"मीनास्य तारा": अवतरणों में अंतर
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छो फ़ुमलहौत का नाम बदलकर मीनास्य तारा कर दिया गया है। |
(कोई अंतर नहीं)
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03:46, 1 जुलाई 2011 का अवतरण
मीनास्य या फ़ुमलहौत, जिसे बायर नामांकन के अनुसार α पाइसिस ऑस्ट्राइनाइ कहा जाता है, दक्षिण मीन तारामंडल का भी सब से रोशन तारा है और पृथ्वी के आकाश में नज़र आने वाले तारों में से भी सब से ज़्यादा रोशन तारों में गिना जाता है। यह पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध (हॅमिस्फ़ेयर) में पतझड़ और सर्दी के मौसम में शाम के वक़्त दक्षिणी दिशा में आसमान में पाया जाता है। यह पृथ्वी से २५ प्रकाश-वर्ष की दूरी पर है और इस से अत्यधिक अधोरक्त (इन्फ़्रारॅड) प्रकाश उत्पन्न होता है, जिसका अर्थ यह है के यह एक मलबे के चक्र से घिरा हुआ है।
ग़ैर-सौरीय ग्रहों की खोज में फ़ुमलहौत का ख़ास स्थान है क्योंकि यह पहला ग्रहीय मण्डल है जिसके एक ग्रह (फ़ुमलहौत बी) की तस्वीर खीची जा सकी थी।
नाम
"फ़ुमलहौत" अरबी के "फ़ुम अल-हौत" (فم الحوت) का बिगड़ा हुआ रूप है, जिसका अर्थ "व्हेल का मुँह" होता है। अंग्रेज़ी में फ़ुमलहौत को "Fomalhaut" लिखते हैं।
वर्णन
फ़ुमलहौत एक छोटी उम्र का सितारा है और इसकी आयु १०-३० करोड़ साल अनुमानित की जाती है। अंदाज़ा लगाया जाता है के इसका इंधन इसे कुल मिलकर लगभग १०० करोड़ (यानि १ अरब) की जीवनी देता है। इसकी सतह का तापमान ८,७५१ केल्विन (८,४७८ डिग्री सेंटीग्रेड) के आसपास है। फ़ुमलहौत का द्रव्यमान हमारे सूरज से २।१ गुना, उसका व्यास (डायामीटर) सूरज से १।८ गुना और रोशनी की तीक्ष्णता सूरज से १८ गुना अधिक है।