भारत में शादी के लिये पुरुष जोडे को ’वर’ की उपाधि दी जाती है,वधू स्त्रीलिंग है और वर पुलिंग है। वर एक संस्कृत शब्द है और इसे सामान्य भाषा में दूल्हे के रूप में उपयोग किया जाता है शादी का दूसरा नाम ही विवाह है, विवाह के समय वर (वरण करने वाला) को तीन चार दिन पहले से ही सजाया जाता है, और शादी के बाद वर का शादी के समय पहिनाया जाने वाला मौर हटाकर वर की उपाधि को समाप्त भी कर दिया जाता है।
वर को वट वॄक्ष भी कहा जाता है, बरगद इसका दूसरा नाम है।
दिये जाने वाले आशीर्वाद को भी वर कहा जाता है।
वर को शब्द के अंत में लगाकर कई प्रकार के शब्द बनाये जाते हैं, जैसे जानवर, ताकतवर, इन शब्दों मे वर की उपाधि एक शरीर के लिये दी जाती है, जैसे जानवर में अगर कह दिया जाये कि वर मे जान है, और दूसरी तरफ़ कह दिया जाये कि वर में ताकत है।
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