विदेशी विवाह अधिनियम, 1969

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विशेष विवाह अधिनियम, 1969
भारत के बाहर भारत के नागरिकों के विवाह से संबंधित प्रावधान करने के लिए एक अधिनियम।
शीर्षक Act No. 33 of 1969
द्वारा अधिनियमित भारतीय संसद
अधिनियमित करने की तिथि 31 अगस्त 1969
शुरूआत-तिथि 31 अगस्त 1969
स्थिति : प्रचलित

विदेशी विवाह अधिनियम, 1969 भारत की संसद का एक अधिनियम है जिसे 31 अगस्त 1969 को अधिनियमित किया गया था [1] यह अधिनियम भारतीय नागरिकों, या एक भारतीय नागरिक और एक विदेशी नागरिक के बीच भारत से बाहर हुए विवाहों की मान्यता से संबंधित क़ानून को सुव्यवस्थित करने के उद्देश्य से तीसरे विधि आयोग की सिफ़ारिशों के कारण अधिनियमित किया गया था। [2]

उद्देश्य[संपादित करें]

इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य भारत के नागरिकों के भारत से बाहर हुए विवाहों को मान्यता देना था। [3]

न्यायिक समीक्षा[संपादित करें]

सुप्रियो बनाम भारत संघ[संपादित करें]

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया गया कि लिंग पहचान और यौन रुझान की परवाह किए बिना किन्हीं दो वयस्क व्यक्तियों के बीच विवाह को मान्यता दी जाए और अनुच्छेद 14, 15, 19 और 21 के तहत गारंटीशुदा मौलिक अधिकारों को लागू करके (विशेष विवाह अधिनियम और विदेशी विवाह अधिनियम में मौजूद) नोटिस और आपत्ति प्रावधानों को शून्य घोषित किया जाए। [4][5]

अक्टूबर 2020 में, वैभव जैन और पराग विजय मेहता ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका फ़ाइल की और कुछ ही समय के बाद अन्य याचिकाकर्ता भी उनकी याचिका में शामिल हो गए।[6][7] 6 जनवरी 2023 को, उनकी याचिकाओं को सुप्रियो बनाम भारतीय संघ (2023) के साथ सुनवाई के लिए उच्चतम न्यायालय में ट्रांसफ़र कर दिया गया।[8][9] इसके अलावा, अधिकांश याचिकाकर्ताओं ने विशेष विवाह अधिनियम 1954 और विदेशी विवाह अधिनियम के नोटिस और आपत्ति प्रावधानों को चुनौती दी, जो सहजभेद्य अल्पसंख्यकों को चोट पहुँचाते हैं।[10][5][11]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. विदेश विवाह अधिनियम, 31 अगस्त 1969
  2. भारतीय विधि आयोग की 23वीं रिपोर्ट (PDF). भारत का विधि आयोग. 1962.
  3. "विदेशी विवाह अधिनियम, 1969". indiankanoon.org. अभिगमन तिथि 28 February 2023.
  4. Deshwal, Puneet (2023-02-20). "Supreme Court Issues Notice In Plea Seeking Recognition Of Transgender Persons Under Special Marriage Act 1954" [उच्चतम न्यायालय ने विशेष विवाह अधिनियम, 1954, के तहत परलैंगिक/ट्रांसज़ेंडर व्यक्तियों को मान्यता देने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया]. www.verdictum.in (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-22.
  5. "Same-Sex Couples Already Vulnerable, Public Notice Of Intended Wedding Under Special Marriage Act A Deterrent: Plea In Supreme Court, Notice Issued" [समलैंगिक जोड़े पहले से ही असुरक्षित हैं, विशेष विवाह अधिनियम के तहत अभिप्रेत विवाह की सार्वजनिक सूचना एक निवारक है: उच्चतम न्यायालय में याचिका, नोटिस जारी]. www.livelaw.in (अंग्रेज़ी में). 2023-01-06. अभिगमन तिथि 2023-02-27.
  6. Vaibhav Jai & Parag Vijay Mehta versus Union Of India thr. Its Secretary, Ministry of Law and Justice. (PDF) (Writ Petition (Civil)), High Court of Delhi, October 8, 2020, मूल (PDF) से 25 मार्च 2023 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 नवंबर 2023
  7. Nundy, Karuna; Goel, Ruchira; Mukherjee, Utsav; Nagpal, Ragini; Chitravanshi, Abhay (July 5, 2021), Joydeep Sengupta, Russell Blaine Stephens & Mario Leslie Dpenha versus Union Of India thr. Its Secretary, Ministry of Law and Justice. (PDF) (Writ Petition (Civil)), High Court of Delhi, मूल (PDF) से 13 मार्च 2023 को पुरालेखित, अभिगमन तिथि 1 नवंबर 2023
  8. "Supreme Court transfers to itself all petitions on same-sex marriage" [उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिक विवाह पर सभी मौजूद याचिकाएं अपने पास स्थानांतरित करीं]. The Hindu (अंग्रेज़ी में). 2023-01-06. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0971-751X. अभिगमन तिथि 2023-02-13.
  9. Supriyo a.k.a Supriya Chakraborty & Abhay Dang versus Union Of India thr. Secretary Ministry of Law and Justice, W.P.(C) No. 1011/2022 (Supreme Court of India 6 January 2023). Text
  10. Deshwal, Puneet (2023-02-20). "Supreme Court Issues Notice In Plea Seeking Recognition Of Transgender Persons Under Special Marriage Act 1954" [सुप्रीम कोर्ट ने विशेष विवाह अधिनियम 1954 के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को मान्यता देने की मांग वाली याचिका पर नोटिस जारी किया]. www.verdictum.in (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2023-02-22.
  11. भाटिया, गौतम; सक्सेना, उत्कर्ष; सेखरी, अभिनव; जैन, हृषिका (दिसंबर 15, 2022), उत्कर्ष सक्सेना & अनन्य कोटिया बनाम भारत संघ अपने सचिव, विधि एवं न्याय मंत्रालय, के द्वारा (PDF) (रिट याचिका (सिविल)), भारतीय उच्चतम न्यायालय