विवाह की संसिद्धि
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कई परंपराओं या सामाजिक प्रथाओं में और सिविल कानून या धार्मिक कानून के अनुसार विवाह को संसिद्ध (consummated) तभी माना जाता है जब विवाह के बाद पति और पत्नी पहली बार सम्भोग करते हैं (यौन सम्बन्ध बनाते हैं)। दूसरे शब्दों में, संसिद्धि के बिना, कानूनी रूप से विवाह 'अपूर्ण' माना जाता है। कुछ सम्प्रदायों में संसिद्धि के लिए एक अतिरिक्त शर्त भी होती है कि शिश्न के योनि में प्रवेश के समय किसी गर्भ निरोधक का प्रयोग न किया गया हो।
हिन्दू विवाह अधिनियम कि धारा १२ के अनुसार, यदि नपुंसकता के कारण विवाह की संसिद्धि न हुई हो तो विवाह शुन्यकरीण हो सकता है।[1][2]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Section 12 in The Hindu Marriage Act, 1955". Archived from the original on 30 अक्तूबर 2016. Retrieved २४ अगस्त २०१७.
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(help) - ↑ "हिन्दू विवाह अधिनियम १९५५ (हिन्दी)". स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग - उत्तर प्रदेश. Archived from the original on 14 अगस्त 2017. Retrieved २८ अगस्त २०१७.