वर्मन राजवंश
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कामरूप राज्य वर्मन राजवंश | |||||||||
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350 CE–655 CE | |||||||||
![]() ७वीं और ८वीं शताब्दी में कामरूप राज्य [1] Kamarupa at its height covered the entire Brahmaputra Valley, North Bengal, Bhutan and northern part of Bangladesh, and at times portions of West Bengal and Bihar.[2] | |||||||||
राजधानी | प्राग्ज्योतिषपुर | ||||||||
आधिकारिक भाषा(एँ) | संस्कृत, कामरूपी प्राकृत | ||||||||
धर्म | हिन्दू | ||||||||
सरकार | राजतंत्र | ||||||||
महाधिराज | |||||||||
• 350 - 374 ई | पुष्यवर्मन | ||||||||
• 518 – 542 ई | भूतिवर्मन | ||||||||
• 600 – 650 ई | भास्करवर्मन | ||||||||
ऐतिहासिक युग | भारत का मध्यकाल | ||||||||
• स्थापित | 350 CE | ||||||||
• अंत | 655 CE | ||||||||
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वर्मन वंश (350-650 ई) कामरूप राज्य का प्रथम ऐतिहासिक राजवंश था। इसकी स्थापना पुष्यवर्मन द्वारा की गयी थी जो समुद्रगुप्त के समकालीन थे। वर्मन वंश के आरम्भिक शासक गुप्त साम्राज्य के अधीनस्थ थे, किन्तु जैसे-जैसे गुप्त साम्राज्य की शक्ति घतती गयी, महेन्द्रवर्मन (470-494) ने दो अश्वमेध यज्ञ किए और कामरूप राज्य की 'स्वतंत्र' छबि बनी रही। समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति के अनुसार कामरूप के राजा को 'प्रत्यन्त नृपति' (सीमान्त राजा) कहा गया है। अदित्यसेन के अप्सद शिलालेख के अनुसार सुस्थिवर्मन को महासेनगुप्त ने लौहित्य के किनारे पराजित किया।
वर्मन राजवंश के पतन के बाद म्लेच्छ राजवंश सत्ता में आया और उसके पश्चात पाल राजवंश।
- ↑ (Dutta 2008:281), reproduced from (Acharya 1968).
- ↑ Sircar (1990a), पृ॰प॰ 63–68.