विबुध श्रीधर
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विबुध श्रीधर (विक्रम संवत' ११८९-१२३०) उत्तर भारत में एक प्राचीन कवि थे।[1] वें अग्रवाल जैन समुदाय से थे। [2]
हरियाणए देसे असंखगाम, गामियण जणि अणवरथ काम|
परचक्क विहट्टणु सिरिसंघट्टणु, जो सुरव इणा परिगणियं|
रिउ रुहिरावट्टणु बिउलु पवट्टणु, ढिल्ली नामेण जि भणियं|
“
”
विबुध श्रीधर का एक पद्य
कार्य
[संपादित करें]अब तक इनकी चार पुस्तकों का पता चला हैं[3],
- Pasanaha Chariu (Parshvanatha Charit) (VS 1189)
- Vaddhamana Chariu (Vardhamana Charit) (VS 1190)
- Sukumala Chariu (Sukumala Charit) (VS 1208)
- Bhavisayatta Kahaa (Bhavishyadatta Katha)(VS 1230)
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ An Early Attestation of the Toponym Ḍhillī, by Richard J. Cohen, Journal of the American Oriental Society, 1989, p. 513-519
- ↑ Parmananda Jain Shastri, Agrawalon ka Jain sanskriti men yogadan, Anekanta Oct. 1966, p. 277-281
- ↑ Vaddhamana Chariu, Edited/translated by Rajaram Jain, Bharatiya Jnanapitha, 1975