"भीम जन्मभूमि": अवतरणों में अंतर

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==रचना==
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[[File:Prime Minister Narendra Modi visits birthplace of Dr. Babasaheb Ambedkar in Mhow.jpg|thumb|250px|right|[[नरेन्द्र मोदी]] भीम जन्मभूमि स्मारक के अंदर बाबासाहेब एवं [[रमाबाई आंबेडकर|रमाबाई]] के मुर्तियो को अभिवादन करते हुए]]
स्मारक की संरचना बौद्ध वास्तुकला की तरह है। स्मारक के प्रवेश द्वार के पास आम्बेडकर की एक बडी मूर्ति स्थापित की गई है। मुर्ति के उपर [[अशोक चक्र]] का चिह्न और उसके उपर ''भीम जन्मभूमि'' यह नाम अंकित हैं। स्मारक के सामने और स्मारक के शीर्ष पर दो [[बौद्ध ध्वज]] हैं। स्मारक के अंदर, आम्बेडकर की उनके जीवन काल अनुसार कई तस्वीरें लगी हुई हैं। इसके अलावा अंदर भीमराव आम्बेडकर और [[रमाबाई आंबेडकर]] की मूर्तियां भी हैं।
स्मारक की संरचना बौद्ध वास्तुकला की तरह है। स्मारक के प्रवेश द्वार के पास आम्बेडकर की एक बडी मूर्ति स्थापित की गई है। मुर्ति के उपर [[अशोक चक्र]] का चिह्न और उसके उपर ''भीम जन्मभूमि'' यह नाम अंकित हैं। स्मारक के सामने और स्मारक के शीर्ष पर दो [[बौद्ध ध्वज]] हैं। स्मारक के अंदर, आम्बेडकर की उनके जीवन काल अनुसार कई तस्वीरें लगी हुई हैं। इसके अलावा अंदर भीमराव आम्बेडकर और [[रमाबाई आंबेडकर]] की मूर्तियां भी हैं।



10:33, 27 मई 2018 का अवतरण

प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी भीम जन्मभूमि स्मारक के आम्बेडकर की मुर्ति को पुष्प अर्पित करते हुए, 14 अप्रैल 2016

भीम जन्मभूमि मध्य प्रदेश के महू (डॉ॰ आम्बेडकर नगर) में स्थित भीमराव आम्बेडकर का जन्मस्थान है। आम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को एक सैन्य छावनि महू के काली पलटन इलाके में हुआ था। यहां मध्य प्रदेश सरकार ने उनकी जन्मस्थली पर एक भव्य स्मारक बनाया है, जिसे 'भीम जन्मभूमि' नाम दिया गया है। स्मारक का उद्घाटन 14 अप्रैल 1991 को 100 वीं आम्बेडकर जयंती के दिन मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री सुंदरलाल पटवा द्वारा हुआ था। स्मारक की रचना वास्तुकार ईडी निमगेड द्वारा की गयी थी। बाद में स्मारक को 14 अप्रैल, 2008 को 117 वीं आंबेडकर जयन्ती के मौके पर लोकार्पित किया था।

हर साल, लाखों आम्बेडकरवादी, बौद्ध और पर्यटक आम्बेडकर को अभिवादन करने इस उनके जन्मभूमि स्थान की जगह पर जाते हैं। यह स्थान भोपाल से दो से तीन घंटे और इंदौर से 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर आम्बेडकर को अभिवादन करने के लिए, भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 2016 में 125 वीं आम्बेडकर जयंती के दिवस पर दौरा किया था। 2018 में 127 वीं आम्बेडकर जयंती पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महू का दौरा करके बाबासाहब आम्बेडकर को अभिवादन किया था। पंचतीर्थ के रुप में भारत सरकार द्वारा विकसित किये जा रहे आम्बेडकर के जीवन से संबंधित पांच स्थलों में से यह एक है।

इतिहास

डॉ॰ भीमराव आम्बेडकर के पिता रामजी मालोजी सकपाल ने पुणे में पंतोजी स्कूल में अपनी शिक्षा पूरी की। अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्होंने सेना में एक शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया और बाद में स्कूल में शिक्षक बन गए। तब उन्हें प्रिंसिपल के पद पर पदोन्नत किया गया। हेडमास्टर के काम के 14 साल बाद, उन्हें मेजर (सुबेदार) के रूप में सेना में पदोन्नत किया गया। बाद में, वह महू में नौकरी के लिए रुक गये। क्योंकि महू युद्ध का सैन्य मुख्यालय था। 14 अप्रैल, 1891 को महू के काली पलटन क्षेत्र में भीमाबाई और रामजी बाबा को एक पुत्र भीम हुआ। भीम को भीमा, भिवा या भीमराव कहाँ जाता था, जो आगे चलकर बाबासाहेब आम्बेडकर नाम से प्रसिद्ध हुये। अस्पृश्यता के उन्मूलन के कारण, भारतीय संविधान का गठन और सामूहिक बौद्ध धम्म दीक्षा और अन्य गतिविधियां, आम्बेडकर को विश्व स्तर पर एक प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में पहचान मिली और इस जगह को अपना महत्व प्राप्त हुआ। इसलिए उनका जन्मस्थान, भारतीय लोगों के लिए विशेषता: अस्पृश्यों के लिए पवित्र भूमि बन गया, और आम्बेडकर के अनुयायीओने इस जन्मभूमि को देखने के लिए आना शुरू कर दिया।

रचना

नरेन्द्र मोदी भीम जन्मभूमि स्मारक के अंदर बाबासाहेब एवं रमाबाई के मुर्तियो को अभिवादन करते हुए

स्मारक की संरचना बौद्ध वास्तुकला की तरह है। स्मारक के प्रवेश द्वार के पास आम्बेडकर की एक बडी मूर्ति स्थापित की गई है। मुर्ति के उपर अशोक चक्र का चिह्न और उसके उपर भीम जन्मभूमि यह नाम अंकित हैं। स्मारक के सामने और स्मारक के शीर्ष पर दो बौद्ध ध्वज हैं। स्मारक के अंदर, आम्बेडकर की उनके जीवन काल अनुसार कई तस्वीरें लगी हुई हैं। इसके अलावा अंदर भीमराव आम्बेडकर और रमाबाई आंबेडकर की मूर्तियां भी हैं।

कार्यक्रम

प्रदेश सरकार ने आम्बेडकर जयंती पर महू में हर साल 'सामाजिक समरसता सम्मेलन' आयोजित किया जाता हैं। इसके अलावा, यहां विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं।

यह भी देखें

संदर्भ