अग्रवाल जैन
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अग्रवाल जैन एक प्राचीन समुदाय हैं, जो जैन धर्म को मानता हैं। इनकी उत्पत्ति अग्रोहा, हरियाणा[4] से हुआ था। यह समुदाय मुख्य जैन समुदायों में से एक हैं।[5][6][7]
सं १५१० वर्षे माघ सुदी ८ सोमे गोपाचल दुर्गे तोमर वंशान्वये राजा श्री डूंगरेन्द्र देव राज्य पवित्रमाने श्री काष्ठासंघ माथुरान्वये भट्टारक श्री गुणकीर्ति देवास्तत्पट्टे श्री मलयकीर्ति देवास्ततो भट्टारक गुणभद्रदेव पंडितवर्य रइघू तदाम्नाये अग्रोतवंशे वासिलगोत्रे सकेलहा भार्या निवारी तयोः पुत्र विजयष्ट शाह ... साधु श्री माल्हा पुत्र संघातिपति देउताय पुत्र संघातिपति करमसीह श्री चन्द्रप्रभु जिनबिंब महाकाय प्रतिष्ठापित प्रणमति ..शुभं भवतु ..
ग्वालियर किला के एक अभिलेख 1453 CE में अग्रवाल जैन का उल्लेख[8]
प्रमुख अग्रवाल जैन
[संपादित करें]- नट्टल साहु, merchant prince during the rule of Tomar Anangapal and patron of Vibudh Shridhar
- विबुध श्रीधर, author and poet, composer of several texts
- साहु टोडर, supervisor of royal mint and patron of scholars
- राजा हरसुख राय, Mughal treasurer and builder of many Jain temples
- जिनेन्द्र वर्णी compiler of the five volume "Jainendra Siddhanta Kosha" and Saman Suttam compilation.[9]
- साहु शांति प्रसाद जैन, founder of Bharatiya Jnanpith
- इंदु जैन, Billionaire
- आनंद जैन, Jai Corp Limited, Billionaire
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Court calls for Lal Mandir antique idol, Dec 31, 2011, http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-12-31/delhi/30576182_1_antique-idol-summons-international-market[मृत कड़ियाँ]
- ↑ Progressive Jains Of India Satish Kumar Jain, Shraman Sahitya Sansthan, 1975
- ↑ Ahimsa Times, February, 2005, DIGAMBAR JAIN ORGANISATION IN DELHI BECOMES A PIONEER PATH BREAKER FOR UNITY IN JAIN SOCIETY, http://jainsamaj.org/magazines/ahimsatimesshow.php?id=85 Archived 2011-10-21 at the वेबैक मशीन
- ↑ "The story of Hisar". Tribuneindia.com. 2001-08-18. मूल से 1 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2011-11-12.
- ↑ Jaina Bronzes From Hansi by Devendra Handa, Indian Institute of Advanced Study, 2002
- ↑ An Early Attestation of the Toponym Ḍhillī, by Richard J. Cohen, Journal of the American Oriental Society, 1989, p. 513-519
- ↑ Jyotiprasad Jain, Pramukh Jain Etihasik Purush aur mahilayen, Bharatiya Jnanapitha, 1975
- ↑ गोपाचल के जिन मंदिर एवं प्रतिमाएँ
- ↑ Progressive Jains of India By Satish Kumar Jain, 1975, Shraman Sahitya Sansthan