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25 मार्च 2018

  • 14:5014:50, 25 मार्च 2018 अन्तर इतिहास +10,022 सदस्य वार्ता:RAWAT GANGDEV SINGH CHOUHANरावत-राजपूतों का इतिहास रावत-राजपूत समाज :~ ईतिहासकारों ने " रावत " का संधि विच्छेद ईस प्रकार किया हैं :- रा = राजपुताना, व = वीर और त = तलवार, अर्थात राजपुताना के बहुधा बलशाली , पराक्रमी क्षत्रिय शूरवीर जो तलवार के धनी हैं, वे रावत- राजपूत कहलाते हैं | यह राज्य की ओर से मिली हुई एक पदवी है जो १० हाथियो की सेना से मुकाबला करने वाले राजपूत शूरवीर योध्दा को प्रदान की जाती थी | इस पदवी का अर्थ राजपुत्र (युवराज ) , प्रधान , प्रतापी शूरवीर , पराक्रमी योध्दा होता है । रावत की पदवी की गरिमा को किसी ने ईन शब्दों में बखान किया हैं :- सौ नरों ऐक शुरमा, सौ शुरो ऐक सामन्त | सौ सामन्त के बराबर होत हैं, ऐक रावत राजपूत ॥ किसी रावत वीर ने अपने परिचय में कहा हैं की :- मैं हों, अजमेरा का राव, रावत राजपुत मोंरी जात | आ, रवताई रावत बीहल ने मिल, हुई बात विख्यात ॥ छत्तीसगढ़ के बहुप्रचलित राऊत शब्द का संधि विच्छेद करने से दो शब्द बनते है-रा ऊत यानि राजपुत्र अर्थात राऊत वे है जो क्षत्रिय वर्ग में अपने गुणो और कर्त्तव्यो में राजपुत्र कहलाते है । रावत शब्द राजपुत्र का ही अपभ्रंश है । राजपूत काल मे रावत जात... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन