"तथ्यवाद": अवतरणों में अंतर
No edit summary |
छो robot Adding: oc:Positivisme |
||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
[[ar:وضعية]] |
[[ar:وضعية]] |
||
[[az:Pozitivizm]] |
[[az:Pozitivizm]] |
||
⚫ | |||
⚫ | |||
[[bg:Позитивизъм]] |
[[bg:Позитивизъм]] |
||
⚫ | |||
⚫ | |||
[[ca:Positivisme]] |
[[ca:Positivisme]] |
||
[[cs:Pozitivismus]] |
[[cs:Pozitivismus]] |
||
पंक्ति 25: | पंक्ति 25: | ||
[[el:Θετικισμός]] |
[[el:Θετικισμός]] |
||
[[en:Positivism]] |
[[en:Positivism]] |
||
⚫ | |||
[[eo:Pozitivismo]] |
[[eo:Pozitivismo]] |
||
⚫ | |||
[[fa:اثباتگرایی]] |
[[fa:اثباتگرایی]] |
||
⚫ | |||
[[fr:Positivisme]] |
[[fr:Positivisme]] |
||
[[gl:Positivismo]] |
[[gl:Positivismo]] |
||
⚫ | |||
[[hu:Pozitivizmus]] |
|||
[[id:Positivisme]] |
[[id:Positivisme]] |
||
[[it:Positivismo]] |
[[it:Positivismo]] |
||
⚫ | |||
⚫ | |||
[[ka:პოზიტივიზმი]] |
[[ka:პოზიტივიზმი]] |
||
[[lv:Pozitīvisms]] |
|||
[[lt:Pozityvizmas]] |
[[lt:Pozityvizmas]] |
||
[[ |
[[lv:Pozitīvisms]] |
||
[[nl:Positivisme]] |
[[nl:Positivisme]] |
||
⚫ | |||
[[no:Positivisme]] |
[[no:Positivisme]] |
||
[[oc:Positivisme]] |
|||
[[pl:Pozytywizm]] |
[[pl:Pozytywizm]] |
||
[[pt:Positivismo]] |
[[pt:Positivismo]] |
||
पंक्ति 45: | पंक्ति 47: | ||
[[sk:Pozitivizmus]] |
[[sk:Pozitivizmus]] |
||
[[sr:Позитивизам]] |
[[sr:Позитивизам]] |
||
⚫ | |||
[[sv:Positivism]] |
[[sv:Positivism]] |
||
[[tr:Pozitivizm]] |
[[tr:Pozitivizm]] |
13:07, 19 फ़रवरी 2009 का अवतरण
तथ्यवाद के दर्शन के अनुसार केवल वही ज्ञान प्रामाणिक ज्ञान (authentic knowledge) है जो ज्ञानेन्द्रियों से प्राप्त अनुभव पर आधारित हो।
इतिहास एवं विकास
बीज रूप में तथ्यवाद (Positivism) कुछ प्राचीन विचाराकों की शिक्षा में विद्यमान था, परंतु इसे एक दर्शन शाखा का पद देने का श्रेय आगस्त काँत (1798-1857) को है। काम्ट के सिद्धांत में मौलिक स्थान मानसिक विकास के उस नियम का है, जिसे उसने ऐतिहासिक रूप में ज्ञान की सभी शाखाओं पर लागू किया। यह मानसिक विकास की तीन मंजिलों या अवस्थाओं का नियम (Law of three stages) है। उसका कथन है-
मानव बुद्धि की बनावट ही ऐसी है कि ज्ञान की प्रत्येक शाखा अपने विकास में तीन अवस्थाओं से गुजरने पर विवश होती है - दैवी या कल्पित अवस्था, दार्शनिक या अमूर्त अवस्था और वैज्ञानिक या तथ्य अवस्था ( the theological, or fictitious; the metaphysical, or abstract; and the scientific, or positive)। पहली अवस्था में मनुष्य निसर्ग की घटनाओं को किसी चेतन के संकल्पों के रूप में देखता है, दूसरी अवस्था में इन संकल्पों में से चेतना निकाल दी जाती है और देवों का स्थान अचेतन प्रक्रिया ले लेती है, तीसरी अवस्था में, जिसमें मानव जाति अभी प्रविष्ट हुई है, बुद्धि इसी पर संतोष करती है कि घटनाओं को एकत्र करे और उनमें सहभाव या क्रम के संबंध को देखें। धर्म और दर्शन ने अपने काल में बुद्धि के विकास में अमूल्य सहायता दी, परंतु अब उनका समय समाप्त हो चुका है और उनके अध्ययन का मूल्य ऐतिहासिक ही है। अब विज्ञान का युग है।
विज्ञान की सभी शाखाएँ समान वेग से प्रगति नहीं करतीं, कोई आगे निकल जाती है, कोई पीछे रह जाती है। काम्ट ने विज्ञान की शाखाओं को क्रमबद्ध किया। सामान्य और सरल से चलकर विशेष और असरल की और बढ़ा। इस क्रम में उसने गणित, ज्योतिष, भौतिकी, रसायन, जीवविद्या और समाजशास्त्र को स्थान दिया। समाजशास्त्र का तो वह जन्मदाता ही समझा जाता है।
काम्ट ने धर्म और दर्शन को भूतकाल की वस्तु कहा, परंतु अपने सिद्धांत को पॉजिटिव फिलासोफी नाम दिया और "मानवता के धर्म" की नींव रखी। मनुष्यों में भी स्त्री को प्रथम स्थान दिया और कहा अब आगे मनुष्य का सिर स्त्री के सामने ही झुकेगा।