"नवयान": अवतरणों में अंतर

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
पंक्ति 24: पंक्ति 24:
दलितों को लगने लगा है कि हिंदू धर्म से बाहर निकलना उनके लिए बेहतर रास्ता हो सकता है क्योंकि बीते सालों में नवबौद्धों की हालत सुधरी है जबकि हिंदू दलितों की जिंदगी वोट बैंक के रूप संगठित होने के बावजूद ज्यादा नहीं बदली है. 125वी आंबेडकर जयंती पर रोहित वेमुला की मां और भाई ने भी [[बौद्ध धर्म]] स्वीकार किया है.
दलितों को लगने लगा है कि हिंदू धर्म से बाहर निकलना उनके लिए बेहतर रास्ता हो सकता है क्योंकि बीते सालों में नवबौद्धों की हालत सुधरी है जबकि हिंदू दलितों की जिंदगी वोट बैंक के रूप संगठित होने के बावजूद ज्यादा नहीं बदली है. 125वी आंबेडकर जयंती पर रोहित वेमुला की मां और भाई ने भी [[बौद्ध धर्म]] स्वीकार किया है.


; नवबौद्धों की जीवन स्थिति
=== नवबौद्धों की जीवन स्थिति ===
सन 2001 की जनगणना के मुताबिक देश में बौद्धों की जनसंख्या अस्सी लाख है जिनमें से अधिकांश नवबौद्ध यानि हिंदू दलितों से धर्म बदल कर बने हैं.
सन 2001 की जनगणना के मुताबिक देश में बौद्धों की जनसंख्या अस्सी लाख है जिनमें से अधिकांश नवबौद्ध यानि हिंदू दलितों से धर्म बदल कर बने हैं.


सबसे अधिक 59 लाख बौद्ध [[महाराष्ट्र]] में बने हैं। [[उत्तर प्रदेश]] में सिर्फ 3 लाख के आसपास नवबौद्ध हैं फिर भी कई इलाकों में उन्होंने हिंदू कर्मकांडों को छोड़ दिया है. पूरे देश में 1991 से 2001 के बीच बौद्धों की आबादी में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
सबसे अधिक 59 लाख बौद्ध [[महाराष्ट्र]] में बने हैं। [[उत्तर प्रदेश]] में सिर्फ 3 लाख के आसपास नवबौद्ध हैं फिर भी कई इलाकों में उन्होंने हिंदू कर्मकांडों को छोड़ दिया है. पूरे देश में 1991 से 2001 के बीच बौद्धों की आबादी में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.


;1. लिंग अनुपात:
नवबौद्धों में स्त्री-पुरूष अनुपात 953 प्रति हजार है जबकि हिंदू दलितों में 936 है. दूसरे अल्पसंख्कों मुसलमान, सिक्ख और जैनियों की तुलना में यह अनुपात काफी ज्यादा है. छह वर्ष तक के बच्चों में लड़कियों और लड़कों का लिंग अनुपात 942 है जबकि हिंदू दलितों में 935 जिसका मतलब है कन्या भ्रूण हत्या की स्थिति सुधरी है.
हिन्दू दलितों के 936 की तुलना में बौद्धों के बीच महिला और पुरुष का लिंग अनुपात 953 प्रति हजार है। यह सिद्ध करता है कि बौद्ध परिवारों में महिलाओं की स्थिति में अब तक हिन्दू दलितों की तुलना में बेहतर है। यह काफी बौद्ध समाज में महिलाओं की उच्च स्थिति के अनुसार है। बौद्धों का यह अनुपात [[हिन्दु]]ओं (931), [[मुसलमान]]ों(936), [[सिख]] (893) और [[जैन]] (940) की तुलना में अधिक है।


;2. बच्चों का लिंग अनुपात (0-6 वर्ष):
हिंदू से धर्म बदल बौद्ध हुए दलितों में शिक्षा दर 72.7 प्रतिशत है जबकि हिंदू दलितों में सिर्फ 55 प्रतिशत, महिलाओं की शिक्षा दर क्रमशः 62 और 55 प्रतिशत है. अध्ययन के मुताबिक नवबौद्धों में जागरूकता के कारण रोजगार का प्रतिशत भी बेहतर हुआ है और वे अपेक्षाकृत संपन्न हुए हैं.
2001 की जनगणना के अनुसार बौद्धों के बीच लड़कियों और लड़कों का लिंग अनुपात 942 है, हिन्दू दलितों के 938 के मुकाबले के अनुसार यह अधिक हैं। यह लिंग अनुपात हिन्दुओं (925), सिख (786) की तुलना में बहुत अधिक है, और जैन (870)। यह हिंदू दलित परिवारों के साथ तुलना में है कि लड़कियों को बौद्धों के बीच बेहतर देखभाल और संरक्षण परिणाम हैं।

;3. साक्षरता दर:
बौद्ध अनुयायिओं की साक्षरता दर 72.7 प्रतिशत है जो हिन्दू दलितों (54.70 प्रतिशत) की तुलना में बहुत अधिक है। इस दर में भी हिंदुओं (65.1), मुसलमानों (59.1) और सिखों (69.4) की तुलना में काफी ज्यादा यह पता चलता है कि बौद्ध धर्म हिन्दू दलितों से भी अधिक साक्षर हैं।

