"शेख़ अब्दुल्ला": अवतरणों में अंतर
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यह मैट्रिक परीक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से 1922 में उत्तीर्ण हुए। |
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कहा जाता है जवाहर लाल नेहरू द्वारा इन्हें 6 महीने तक जेल में बंद रखा था। |
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==राजनीतिक सफर== |
==राजनीतिक सफर== |
16:26, 20 दिसम्बर 2019 का अवतरण
शेख अब्दुल्ला | |
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कार्यकाल 1977 - 1982 | |
उत्तरा धिकारी | फारूक अब्दुल्ला |
जन्म | 5 दिसम्बर 1905 |
मृत्यु | 8 सितम्बर 1982 | (उम्र 76)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | मुस्लिम |
शेख अब्दुल्ला (१९०५-१९८२) जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री दो विभिन्न अवसरों पर रहे। उनके बेटे फारूक और पोते उमर भी मुख्य मन्त्री रहे हैं।
निजी जीवन
इनके प्रारम्भिक जीवन के बारे में मुख्य महत्वपूर्ण स्रोत इनके द्वारा लिखा गया आतिश-ए-चिनार नामक आत्मकथा है। यह सौरा नामक गाँव में पैदा हुए जो श्रीनगर से बाहर था। इनका जन्म इनके पिता शेख मोहम्मद इब्राहिम के मौत के ग्यारह दिनों के बाद हुआ था। इनके पिता कश्मीरी शाल बनाने और बेचने का कार्य करते थे।
यह मैट्रिक परीक्षा पंजाब विश्वविद्यालय से 1922 में उत्तीर्ण हुए। कहा जाता है जवाहर लाल नेहरू द्वारा इन्हें 6 महीने तक जेल में बंद रखा था।
राजनीतिक सफर
मुख्यमंत्री
इनके जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के पद ग्रहण के पश्चात केन्द्र सरकार और शासन करने वाली कांग्रेस पार्टी ने समर्थन वापस ले लिया। जिसके कारण दुबारा चुनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। चुनाव में भारी मतो से जीत के बाद शेख अब्दुल्ला फिर से मुख्यमंत्री बने। यह 1982 तक (इनके मौत तक) मुख्यमंत्री बने रहे। इनके मौत के बाद इनके सबसे बड़े बेटे फारूक अब्दुल्ला ने मुख्यमंत्री पद हेतु चुनाव लड़ा।
साहित्य
इनके द्वारा रचित एक आत्मकथा आतिशे–चिनार के लिये उन्हें सन् १९८८ में साहित्य अकादमी पुरस्कार (उर्दू) से मरणोपरांत सम्मानित किया गया।[1]
सन्दर्भ
- ↑ "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.
बाहरी कड़ियाँ
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