में काफी संभावनाएं बढ़ी हैं। मैंने समय रहते अवसर पहचान लिया और इसीलिए कामयाब भी हुआ।
कुछ साल पहले फो‌र्ब्स की सूची में शामिल धनी भारतीयों में से एक, नाडार 1968 तक [[तमिल नाडु|तमिलनाडु]] की डीसीएम कंपनी में काम करते थे। उन्होंने अपने साथ के छह लोगों को प्रेरणा दी, क्यों न एक कंपनी खोली जाए, जो ऑफिस इक्विपमेंट्स बनाए। फलत: 1976 में एचसीएल की नींव पड़ी। 1982 में जब आईबीएम ने एचसीएल को कंप्यूटर मुहैया कराना बंद कर दिया, तब नाडार और उनके साथियों ने पहला कंप्यूटर भी बना लिया। फिलहाल, हालत यह है कि एचसीएल की 80 फीसदी आमदनी कंप्यूटर और ऑफिस इक्विपमेंट्स से ही होती है। फरवरी 1987 में चर्चित पत्रिका 'टाइम' ने लिखा था, पूरी दुनिया नाडार की सोच और भविष्य के लिए तैयार किए गए नेटवर्क को देखकर आश्चर्यचकित और मुग्ध है। दरअसल, नाडार का साम्राज्य अर्थशास्त्र और शासन को नई परिभाषा देने वाला है। वैसे, तकरीबन तीन दशक पहले जब नाडार ने कंपनी स्थापित की थी, तो यह एक दांव की तरह ही था। तमिलनाडु में पहले नौकरी छोड़ना और बाद में दिल्ली में क्लॉथ मिल की जमी-जमाई जॉब को भी ठोकर मार देना..ऐसा साहस नाडार ही कर सकते थे, लेकिन वे न सिर्फ कामयाब हुए, बल्कि उन्होंने साथियों और निवेशकों का भरोसा भी जीता। मधुरभाषी नाडार बताते हैं, पिछले तीन-चार दशक में मैंने देखा है कि आईटी इंडस्ट्री का काफी विकास हुआ है। खासकर, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, सर्विसेज, सॉल्यूशंस, नेटवर्किग, कम्युनिकेशन, इंटरनेट और आईटी इन्फ्रॉस्ट्रक्चर की दिशा में काफी संभावनाएं बढ़ी हैं। मैंने समय रहते अवसर पहचान लिया और इसीलिए कामयाब भी हुआ।


== बाहरी कड़ियाँ ==
== बाहरी कड़ियाँ ==

12:43, 2 मार्च 2020 का अवतरण

शिव नाडार
चित्र:Shiv Nadar1.jpg
जन्म 14 जुलाई 1945 (1945-07-14) (आयु 78)[1]
मूलैपोळी गाँव, तूतीकोरीन जिला, तमिलनाडु, भारत
आवास नई दिली
राष्ट्रीयता भारतीय
शिक्षा की जगह PSG College of Technology
पेशा एचसीएल टेक्नॉलोजीज के संस्थापक तथा अध्यक्ष]]
एस एस एन इंजीनियरी महाविद्यालय के संस्थापक
कुल दौलत US$15.1 बिलियन (अप्रैल 2018)[2]
जीवनसाथी किरण नाडार
बच्चे रोशनी नाडार मल्होत्रा
माता-पिता शिवसुब्रमनियन नाडार
वामासुन्दरी देवी
पुरस्कार पद्मभूषण (2008)

शिव नाडार भारत के प्रमुख उद्यमी एवं समाजसेवी हैं। वे एचसीएल टेक्नॉलोजीज के अध्यक्ष एवं प्रमुख रणनीति अधिकारी हैं। सन् २०१० में उनकी व्यक्तिगत सम्पत्ति ४.2 बिलियन अमेरिकी डालर के तुल्य है। उनको सन २००८ में भारत सरकार द्वारा उद्योग एवं व्यापार के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया था। पाँच देशों में, 100 से ज्यादा कार्यालय, 30 हजार से ज्यादा कर्मचारी-अधिकारी और दुनिया भर के कंप्यूटर व्यवसायियों, उपभोक्ताओं का विश्वास - शिव नाडार अगर सबकी अपेक्षाओं पर खरे उतरते हैं, तो इसके केंद्र में उनकी मेहनत, योजना और सूझबूझ ही है।

परिचय

अगस्त 1976 में एक गैरेज में उन्होंने एचसीएल इंटरप्राइजेज की स्थापना की, तो 1991 में वे एचसीएल टेक्नोलॉजी के साथ बाजार में एक नए रूप में हाजिर हुए। पिछले तीन दशक में भारत में तकनीकी कंपनियों की बाढ़-सी आ गई है, लेकिन एचसीएल को उत्कर्ष तक ले जाने के पीछे शिव नाडार का नेतृत्व ही प्रमुख है। नाडार की कंपनी में बड़े पद तक पहुंचना भी आसान नहीं होता। शिव ने एक बार कहा था, मैं नेतृत्व के अवसर नहीं देता, बल्कि उन लोगों पर निगाह रखता हूं, जो कमान संभाल सकते हैं।

कुछ साल पहले फो‌र्ब्स की सूची में शामिल धनी भारतीयों में से एक, नाडार 1968 तक तमिलनाडु की डीसीएम कंपनी में काम करते थे। उन्होंने अपने साथ के छह लोगों को प्रेरणा दी, क्यों न एक कंपनी खोली जाए, जो ऑफिस इक्विपमेंट्स बनाए। फलत: 1976 में एचसीएल की नींव पड़ी। 1982 में जब आईबीएम ने एचसीएल को कंप्यूटर मुहैया कराना बंद कर दिया, तब नाडार और उनके साथियों ने पहला कंप्यूटर भी बना लिया। फिलहाल, हालत यह है कि एचसीएल की 80 फीसदी आमदनी कंप्यूटर और ऑफिस इक्विपमेंट्स से ही होती है। फरवरी 1987 में चर्चित पत्रिका 'टाइम' ने लिखा था, पूरी दुनिया नाडार की सोच और भविष्य के लिए तैयार किए गए नेटवर्क को देखकर आश्चर्यचकित और मुग्ध है। दरअसल, नाडार का साम्राज्य अर्थशास्त्र और शासन को नई परिभाषा देने वाला है। वैसे, तकरीबन तीन दशक पहले जब नाडार ने कंपनी स्थापित की थी, तो यह एक दांव की तरह ही था। तमिलनाडु में पहले नौकरी छोड़ना और बाद में दिल्ली में क्लॉथ मिल की जमी-जमाई जॉब को भी ठोकर मार देना..ऐसा साहस नाडार ही कर सकते थे, लेकिन वे न सिर्फ कामयाब हुए, बल्कि उन्होंने साथियों और निवेशकों का भरोसा भी जीता। मधुरभाषी नाडार बताते हैं, पिछले तीन-चार दशक में मैंने देखा है कि आईटी इंडस्ट्री का काफी विकास हुआ है। खासकर, हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, सर्विसेज, सॉल्यूशंस, नेटवर्किग, कम्युनिकेशन, इंटरनेट और आईटी इन्फ्रॉस्ट्रक्चर की दिशा में काफी संभावनाएं बढ़ी हैं। मैंने समय रहते अवसर पहचान लिया और इसीलिए कामयाब भी हुआ।

बाहरी कड़ियाँ

  1. Sharma, Vishwamitra (2003). Famous Indians of the 20th century. New Delhi: Pustak Mahal. पृ॰ 220. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 81-223-0829-5.
  2. "Mr Shiv Nadar". Forbes. अभिगमन तिथि 8 अगस्त 2017.