;4. महिलाओं की साक्षरता :
बौद्ध महिलाओं की साक्षरता दर के रूप में हिंदू दलित महिलाओं के 41.9 प्रतिशत की तुलना में 61.7 प्रतिशत है। यह दर हिंदुओं (53.2) और मुसलमानों (50.1) की तुलना में भी अधिक है। यह बौद्ध समाज में महिलाओं की स्थिति के अनुसार है। इससे पता चलता है कि बौद्धों के बीच महिलाए हिंदू दलित महिलाओं की तुलना में अधिक शिक्षित हो रही है।

;5. काम भागीदारी दर:
बौद्धों के लिए यह दर 40.6 प्रतिशत सबसे अधिक है जो हिन्दू दलितों के लिए अधिक से अधिक 40.4 प्रतिशत है। यह दर हिंदुओं (40.4), मुसलमानों (31.3) ईसाई (39.3), सिख (31.7) की तुलना में भी अधिक है, और जैन (32.7) .यह साबित करता है कि बौद्ध धर्म हिन्दू दलितों से भी अधिक कार्यरत हैं।


==अनुयानी==
==अनुयानी==

17:01, 16 दिसम्बर 2016 का अवतरण

नवयान या भीमयान (अंग्रेजी: Navayana or Bhimyana) भारत का प्रमुख बौद्ध धर्म का सम्प्रदाय हैं। नवयान का अर्थ है – नया यान, और नवयानी बौद्ध अनुयायिओं को नवबौद्ध (नये बौद्ध) भी कहां जाता, क्योंकि वे छह दशक पूर्व ही बौद्ध बने हैं। नवयान को भीमयान नाम डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के मूल भीमराव से पडा हैं। यह सम्प्रदाय महायान, थेरवाद और वज्रयान से पूर्णत अलग हैं किंतु इसमें इन तीनों सम्प्रदायों में से बुद्ध के मूल सिद्धांतो के साथ केवल विज्ञानवादी एवं तर्कशुद्ध सिद्धांत ही लिए गये हैं। इस सम्प्रदाय में किसी भी प्रकार का अंधविश्वास या कुरितीयों को कोई स्थान नहीं हैं। नवयान बौद्ध धर्म के सुरूवात या स्थापना बोधिसत्त्व बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने की थी। उन्होंने 14 अक्टूबर 1956 को दीक्षाभूमि, नागपुर में अपने पांच लाख अनुयायिओं के साथ बौद्ध धर्म का अंगिकार किया था। इससे भारत में बौद्ध धर्म का पुनरूत्थान हुआ हैं।

डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर को बौद्ध धर्म स्विकार करने से पहले एक दिन पूर्व एक पत्रकार ने पूछा था की, ‘आप जो बौद्ध धर्म अपनाने वाले है वो महायान बौद्ध धर्म होगा या हीनयान बौद्ध धर्म ?’ उत्तर में बाबासाहेब ने कहां की, ‘‘मेरा बौद्ध धर्म न तो महायान होगा और न ही हीनयान होगां, इन दोनों संप्रदायों में कुछ अंधविश्वासी बातें हैं इसलिए मेरा ये बौद्ध धर्म नवयान बौद्ध धर्म होंगा। जिसमें किसी बुद्ध के मूल सिद्धांत और केवल विवेकवादी सिद्धांत ही होंगे, कोई भी कुरितीयों या अंधविश्वास नहीं होंगा। यह एक ‘शुद्ध बौद्ध धर्म’ होंगा।’’ पत्रकार ने फिर पूछां, “क्या हम इसे 'भीमयान' कह सकते हैं?” “आप कह सकते हैं, पर मैं नहीं कहूँगा।” डॉ. बाबासाहेब ने जबाब दिया।

शुरूवात

{main:बौद्ध-दलित आंदोलन} वर्तमान भारत में जब-जब भगवान बुद्ध को स्मरण किया जाता है, तब-तब स्वाभाविक रूप से बाबासाहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी का भी नाम लिया जाता है। क्योंकि स्वतंत्रता के बाद बहुत बड़ी संख्या में एक साथ डॉ. आंबेडकर के नेतृत्व में ही बौद्ध धम्म परिवर्तन हुआ था। 14 अक्तूबर, 1956 को नागपुर में यह दीक्षा सम्पन्न हुई। बाबासाहेब के 5,00,000 समर्थक बौद्ध बने है, उगले 2,00,000 फिर तिसरे दिन 16 अक्टूबर को चंद्रपूर में 3,00,000। इस तरह कुल 10 लाख से भी अधिक लोग बाबासाहेब ने केवल तीन दिन में बौद्ध बनाये थे। भारत बौद्ध धर्म का पुनर्जन्म हुआ। और आज बौद्ध धर्म भारत के प्रमुख धर्मों में से एक तथा भारत में तिसरा सबडे बडा धर्म है।

