"मोना लीज़ा": अवतरणों में अंतर

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'''मोना लिसा''' (Mona Lisa या La Gioconda या La Joconde)) [[लिओनार्दो दा विंची]] के द्वारा कृत एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है। यह एक विचारमग्न स्त्री का चित्रण है जो अत्यन्त हल्की मुस्कान लिये हुए है। यह संसार की सम्भवत: सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग है जो पेंटिंग और दृष्य कला की पर्याय मानी जाती है।
'''मोना लिसा''' (Mona Lisa या La Gioconda या La Joconde)) [[लिओनार्दो दा विंची]] के द्वारा कृत एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है। यह एक विचारमग्न स्त्री का चित्रण है जो अत्यन्त हल्की मुस्कान लिये हुए है। यह संसार की सम्भवत: सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग है जो पेंटिंग और दृष्य कला की पर्याय मानी जाती है।
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सम्प्रति यह छवि [[फ्रांस]] के [[लूव्र संग्रहालय|लूविरे संग्रहालय]] में रखी हुई है। संग्रहालय के इस क्षेत्र में 16वीं शताब्दी की इतालवी चित्रकला की कृतियाँ रखी गई हैं। मोनालिसा की असल पेंटिंग केवल 21 इंच लंबी और 30 इंच चौड़ी है। तस्वीर को बचाए रखने के लिए यह एक ख़ास किस्म के शीशे के पीछे रखी गई है जो ना तो चमकता है और ना टूटता है।
सम्प्रति यह छवि [[फ्रांस]] के [[लूव्र संग्रहालय|लूविरे संग्रहालय]] में रखी हुई है। संग्रहालय के इस क्षेत्र में 16वीं शताब्दी की इतालवी चित्रकला की कृतियाँ रखी गई हैं। मोनालिसा की असल पेंटिंग केवल 21 इंच लंबी और 30 इंच चौड़ी है। तस्वीर को बचाए रखने के लिए यह एक ख़ास किस्म के शीशे के पीछे रखी गई है जो ना तो चमकता है और ना टूटता है।


==निर्माता==
==निर्माता==

03:26, 10 जुलाई 2017 का अवतरण

मोनालिसा

मोना लिसा (Mona Lisa या La Gioconda या La Joconde)) लिओनार्दो दा विंची के द्वारा कृत एक विश्व प्रसिद्ध चित्र है। यह एक विचारमग्न स्त्री का चित्रण है जो अत्यन्त हल्की मुस्कान लिये हुए है। यह संसार की सम्भवत: सबसे प्रसिद्ध पेंटिंग है जो पेंटिंग और दृष्य कला की पर्याय मानी जाती है।

ऐसा माना जाता है कि इतालवी चित्रकार लियोनार्दो दा विंची ने मोना लीज़ा नामक यह तस्वीर 1503 से 1506 के बीच बनाई थी। ये तस्वीर फ्लोरेंस के एक गुमनाम से व्यापारी 'फ़्रांसेस्को देल जियोकॉन्डो' की पत्नी 'लीज़ा घेरार्दिनी' को देखकर बनाई गई है।सन्दर्भ त्रुटि: <ref> टैग के लिए समाप्ति </ref> टैग नहीं मिला

फ्लोरेन्स जहाँ पर सन् 1503 में पेंटिंग बननी शुरू हुई वहाँ से प्राप्‍त दस्तावेजों के आधार पर उनका कथन है कि इसी वर्ष के अन्त में मोनालीसा ने एक शिशु को जन्म दिया था। एक इतालवी व अमेरिकी शोधकर्ता द्वारा फ्लोरेन्स से प्राप्‍त चर्च के पादरी द्वारा शिशु के नामकरण की धार्मिक रस्म के दस्तावेजों के हवाले से इस बात की पुष्‍टि की गई है। न्यूलैंड का विश्‍वास है कि मोनालिसा ने अपने पेट में पल रहे बच्चे की स्मृति व अनुसंशा से अपना चित्र बनवाया था।[1] उनका कथन है कि संसार में आने वाले नये जीवन का रोमांच व मातृत्व को पुलकित कर देने वाली प्रसन्नता के कारण ही उसके चेहरे पर यह अलैकिक व अद्भुत मुस्कान है। एक अन्य खोज में फ्लोरेंस निवासी जियूसेवे पल्लाती नामक एक अध्यापक ने 25 वर्षों तक शहर के तमाम प्राचीन दस्तावेजों व अभिलेखों की खाख छानने के बाद रहस्योद्धाटन किया, सन् 1495 में एक धनी रेशम व्यापारी सर फ्रांसिस्को डेल जकाडें के साथ लिसा घेरारदिनी का विवाह हुआ था।

सन् 1550 में पुर्नजागरण कालीन कलाकारों के इटली निवासी प्रसिद्ध जीवनी लेखक जार्जियो वसारी द्वारा रेशम व्यापारी की पत्नी लीज़ा घेरार्दिनी की तस्वीर को मोना लीज़ा नाम दिया गया। इतालवी में मोना शब्द मैडम के लिये प्रयुक्त होता है। हलाँकि इसके सदियों बाद तक भी इस कलाकृति में चित्रित इस महिला को उसके अन्य प्रचलित नाम लाजिओकान्डे से भी जाना जाता रहा है। उस समय की अधिकतर कला-कृतियों की भांति इस चित्र में भी कलाकार के हस्ताक्षर, तिथि व पोज देने वाली महिला का नाम मुद्रित नहीं है।

