Hrishikesh Brahmachari के सदस्य योगदान

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29 मार्च 2020

  • 06:5006:50, 29 मार्च 2020 अन्तर इतिहास +550 श्रीधर स्वामीके अन्त में इनका जन्म ओडिशा प्रान्त के बालेश्वर जिले में हुआ था। यह गोवर्द्धन मठ पुरी पीठ के 116 वें श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य थे। की सबसे प्रसिद्ध टीका श्रीधरीटीका के रचयिता श्रीधर स्वामी पाद ही हैं। ई.1471 के आस पास इनका निर्वाण हुआ था । वर्तमान टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन

16 जनवरी 2020

  • 13:1813:18, 16 जनवरी 2020 अन्तर इतिहास +1,690 द्वयाधारी संख्या पद्धति→‎इतिहास: सबसे पूर्व इस द्वयाधारी पद्धति का वर्णन वेदों में ही प्राप्त होता है । वहाँ भगवान गणेश का एक नाम दिया है "एकदन्त" जिसका अर्थ होता है; एक अर्थात् 1 या माया और दन्त का अर्थ है शून्य(0) या ब्रह्म (god) । एकदन्त अर्थात् शून्य और एक पर आधारित गणितीय विधि । किन्तु वेदों के प्राचीन विद्वानों ने इसे *द्वयंकपद्धति* के नाम से व्यवहार किया था । गोवर्द्धन-मठ पुरीपीठ के 143वें श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी भरती कृष्ण तीर्थ जी महाराज ने अपनी पुस्तक वैदिक गणित में द्वयंकपद्धति के नाम से इसका... टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन