लेज़र प्रिंटर
साँचा:History of printing एक लेज़र प्रिंटर कम्प्यूटर प्रिंटर का एक आम प्रकार है, जो तीव्र गति से किसी सादे कागज़ पर उच्च गुणवत्ता वाले अक्षर और चित्र उत्पन्न (मुद्रित) करता है। डिजिटल फोटोकॉपियर्स या बहु-कार्यात्मक प्रिंटर्स (MFPs) की ही तरह लेज़र प्रिंटर में भी एक ज़ेरोग्राफिक प्रिंटिंग प्रक्रिया का प्रयोग किया जाता है, लेकिन यह एनालॉग फोटोकॉपियर्स से इस रूप में अलग होता है कि प्रिंटर के फोटोकॉपियर पर एक लेज़र किरण की प्रत्यक्ष स्कैनिंग के द्वारा छवि उत्पन्न की जाती है।1
अवलोकन
[संपादित करें]एक लेज़र किरण प्रिंट किये जाने वाले पृष्ठ का एक चित्र घूमते हुए विद्युतीय रूप से आवेशित ड्रम, जिस पर सेलेनियम की परत चढ़ी होती है, पर प्रक्षेपित करती है। प्रकाश-चालकता उन क्षेत्रों से आवेश को हटा देती है, जिन पर प्रकाश पड़ रहा हो। तब सूखी स्याही (टोनर) के कणों को ड्रम के आवेशित क्षेत्रों द्वारा विद्युतीय रूप से उठाया जाता है। इसके बाद ड्रम प्रत्यक्ष संपर्क और उष्मा, जो स्याही को कागज़ पर मिलाती है, के द्वारा छवि को कागज़ पर प्रिंट करता है।
प्रिंटर के अन्य प्रकारों की तुलना में लेज़र प्रिंटर के अनेक महत्वपूर्ण लाभ हैं। इम्पैक्ट प्रिंटरों के विपरीत, लेज़र प्रिंटर की गति में व्यापक अंतर हो सकता है और यह अनेक कारकों पर निर्भर होती है, जिनमें किये जा रहे कार्य की रेखाचित्रीय तीव्रता शामिल है। सबसे तेज़ गति वाले मॉडल प्रति मिनट एक रंग वाले 200 से अधिक पृष्ठ (12,000 पृष्ठ प्रति घंटा) मुद्रित कर सकते हैं। सबसे तेज़ गति वाले रंगीन लेज़र प्रिंटर प्रति मिनट 100 से अधिक (6000 पृष्ठ प्रति घंटा) मुद्रित कर सकते हैं। अत्यधिक उच्च-गति वाले लेज़र प्रिंटरों का प्रयोग निजीकृत दस्तावेजों, जैसे क्रेडिट कार्ड या सुविधा-बिलों, के सामूहिक प्रेषण के लिये किया जाता है और कुछ वाणिज्यिक अनुप्रयोगों में इनकी प्रतिस्पर्धा लिथोग्राफी से है। [उद्धरण चाहिए]
इस प्रौद्योगिकी की लागत कारकों के एक संयोजन पर निर्भर होती है, जिसमें कागज़, टोनर और कभी-कभी ड्रम के प्रतिस्थापन की लागत व साथ ही फ्यूज़र असेम्बली और स्थानांतरण असेम्बली जैसे अन्य उपभोग्य सामग्रियां शामिल हैं। नर्म प्लास्टिक ड्रम वाले प्रिंटर्स में अक्सर स्वामित्व की लागत उच्च हो सकती है, जो तब तक दिखाई नहीं पड़ती, जब तक कि ड्रम के प्रतिस्थापन की आवश्यकता न पड़े.