धर्मग्रंथ

भगवान बुद्ध और उनका धम्म

यह ग्रंथ भारतीय बौद्ध अनुयायिओं का धर्म ग्रंथ हैं, जिसे डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने लिखा हैं।

भीमायन

यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के कार्य, जीवनी और आंदोलन को समर्पित हैं।[1]

नवयान[2]

सिद्धांत

“मैं स्वीकार करता हूँ और बुद्ध की शिक्षाओं का पालन करूंगा। मैं हीनयान और महायान, दो धार्मिक आदेशों की अलग अलग राय से मेरे लोगों को दूर रखूंगा। हमारा बौद्ध धर्म एक नया बौद्ध धर्म, नवयान है।”

- डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर, शाम होटल, नागपुर में 13 अक्टूबर 1956 को प्रेस साक्षात्कार[3]

नव बौद्धों का विकास

दलितों को लगने लगा है कि हिंदू धर्म से बाहर निकलना उनके लिए बेहतर रास्ता हो सकता है क्योंकि बीते सालों में नवबौद्धों की हालत सुधरी है जबकि हिंदू दलितों की जिंदगी वोट बैंक के रूप संगठित होने के बावजूद ज्यादा नहीं बदली है. 125वी आंबेडकर जयंती पर रोहित वेमुला की मां और भाई ने भी बौद्ध धर्म स्वीकार किया है.

नवबौद्धों की जीवन स्थिति

सन 2001 की जनगणना के मुताबिक देश में बौद्धों की जनसंख्या अस्सी लाख है जिनमें से अधिकांश नवबौद्ध यानि हिंदू दलितों से धर्म बदल कर बने हैं.

सबसे अधिक 59 लाख बौद्ध महाराष्ट्र में बने हैं। उत्तर प्रदेश में सिर्फ 3 लाख के आसपास नवबौद्ध हैं फिर भी कई इलाकों में उन्होंने हिंदू कर्मकांडों को छोड़ दिया है. पूरे देश में 1991 से 2001 के बीच बौद्धों की आबादी में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.

1. लिंग अनुपात

हिन्दू दलितों के 936 की तुलना में बौद्धों के बीच महिला और पुरुष का लिंग अनुपात 953 प्रति हजार है। यह सिद्ध करता है कि बौद्ध परिवारों में महिलाओं की स्थिति में अब तक हिन्दू दलितों की तुलना में बेहतर है। यह काफी बौद्ध समाज में महिलाओं की उच्च स्थिति के अनुसार है। बौद्धों का यह अनुपात हिन्दुओं (931), मुसलमानों(936), सिख (893) और जैन (940) की तुलना में अधिक है।

2. बच्चों का लिंग अनुपात (0-6 वर्ष)

2001 की जनगणना के अनुसार बौद्धों के बीच लड़कियों और लड़कों का लिंग अनुपात 942 है, हिन्दू दलितों के 938 के मुकाबले के अनुसार यह अधिक हैं। यह लिंग अनुपात हिन्दुओं (925), सिख (786) की तुलना में बहुत अधिक है, और जैन (870)। यह हिंदू दलित परिवारों के साथ तुलना में है कि लड़कियों को बौद्धों के बीच बेहतर देखभाल और संरक्षण परिणाम हैं।

3. साक्षरता दर

बौद्ध अनुयायिओं की साक्षरता दर 72.7 प्रतिशत है जो हिन्दू दलितों (54.70 प्रतिशत) की तुलना में बहुत अधिक है। इस दर में भी हिंदुओं (65.1), मुसलमानों (59.1) और सिखों (69.4) की तुलना में काफी ज्यादा यह पता चलता है कि बौद्ध धर्म हिन्दू दलितों से भी अधिक साक्षर हैं।

4. महिलाओं की साक्षरता

बौद्ध महिलाओं की साक्षरता दर के रूप में हिंदू दलित महिलाओं के 41.9 प्रतिशत की तुलना में 61.7 प्रतिशत है। यह दर हिंदुओं (53.2) और मुसलमानों (50.1) की तुलना में भी अधिक है। यह बौद्ध समाज में महिलाओं की स्थिति के अनुसार है। इससे पता चलता है कि बौद्धों के बीच महिलाए हिंदू दलित महिलाओं की तुलना में अधिक शिक्षित हो रही है।

5. काम भागीदारी दर

बौद्धों के लिए यह दर 40.6 प्रतिशत सबसे अधिक है जो हिन्दू दलितों के लिए अधिक से अधिक 40.4 प्रतिशत है। यह दर हिंदुओं (40.4), मुसलमानों (31.3) ईसाई (39.3), सिख (31.7) की तुलना में भी अधिक है, और जैन (32.7) .यह साबित करता है कि बौद्ध धर्म हिन्दू दलितों से भी अधिक कार्यरत हैं।

अनुयानी

  1. http://navayana.org/blog/2015/01/27/bhimayana-in-hindi-for-just-rs-105/
  2. http://www.bookganga.com/eBooks/Books/details/4857913598252139306
  3. https://web.archive.org/web/20110208224554/http://www.navayan.com/navayan.php?about-navayan