"भौतिक मॉडल": अवतरणों में अंतर

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किसी वस्तु या प्रक्रम के वास्तविक आकार से बड़ा या छोटा आकार की प्रतिकृति उस वस्तु या प्रक्रम की '''भौतिक मॉडल''' (physical model) कहलाती है। जिस वस्तु का (भौतिक) मॉडल बनाया जाता है उसका वास्तविक आकार बहुत ही छोटा (जैसे-परमाणु) या बहुत बडा (जैसे- सौर तंत्र) हो सकता है; अथवा वास्तविक आकार के बजाय उसका लघु आकार का मॉडल बनाकर परीक्षण करना कम खर्चीला हो सकता है।
किसी वस्तु या प्रक्रम के वास्तविक आकार से बड़ा या छोटा आकार की प्रतिकृति उस वस्तु या प्रक्रम की '''भौतिक मॉडल''' (physical model) कहलाती है। जिस वस्तु का (भौतिक) मॉडल बनाया जाता है उसका वास्तविक आकार बहुत ही छोटा (जैसे-परमाणु) या बहुत बडा (जैसे- सौर तंत्र) हो सकता है; अथवा वास्तविक आकार के बजाय उसका लघु आकार का मॉडल बनाकर परीक्षण करना कम खर्चीला हो सकता है।


पहले भौतिक मॉडल का निर्माण बहुत प्रचलित था किन्तु वर्तमान समय में कम्प्यूटर और सिमुलेशन सॉफ्टवेयर की सहायता से [[गणितीय मॉडल]] बनाकर सिमुलेशन करना अधिक सस्ता, सरल, सुरक्षित एवं सुविधाजनक हो गया है। भौतिक मॉडल का उपयोग किसी जटिल वस्तु, तन्त्र या प्रक्रिया के देखने () के लिये भी किया जाता है/था किन्तु आजकल कम्प्यूटर पर भी भांति-भांति से और अलग-अलग कोणों से किसी वस्तु के चित्र को देखा और समझा जा सकता है।
पहले भौतिक मॉडल का निर्माण बहुत प्रचलित था किन्तु वर्तमान समय में कम्प्यूटर और सिमुलेशन सॉफ्टवेयर की सहायता से [[गणितीय मॉडल]] बनाकर सिमुलेशन करना अधिक सस्ता, सरल, सुरक्षित एवं सुविधाजनक हो गया है। भौतिक मॉडल का उपयोग किसी जटिल वस्तु, तन्त्र या प्रक्रिया के देखने (visualization) के लिये भी किया जाता है/था किन्तु आजकल कम्प्यूटर ग्राफिक्स की सहायता से भांति-भांति से और अलग-अलग कोणों से किसी वस्तु के चित्र को देखा और समझा जा सकता है।





09:08, 5 मई 2008 का अवतरण

सिंगापुर सिटी सेन्टर का लघु प्रारूप (मॉडल)
युद्ध के दृष्य का प्रारूप — आस्ट्रेलियायी युद्ध स्मारक, कैन्बरा

किसी वस्तु या प्रक्रम के वास्तविक आकार से बड़ा या छोटा आकार की प्रतिकृति उस वस्तु या प्रक्रम की भौतिक मॉडल (physical model) कहलाती है। जिस वस्तु का (भौतिक) मॉडल बनाया जाता है उसका वास्तविक आकार बहुत ही छोटा (जैसे-परमाणु) या बहुत बडा (जैसे- सौर तंत्र) हो सकता है; अथवा वास्तविक आकार के बजाय उसका लघु आकार का मॉडल बनाकर परीक्षण करना कम खर्चीला हो सकता है।

पहले भौतिक मॉडल का निर्माण बहुत प्रचलित था किन्तु वर्तमान समय में कम्प्यूटर और सिमुलेशन सॉफ्टवेयर की सहायता से गणितीय मॉडल बनाकर सिमुलेशन करना अधिक सस्ता, सरल, सुरक्षित एवं सुविधाजनक हो गया है। भौतिक मॉडल का उपयोग किसी जटिल वस्तु, तन्त्र या प्रक्रिया के देखने (visualization) के लिये भी किया जाता है/था किन्तु आजकल कम्प्यूटर ग्राफिक्स की सहायता से भांति-भांति से और अलग-अलग कोणों से किसी वस्तु के चित्र को देखा और समझा जा सकता है।


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