एक ड्युप्लेक्सिंग प्रिंटर (ऐसा प्रिंटर, जो कागज़ के दोनों ओर मुद्रण करता है) कागज़ की लागत आधी कर सकता है और फाइल के आयतन को घटा सकता है। ड्युप्लेक्सर, जो कि पहले केवल उच्च श्रेणी के प्रिंटरों में ही उपलब्ध थे, अब मध्यम-श्रेणी के प्रिंटरों में भी आम हैं, हालांकि सभी प्रिंटर एक ड्युप्लेक्सिंग इकाई को समाहित नहीं कर सकते. ड्युप्लेक्सिंग में कागज़ के लंबे पथ के कारण पृष्ठ-मुद्रण की गति धीमी भी हो सकती है।
लेज़र प्रिंटर की तुलना में, अधिकांश इंक-जेट प्रिंटर और डॉट-मैट्रिक्स प्रिंटर केवल डाटा की अंतर्गामी धारा को लेते हैं और उसे प्रत्यक्ष रूप से एक धीमी झटकेदार प्रक्रिया में प्रकाशित करते हैं, जिसमें कुछ विराम भी हो सकते हैं क्योंकि प्रिंटर अधिक डाटा को पाने के लिये प्रतीक्षा करता है। लेज़र प्रिंटर इस विधि से कार्य करने में असमर्थ होता है क्योंकि इतनी बड़ी मात्रा में डाटा को एक तीव्र, सतत प्रक्रिया के द्वारा मुद्रण उपकरण तक भेजने की आवश्यकता होती है। अधिक डाटा के आने तक प्रतीक्षा करने के दौरान प्रिंटर मुद्रित पृष्ठ पर एक दृश्य-मान अंतर अथवा बिंदुओं के एकरेखन में त्रुटि निर्मित किये बिना इस कार्यविधि को पर्याप्त अचूकता के साथ नहीं रोक सकता.
इसकी बजाय चित्र का डाटा मेमोरी के एक बड़े संग्रह में रखा जाता है, जो पृष्ठ के प्रत्येक बिंदु को प्रदर्शित कर पाने में सक्षम होता है। मुद्रण के पूर्व संपूर्ण डाटा को संग्रहित करने की इस आवश्यकता ने लेज़र प्रिंटर्स को पारंपरिक रूप से कागज़ के छोटे निश्चित आकारों, जैसे A4, तक सीमित कर दिया है। अधिकांश लेज़र प्रिंटर्स ऐसे अखण्ड बैनर को मुद्रित कर पाने में असमर्थ होते हैं, जो कागज़ की दो मीटर लंबी शीट तक फैले हुए हों, क्योंकि मुद्रण का प्रारंभ करने से पूर्व इतने बड़े चित्र का भण्डारण करने के लिये प्रिंटर में पर्याप्त मेमोरी उपलब्ध नहीं होती.
इतिहास
[संपादित करें]लेज़र प्रिंटर का आविष्कार ज़ेरोक्स में 1969 में अनुसंधानकर्ता गैरी स्टार्कवेदर द्वारा किया गया, जिन्होंने 1971 तक एक उन्नत प्रिंटर कार्यक्षमता प्राप्त की[1] और लगभग एक वर्ष बाद इसे एक पूर्ण कार्यात्मक नेटवर्क प्रिंटर प्रणाली में सम्मिलित किया।[2] इसका प्रोटोटाइप पुराने ज़ेरोग्राफिक कॉपियर में संशोधन के द्वारा बनाया गया था। स्टार्कवेदर ने चित्रण प्रणाली को अक्षम किया और 8 दर्पण भुजाओं से युक्त एक घूमनेवाले ड्रम, जिस पर एक लेज़र केंद्रित थी, का निर्माण किया। लेज़र से आने वाला प्रकाश घूमते हुए ड्रम से टकराएगा और कॉपियर से गुज़रते हुए पृष्ठ पर फैल जाएगा. इसका हार्डवेयर केवल एक या दो सप्ताहों में तैयार कर लिया गया था, लेकिन कम्प्यूटर इंटरफेस और सॉफ्टवेयर को पूरा होने में लगभग 3 माह का समय लगा। [उद्धरण चाहिए]
लेज़र प्रिंटर का पहला वाणिज्यिक कार्यान्वयन 1976 में निर्मित IBM मॉडल 3800 था, जिसका प्रयोग चालानों और पत्र-लेबल जैसे दस्तावेजों के अधिक मात्रा में मुद्रण के लिये किया जाता था। अक्सर इसका उल्लेख "एक पूरा कमरा लेने वाला" के रूप में किया जाता है, जो इस बात का सूचक है कि यह पर्सनल कम्प्यूटर के साथ बाद में प्रयुक्त परिचित उपकरण का प्रारंभिक संस्करण था। हालांकि, इसका आकार बड़ा था, लेकिन इसे एक पूर्णतः भिन्न उद्देश्य के लिये बनाया गया था। अनेक 3800 मॉडल आज भी उपयोग में हैं।[उद्धरण चाहिए]
किसी कार्यालयीन व्यवस्था में प्रयोग के लिये बनाया गया पहला लेज़र प्रिंटर 1981 में ज़ेरोक्स स्टार 8010 के साथ रिलीज़ हुआ था। यद्यपि यह अभिनव था, लेकिन स्टार एक महंगा ($17,000) तंत्र था, जिसे व्यापारिक प्रतिष्ठानों और संस्थाओं की एक अपेक्षाकृत छोटी संख्या द्वारा ही खरीदा गया। पर्सनल कम्प्यूटरों का व्यापक प्रयोग शुरु हो जाने के बाद, सामूहिक बाज़ार को लक्ष्य बनाकर रिलीज़ किया गया पहला लेज़र प्रिंटर 1984 में विमोचित HP लेज़र जेट 8ppm था, जिसमें HP सॉफ्टवेयर द्वारा नियंत्रित कैनन इंजन का प्रयोग किया जाता था। HP लेज़र प्रिंटर के बाद शीघ्र ही ब्रदर इण्डस्ट्रीज़ (Brother Industries), IBM और अन्य कम्पनियों ने भी अपने लेज़र प्रिंटर प्रस्तुत किये। पहली-पीढ़ी की मशीनों में बड़े प्रकाश-संवेदनशील ड्रम होते थे, जिनकी परिधि कागज़ की लंबाई से अधिक होती थी। एक बार शीघ्र-पुनर्प्राप्ति कोटिंग का विकास कर लिये जाने पर, ड्रम एक ही चक्र में कागज़ को अनेक बार छू सकता था और इस प्रकार उसका व्यास कम किया जा सकता था।
अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की ही तरह, लेज़र प्रिंटरों की लागत भी पिछले कुछ वर्षों में उल्लेखनीय रूप से कम हुई है। 1984 में, HP लेज़र जेट का विक्रय मूल्य $3500 था, इसमें बहुत छोटे, निम्न रिजॉल्यूशन वाले चित्रों के मुद्रण में भी समस्या आती थी और इसका भार 71 पाउंड (32 किग्रा) था।[3] 2008 तक की जानकारी के अनुसार निम्न श्रेणी वाले एक रंगीय प्रिंटर अक्सर $75 से कम मूल्य पर बेचे जाते हैं। अक्सर इन प्रिंटरों में बोर्ड पर प्रसंस्करण की कमी होती है और वे रास्टर चित्र के निर्माण के लिये मेज़बान कम्प्यूटर पर आश्रित होते हैं (विनप्रिंटर देखें), लेकिन फिर भी लगभग सभी स्थितियों में वे लेज़रजेट क्लासिक से बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
यह किस प्रकार कार्य करता है
[संपादित करें]लेज़र मुद्रण की प्रक्रिया में विशिष्ट रूप से सात चरण सम्मिलित होते हैं:
रास्टर चित्र का प्रसंस्करण
[संपादित करें]पृष्ठ के पार बिन्दुओं की प्रत्येक आड़ी पट्टिका को एक रास्टर रेखा या स्कैन रेखा कहा जाता है। मुद्रित की जाने वाली छवि का निर्माण विशिष्टतः लेज़र प्रिंटरों में निर्मित रास्टर इमेज प्रोसेसिंग (RIP) द्वारा किया जाता है। स्रोत सामग्री को किसी भी विशेष पृष्ठ वर्णन भाषा, जैसे अडोब पोस्टस्क्रिप्ट (PS), HP प्रिंटर कमाण्ड लैंग्वेज (PCL), या माइक्रोसॉफ्ट XML पेज स्पेसीफिकेशन (XPS) में अथवा अप्रारूपित केवल-पाठ्य डाटा के रूप में कूटबद्ध किया जा सकता है। रास्टर मेमोरी में अंतिम पृष्ठ के बिटमैप के निर्माण के लिये RIP द्वारा पृष्ठ विवरण भाषा का प्रयोग किया जाता है। एक बार पूरा पृष्ठ रास्टर मेमोरी में तैयार कर लिये जाने पर, प्रिंटर एक सतत धारा में कागज़ पर बिंदुओं का एक रास्टरीकृत प्रवाह भेजने की प्रक्रिया का प्रारंभ करने के लिये तैयार होता है।
पहले ह्युलेट पैकार्ड लेज़र जेट में केवल 128 किलोबाइट मेमोरी थी। विशिष्टतः इसका प्रयोग केवल पाठ्य सामग्री के मुद्रण के लिये किया जाता था और यह आधुनिक चित्रीय प्रिंटरों के समान संचालित नहीं होता था। पृष्ठ वर्ण सूचना केवल कुछ किलोबाइटों में रखी जाती थी और मुद्रण के दौरान प्रत्येक रास्टर स्कैन रेखा के लिये वास्तविक बिंदु को रीड ओन्ली मेमोरी (ROM) में रखी फॉन्ट बिटमैप सारिणियों में देखा जाता था। अतिरिक्त फॉन्ट ROM कार्ट्रिज में रखे जाते थे, जिसे विस्तारण स्लॉट में जोड़ा जाता था।
एक पृष्ठ वर्णन भाषा का प्रयोग करके पूर्णतः चित्रमय परिणाम पाने के लिये 300 dpi पर किसी एक-रंगीय पत्र/A4 आकार के एक पृष्ठ का भण्डारण करने के लिये न्यूनतम 1 मेगाबाइट मेमोरी की आवश्यकता होती है। 300 dpi पर, प्रति वर्ग इंच में 90,000 बिंदु (300 बिंदु प्रति रेखीय इंच) होते हैं। कागज़ की एक विशिष्ट 8.5 x 11 शीट पर 0.25 इंच का हाशिया होता है, जिससे मुद्रणयोग्य क्षेत्र घटकर 8.0 x 10.5 इंच या 84 वर्ग इंच रह जाता है। 84 वर्ग/इंच x 90,000 बिंदु प्रति वर्ग/इंच= 7,560,000 बिंदु. इस बीच 1 मेगाबाइट=1048576 बाइट्स या 8,388,608 बिट्स, जो कि 300 dpi के एक संपूर्ण पृष्ठ को रखने के लिये पर्याप्त होता है और रास्टर इमेज प्रोसेसर द्वारा प्रयोग किये जाने के लिये 100 किलोबाइट अतिरिक्त स्थान बच जाता है।
रंगीन प्रिंटर में, चार CMYK टोनर परतों में से प्रत्येक को एक पृथक बिटमैप के रूप में रखा जाता है और मुद्रण से पहले सभी चार परतों का विशिष्ट रूप से प्रसंस्करण किया जाता है, अतः एक पूर्ण-रंगीन पत्र के आकार के पृष्ठ के लिये 300 dpi पर न्यूनतम 4 मेगाबाइट्स की आवश्यकता होती है।
मेमोरी आवश्यकताएं dpi के वर्ग के साथ बढ़ती हैं, अतः 600 dpi पर मोनोक्रोम के लिये 4 मेगाबाइट्स और 600 dpi पर रंगीन मुद्रण के लिये 16 मेगाबाइट्स की आवश्यकता होती है। कुछ प्रिंटरों में विभिन्न आकारों वाले बिंदुओं और अंतरालीय बिंदुओं की क्षमता होती है; इन अतिरिक्त विशेषताओं के लिये यहां वर्णित न्यूनतम मात्रा से कई गुना अधिक मेमोरी की आवश्यकता हो सकती है।
समाचार-पत्र और उससे बड़े आकार की क्षमता वाले प्रिंटरों में मेमोरी विस्तारण स्लॉट शामिल हो सकते हैं। यदि उपलब्ध मेमोरी अपर्याप्त है, तो कुछ विशेषतायें अक्षम की जा सकती हैं, जैसे पत्र के आकार में रंगीन मुद्रण की क्षमता हो, लेकिन समाचार-पत्र के मुद्रण में केवल एक-रंगीय मुद्रण कर पाने की ही क्षमता उपलब्ध हो। अतिरिक्त मेमोरी खरीदने पर बड़े आकार में रंगीन प्रिंटिंग की क्षमता प्राप्त हो सकती है।
आवेशण
[संपादित करें]पुराने प्रिंटरों में, एक परिमण्डल तार को ड्रम के समानांतर लगाया जाता था, या अधिक हालिया प्रिंटरों में, एक प्राथमिक आवेश रोलर, एक इलेक्ट्रोस्टैटिक आवेश को फोटोरिसेप्टर, एक घूमता हुआ प्रकाश-संवेदी ड्रम या बेल्ट, जो कि अंधेरा में होने पर अपनी सतह पर एक इलेक्ट्रोस्टैटिक आवेश को रख पाने में सक्षम होता है, पर प्रायोजित करता है (इसे फोटोकण्डक्टर ईकाई भी कहा जाता है).