पल्लानती के अनुसार लियनार्डो के पिता सर पियरे व फ्रांसिसको के घर परस्पर अधिक दूरी पर नहीं थे, पर दोनों ही परिवारों के बीच परस्पर घनिष्ठ संबंध थे। उस समय लीज़ा की आयु 24 वर्ष थी।

सदियों से मोनालीसा की रहस्यमय मुस्कुराहट जहाँ रहस्य बनी हुई है वहीं जर्मन के कला इतिहासकार सुश्री माईक बोग्ट-लयरेसन ने दावा किया है कि तस्वीर में दिख रही महिला इटली के अरांगो प्रान्त के डियूक की पत्नी ईशाबेला है। सुश्री माईक के अनुसार ईशाबेला की मुस्कान में दुख है क्योंकि लियनार्डो के पेंटिंग बनाने से कुछ समय पहले ही उसकी माँ का देहान्त हो गया था। माईक की माने तो ईशाबेला का शराबी पति नशे में धुत् होकर उसे अक्सर मारता-पीटता था। अपनी प्रकाशित पुस्तक ‘हू इज मोनालिसा ’ इंसर्च में अनेकों समानतांएं गिनवायी हैं। पुस्तक में आगे लिखा है कि लियनार्डो जो कि डियूक के दरबार में शाही कलाकार थे, ईसाबेला के काफी निकट थे। करीब 8 वर्ष पूर्व जापान में दाँतों के एक डॉक्टर ने यह कह कर सबको हैरत में डाल दिया था कि मोनालिसा की रहस्यमयी मुस्कान का राज उसके ऊपरी जबड़े में आगे के दो दाँतों का टूटा होना है और इसी कारण उसके ऊपरी होठ एक तरफ कुछ दबा हुआ-सा दिखाई दे रहा है, इसी कारण उसका एक ऊपरी होठ एक तरफ से कुछ दबा हुआ सा दिखाई दे रहा है। यही कारण है कि अंजाने में मोनालिसा व रहस्यमय मुस्कान दिखाई देती है जब कि वास्तव में यह मुस्कराहट नहीं बल्कि अपने टूट चुके दाँतों से खाली हुए स्थान को जीभ से होठों को ठेलने का प्रयास कर रही है जिससे होठ दबा हुआ न दिखे। यह डाक्टर पिछले कई वर्षों से मोनालिसा पर शोध कर रहे थे।

दिसम्बर 1986 में अमेरिका के बेल लेबोट्री में कम्प्यूटर वैज्ञानिक सुश्री लिलीयन स्वाडज ने अपने अनुसंधान के आधार पर यह कह कर पूरी दुनिया में तहल्‍का मचा दिया कि लियनार्डो विंची की सुप्रसिद्ध कलाकृति मोनालिसा किसी रहस्यमय युवती का नहीं बल्कि स्वयं चित्रकार का अपना ही आत्म चित्र है। आर्ट एण्ड एनटिक्स नामक पत्रिका में प्रकाशित लेख में सुश्री लिलीयन ने दावा किया कि 1518 में लाल चाक से बनें लिनार्डोविंची का आत्मचित्र व मोनालिसा के चित्र को जब उसने पास-पास रखा तो यह देखकर दंग रह गई कि लियनार्डो तथा मोनालिसा के चेहरे, ऑंखें, गाल, नाक व बालों में अद्भत समानता है। कम्प्यूटर के मदद से जब मोनालिसा के चेहरे के ऊपर लियनार्डो के बाल, दाढ़ी व भवहे लगाकर देखा गया तो वह पूरी तरह लियनार्डो में परिवर्तित हो गई। इसके विपरीत लियनार्डो के चेहरे से यदि दाढ़ी, बाल, मूँछ, भवे आदि हटा दी जाये तो लियनार्डो मोनालिसा में बदल जाते है।

स्वार्ड जी का कथन है कि लियनार्डो ने मोनालिसा के रूप में स्वयं का नारी चित्रण किया है। उन्होंने इसके पीछे एक कलाकार का समलैंगिक होना प्रमुख कारण बताया है। इस बात की प्रबल संभावना है कि विंची समलैंगिक हो और उभय लिंगी विषयों को कलाकृति में ढालने में रूची रखते हो तथा अपनी इसी प्रवित्ती के चलते स्वयं को नारी रूप में चित्रित कर उसे मोनालिसा नाम दिया।

बाहरी कड़ियाँ

  1. फरागो, क्लेयर जे. (1999). Leonardo's projects, c. 1500–1519. टेलर & फ़्रांसिस. पाठ "ISBN 978-0-8153-2935-0" की उपेक्षा की गयी (मदद); |access-date= दिए जाने पर |url= भी दिया जाना चाहिए (मदद)