"धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस": अवतरणों में अंतर

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भारतीय बौद्ध त्यौहार धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस पर लेख लिखा है
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07:10, 4 फ़रवरी 2017 का अवतरण

अशोक विजयादशमी या धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी के बौद्ध अनुयायी (नवयानी) एक त्योहार के रूप में हर साल मनाते है। मौर्य सम्राट अशोक इस दिन बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए थे।[1] 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर, महाराष्ट में, डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जी ने सार्वजनिक रूप से बौद्ध धर्म को अपना लिया और उनके 8,50,000 अनुयायियों को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी। [91] इस दिन को धर्मचक्र प्रवर्तन दिवस के रूप में मनाया जाता है। नागपुर में जिस मैदान पर यह सामूदायित धार्मिक रूपांतरण समारोह हुआ उस जगह को दीक्षाभूमि के रूप में जाना जाता है। बाबासाहेब ने अशोक विजयादशमी के दिन ही बौद्ध धम्म की दीक्षा ली थी, क्योंकि इस दिन ही मौर्य सम्राट अशोक बौद्ध धर्म में परिवर्तित हुए थे। हर साल 15 लाख से अधिक बौद्ध लोग विशेष रूप से आंबेडकरवादी दुनिया भर से धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस के उपलक्ष्य में दीक्षाभूमि आते है।

इस दिन डॉ. आंबेडकर ने भारत में बौद्ध धर्म का पुनरुत्थान किया है। ‘अशोक विजयादशमी’ तीथी के अनुसार दशहरे के दिन मनाया जाता है और ‘धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस’ तारिख के अनुसार सालाना 14 अक्टूबर को मनाया जाता है। वास्तव में यह एक ही त्यौहार के दो नाम है जिन्हें तारिख और तीथी के अनुसार दो अलग अलग दिन भी मनाया जाता है।

व्यापक रूप से यह त्यौहार दिक्षाभूमी, (नागपुर, महाराष्ट्र) में आयोजित किया जाता है। आंबेडकरवादी बौद्ध भाषण, भोजन और बौद्ध-थीम मनोरंजन के साथ समुदाय समारोह का आयोजन करते है। इस उत्सव में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, अन्य मंत्री और जापान, चीन, श्रीलंका जैसे कई देशों के बौद्ध विद्वान एवं भिक्खु शामिल होते है। इस त्यौहार के दिन दीक्षाभूमि में 20 लाख से अधिक भारतभर से आंबेडकरवादी और विश्वभर से बुद्ध अनुयायी शामिल होते है।

इस पर्व को भारत के बौद्ध विहारों में , बौद्ध नगर या बौद्ध इलाकों भी मनाया जाता है।

  1. https://web.archive.org/web/20090410031555/http://nagpur.nic.in/htmldocs/famous.htm