पुराने चित्र द्वारा छोड़े गये किसी अवशिष्ट आवेश को हटाने के लिये प्राथमिक आवेश रोलर पर एक AC दबाव लागू किया जाता है। समान नकारात्मक सामार्थ्य को सुनिश्चित करने के लिये रोलर ड्रम की सतह पर DC दबाव भी लागू करेगा। वांछित मुद्रण घनत्व इस DC दबाव के द्वारा ठीक किया जाता है।[4]
अनेक पेटेंट[specify] प्रकाश-संवेदी ड्रम कोटिंग को एक प्रकाश-आवेशण परत, एक आवेश रिसाव-रोधी परत और साथ ही एक सतह परत के साथ एक सिलिकॉन सैण्डविच के रूप में वर्णित करते हैं। एक संस्करण[specify] अक्रिस्टलीय सिलिकॉन का प्रयोग करता है, जिसमें प्रकाश प्राप्त करनेवाली परत के रूप में हाइड्रोजन, आवेश रिसाव-रोधी परत के रूप में बोरॉन नाइट्राइड का और साथ ही डोपित सिलिकॉन की सतह परत, उल्लेखनीय रूप से ऑक्सीजन या नाइट्रोजन के साथ सिलिकॉन, जो कि पर्याप्त सान्द्रता में मशीनिंग सिलिकॉन नाइट्राइड के समान दिखाई देता है, का प्रयोग किया जाता है; यह न्यूनतम रिसाव और रगड़ के प्रति प्रतिरोध के साथ एक प्रकाश आवेश-क्षम डायोड का प्रभाव होता है।[उद्धरण चाहिए]
प्रकटन
[संपादित करें]लेज़र को एक घूमते हुए बहुभुजीय दर्पण पर लक्ष्यित किया जाता है, जो लेज़र किरण को लेंसों और दर्पणों के एक तंत्र से होकर एक फोटोरिसेप्टर की ओर भेजा जाता है। यह किरण फोटोरिसेप्टर पर एक ऐसा कोण बनाते हुए फैल जाती है कि यह फैलाव पूरे पृष्ठ पर हो; सिलिण्डर इस फैलाव के दौरान घूमता रहता है और फैलाव का कोण इस गति की पूर्ति करता है। सिलिण्डर पर बिंदुओं के निर्माण के लिये मेमोरी में रखे रास्टरीकृत डाटा की धारा लेज़र को शुरु और बंद करती है। (कुछ प्रिंटर प्रकाश उत्सर्जक द्वियग्रों की एक श्रेणी का प्रयोग करते हैं, जिनका विस्तार पूरे पृष्ठ की चौड़ाई तक होता है, लेकिन ये उपकरण "लेज़र प्रिंटर" नहीं होते. लेज़रों का प्रयोग इसलिये किया जाता है क्योंकि वे लंबी दूरी तक एक संकरी किरण उत्पन्न करते हैं। लेज़र किरण टोनर के कणों को उठाने के लिये फोटोरिसेप्टर की सतह पर एक स्थिर विद्युत ऋणात्मक चित्र छोड़ते हुए चित्र के कालों भागों पर आवेश को निष्प्रभावित कर देती है (या उलट देती है).
प्रत्येक फैलाव चक्र के अंत में लेज़र फैलाव प्रक्रिया को समकालिक करने के लिये एक बीम डिटेक्ट (BD) संवेदक का प्रयोग किया जाता है।[4]
विकास
[संपादित करें]इस अदृश्य सतह को टोनर, काले कार्बन या रंगीन एजेंट के साथ मिश्रित सूखे प्लास्टिक पाउडर के बारीक कणों के सामने उजागर किया जाता है। आवेशित टोनर कणों को एक ऋणात्मक आवेश दिया जाता है और वे फोटोरिसेप्टर के अदृश्य चित्र, लेज़र द्वारा स्पर्श किये गये क्षेत्रों, की ओर स्थिरविद्युत रूप से आकर्षित होते हैं। चूंकि समान आवेश एक-दूसरे का प्रतिरोध करते हैं, अतः ऋणात्मक रूप से आवेशित टोनर ड्रम को उस स्थान पर स्पर्श नहीं करेगा, जहां ऋणात्मक आवेश उपस्थित है।
