वार्ता:शालिवाहन

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       {सातवाहन राजवंश }

सातवाहन वंश प्राचीन भारत का एक महान राजवंश है सातवाहन राजाओं ने 300 वर्षों तक शासन किया सातवाहन वंश की स्थापना 60 ईसा पूर्व राजा सिमुक ने की थी। सातवाहन वंश में राजा सिमुक ,शातकर्णी,गौतमीपुत्रशातकर्णी,वशिस्थिपुत्र,पुलुमावी शातकर्णी,यज्ञश्री शातकारणी प्रमुख राजा थे। प्रतिष्ठान सातवाहन वंश की राजधानी रही ,यह महाराष्ट्र के ओरंगाबाद जिले में है सातवाहन साम्राज्य की राजकीय भाषा प्राकृतिक वा लिपि ब्राम्ही थी। इस समय अमरावती कला का विकाश हुआ था। सातवाहन राजवंश में मातृसत्तात्मक प्रचलन में था अर्थात राजाओं के नाम उनकी माता के नाम पर (गौतमीपुत्र शातकारणी)रखने की प्रथा थी लेकिन सातवाहन राजकुल पितृसत्तात्मक था क्योंकि राजसिंहासन का उत्तराधिकारी वंशानुगत ही होता था। सातवाहन राजवंश के द्वारा अजंता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण किया गया था। सातवाहन राजाओं ने चांदी,तांबे,सीसे,पोटीन और कांसे के सिक्कों का प्रचलन किया,ब्राम्हणों को भूमि दान करने की प्रथा का आरंभ सर्वप्रथम सातवाहन राजाओं ने किया था जिसका उल्लेख नानाघाट अभिलेख में है।

 [राजा शालीवाहन {गौतमीपुत्र शातकर्णी}]

"राजा शालीवाहन सातवाहन राजवंश के सबसे प्रतापी वा महान राजा थे,राजा शालीवाहन के शासन काल में यह राजवंश अपनी चरम सीमा पर था । राजा शालीवाहन की मां गौतमी प्रजापति(ब्राम्हण)थी राजा शालीवाहन का जन्म आदिसोसन की कृपा से हुआ था(मत्स्य पुराण के अनुसार)। राजा शालीवाहन का बचपन समस्याओं से भरा हुआ था परंतु राजा शालीवाहन को ईश्वर की घोर तपस्या के फलस्वरूप अनेकों वरदान प्राप्त हुए,जिससे राजा सलीवाहन ने राजपाठ और युद्ध के क्षेत्र में महारथ हासिल की इसलिए इन्हे दक्षिणपथ का स्वामी एवं वर्दिया(वरदान प्राप्त करने वाला) कहा जाता है। वर्तमान में सातवाहन राजवंश की शाखाएं वराडिया (महाराष्ट्र,आंध्र),वर्दीय या वरदिया(उत्तर प्रदेश,मध्य प्रदेश,राजिस्थान)सवांसोलकीया(मध्य प्रदेश)आदि प्रमुख हैं।।"

शालिवाहन प्रमर और सतकर्णी भिन्न हैं[संपादित करें]

शालिवाहन प्रमर सम्राट थे न की सतकर्णी थे। सतकर्णी और प्रमारा वंश के शालिवाहन मे अंतर है। क Aniket M Gautam (वार्ता) 09:31, 27 दिसम्बर 2021 (UTC)[उत्तर दें]