"धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस": अवतरणों में अंतर

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'''अशोक विजयादशमी''' या '''धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस''' डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी के बौद्ध अनुयायी ([[नवयान|नवयानी]]) एक त्यौहार के रूप में हर साल मनाते है। [[मौर्य साम्राज्य|मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] इस दिन [[बौद्ध धर्म]] में परिवर्तित हुए थे।<ref>https://web.archive.org/web/20090410031555/http://nagpur.nic.in/htmldocs/famous.htm</ref> [[14 अक्टूबर]] [[1956]] को [[नागपुर]], [[महाराष्ट्र]] में, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी ने सार्वजनिक रूप से [[बौद्ध धर्म]] को अपना लिया और उनके 8,50,000 अनुयायियों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी। [91] इस दिन को '''धर्मचक्र प्रवर्तन दिवस''' के रूप में मनाया जाता है। नागपुर में जिस मैदान पर यह सामूदायित धार्मिक रूपांतरण समारोह हुआ उस जगह को [[दीक्षाभूमि]] के रूप में जाना जाता है। बाबासाहेब ने [[अशोक विजयादशमी]] के दिन ही बौद्ध धम्म की [[दीक्षा]] ली थी, क्योंकि इस दिन ही [[मौर्य साम्राज्य|मौर्य]] [[सम्राट अशोक]] बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए थे। हर साल 15 लाख से अधिक बौद्ध लोग विशेष रूप से आंबेडकरवादी दुनिया भर से धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के उपलक्ष्य में दीक्षाभूमि आते है।
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इस दिन डॉ. आंबेडकर ने [[भारत में बौद्ध धर्म का पुनरुत्थान]] किया है। ‘अशोक विजयादशमी’ तीथी के अनुसार [[दशहरा|दशहरे]] के दिन मनाया जाता है और ‘धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस’ तारिख के अनुसार सालाना [[14 अक्टूबर]] को मनाया जाता है। वास्तव में यह एक ही त्यौहार के दो नाम है जिन्हें तारिख और तीथी के अनुसार दो अलग अलग दिन भी मनाया जाता है।
इस दिन डॉ. आंबेडकर ने [[भारत में बौद्ध धर्म का पुनरुत्थान]] किया है। ‘अशोक विजयादशमी’ तीथी के अनुसार [[दशहरा|दशहरे]] के दिन मनाया जाता है और ‘धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस’ तारिख के अनुसार सालाना [[14 अक्टूबर]] को मनाया जाता है। वास्तव में यह एक ही त्यौहार के दो नाम है जिन्हें तारिख और तीथी के अनुसार दो अलग अलग दिन भी मनाया जाता है।


व्यापक रूप से यह त्यौहार [[दिक्षाभूमी]], ([[नागपुर]], [[महाराष्ट्र]]) में आयोजित किया जाता है। आंबेडकरवादी बौद्ध भाषण, भोजन और बौद्ध-थीम मनोरंजन के साथ समुदाय समारोह का आयोजन करते है। इस उत्सव में [[महाराष्ट्र]] के [[मुख्यमंत्री]], अन्य मंत्री और [[जापान]], [[चीन]], [[श्रीलंका]] जैसे कई देशों के बौद्ध विद्वान एवं [[भिक्खु]] शामिल होते है। इस त्यौहार के दिन [[दीक्षाभूमि]] में 20 लाख से अधिक भारतभर से आंबेडकरवादी और विश्वभर से बुद्ध अनुयायी शामिल होते है।
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== संदर्भ ==
इस पर्व को भारत के बौद्ध विहारों में , बौद्ध नगर या बौद्ध इलाकों भी मनाया जाता है।
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==बाहरी कडिया ==

== इन्हें भी देखें ==
* [[आंबेडकर जयंती]]
*[[बुद्ध जयंती]]
*[[लोशर]]


[[श्रेणी:बौद्ध धर्म]]
[[श्रेणी:बौद्ध धर्म]]

07:22, 4 फ़रवरी 2017 का अवतरण

यह लेख भारत के एक बौद्ध पर्व के बारें में है, जिसे व्यापक रूप में दीक्षाभूमि, महाराष्ट्र में मनाया जाता है।

धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस या अशोक विजयादशमी डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी के नवयानी बौद्ध अनुयायी (नवयानी) एक त्यौहार के रूप में हर साल मनाते है। 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर, महाराष्ट्र में, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी ने सार्वजनिक रूप से बौद्ध धर्म को अपना लिया और उनके 8,50,000 अनुयायियों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी। [91] इस दिन को धर्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है। नागपुर में जिस मैदान पर यह सामूदायित धार्मिक रूपांतरण समारोह हुआ उस जगह को दीक्षाभूमि के रूप में जाना जाता है। बाबासाहेब ने अशोक विजयादशमी के दिन ही बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी, क्योंकि इस दिन ही मौर्य सम्राट अशोक बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए थे।[1] हर साल 15 लाख से अधिक बौद्ध लोग विशेष रूप से आंबेडकरवादी दुनिया भर से धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के उपलक्ष्य में दीक्षाभूमि आते है।

इस दिन डॉ. आंबेडकर ने भारत में बौद्ध धर्म का पुनरुत्थान किया है। ‘अशोक विजयादशमी’ तीथी के अनुसार दशहरे के दिन मनाया जाता है और ‘धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस’ तारिख के अनुसार सालाना 14 अक्टूबर को मनाया जाता है। वास्तव में यह एक ही त्यौहार के दो नाम है जिन्हें तारिख और तीथी के अनुसार दो अलग अलग दिन भी मनाया जाता है।

व्यापक रूप से यह त्यौहार दिक्षाभूमी, (नागपुर, महाराष्ट्र) में आयोजित किया जाता है। आंबेडकरवादी बौद्ध भाषण, भोजन और बौद्ध-थीम मनोरंजन के साथ समुदाय समारोह का आयोजन करते है। इस उत्सव में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, अन्य मंत्री और जापान, चीन, श्रीलंका जैसे कई देशों के बौद्ध विद्वान एवं भिक्खु शामिल होते है। इस त्यौहार के दिन दीक्षाभूमि में 20 लाख से अधिक भारतभर से आंबेडकरवादी और विश्वभर से बुद्ध अनुयायी शामिल होते है। यह त्यौहार भारत के बौद्ध विहारों में , बौद्ध नगर या बौद्ध इलाकों भी मनाया जाता है।

संदर्भ

बाहरी कडिया

इन्हें भी देखें