मुद्रित छवि के सकल कालेपन को आपूर्ति टोनर पर लागू किये गये उच्च वोल्टेज द्वारा नियंत्रित किया जाता है। आवेशित टोनर एक बार ड्रम की सतह के अंतर को पार कर लेता है, तो टोनर पर ऋणात्मक आवेश स्वतः ही आपूर्ति टोनर का प्रतिरोध करता है और अतिरिक्त टोनर को ड्रम पर जाने से रोकता है। यदि वोल्टेज कम हो, तो अधिक टोनर को स्थानांतरित होने से रोकने के लिये टोनर की केवल एक पतली परत की आवश्यकता होती है। यदि वोल्टेज अधिक हो, तो अधिक टोनर को ड्रम पर स्थानांतरित होने से रोकने के लिये ड्रम पर एक पतली परत बहुत कमज़ोर होती है। अधिक आपूर्ति टोनर ड्रम पर जाना तब तक जारी रखता है, जब तक कि ड्रम पर स्थित आवेश आपूर्ति टोनर का प्रतिरोध करने के लिये पुनः पर्याप्त रूप से उच्च न हो जायें. सबसे काली सेटिंग पर आपूर्ति टोनर का वोल्टेज पर्याप्त रूप से इतना उच्च होता है कि जहां अलिखित ड्रम आवेश अभी भी उपस्थित हो, वहां वह भी ड्रम पर परत चढ़ाना शुरु करेगा और पूरे पृष्ठ को एक काली छाया देगा। [उद्धरण चाहिए]
स्थानांतरण
[संपादित करें]फोटोरिसेप्टर को कागज़ पर दबाया या चलाया जाता है, जिससे चित्र स्थानांतरित होता है। टोनर को फोटोरिसेप्टर से कागज़ पर खींचने के लिये उच्च-श्रेणी वाली मशीनें कागज़ के पिछले भाग में एक धनात्मक रूप से आवेशित स्थानांतरण रोलर का प्रयोग करती हैं।
फ्यूज़ीकरण
[संपादित करें]फ़्यूज़र असेम्बली में कागज़ रोलरों से होकर गुज़रता है, जहां उष्मा (200 सेल्सियस तक) और दबाव प्लास्टिक पाउडर को कागज़ से जोड़ते हैं।
एक रोलर सामान्यतः एक पोली नली (उष्मा रोलर) के रूप में होता है और दूसरा एक रबर समर्थित रोलर (दबाव रोलर) होता है। एक दीप्तिमान उष्मा लैंप को पोली नली के केंद्र में लटकाया जाता है और इसकी इन्फ्रारेड ऊर्जा रोलर को समान रूप से भीतर से गर्म करती है। टोनर की उपयुक्त जुड़ाई के लिये फ्यूज़र रोलर समान रूप से गर्म होना चाहिये।
प्रिंटर द्वारा प्रयुक्त विद्युत शक्ति के 90% तक का प्रयोग फ्यूज़र रोलर द्वारा किया जाता है। फ्यूज़र असेम्बली से उत्पन्न उष्मा प्रिंटर के अन्य भागों को क्षतिग्रस्त कर सकती है, अतः आंतरिक भाग से उष्मा को दूर हटाने के लिये अक्सर इसे पंखों से ढंका जाता है। अधिकांश कॉपियर्स और लेज़र प्रिंटर्स की प्राथमिक विद्युत बचत विशेषता फ्यूज़र को बंद करना और इसे ठंडा होने देना है। सामान्य प्रचालन को पुनः प्राप्त करने के लिये फ्यूज़र के प्रचालन तापमान पर लौटने तक प्रतीक्षा करना आवश्यक होता है, उसके बाद ही मुद्रण प्रारंभ हो सकता है।
कुछ प्रिंटर एक बहुत पतले लचीले धातु-निर्मित फ्यूज़र रोलर का प्रयोग करते हैं, अतः बहुत थोड़े भार को गर्म करने की आवश्यकता होती है और फ्यूज़र बहुत जल्द प्रचालन तापमान तक पहुंच सकता है। ऐसा करना एक निष्क्रिय अवस्था से मुद्रण को गति प्रदान करता है और साथ ही बिजली बचाने के लिये फ्यूज़र को अधिक शीघ्रता से बंद होने की अनुमति देता है।
यदि कागज़ अधिक धीमी गति से फ्यूज़र से गुज़रता है, तो टोनर को पिघलने के लिये रोलर के साथ अधिक संपर्क समय की आवश्यकता होती है और फ्यूज़र एक कम तापमान पर भी प्रचालन कर सकता है। बड़े उच्च गति वाले प्रिंटरों, जिनमें कागज़ बहुत कम संपर्क समय में एक उच्च-तापमान वाले फ्यूज़र से अधिक तेज़ी से गुज़रता है, की तुलना में ऊर्जा की बचत करने वाले इस डिज़ाइन के कारण छोटे, सस्ते लेज़र प्रिंटर विशिष्ट रूप से धीमी गति से मुद्रण करते हैं।
सफाई
[संपादित करें]जब मुद्रण पूर्ण हो जाता है, तो एक विद्युतीय रूप से आवेशित नर्म प्लास्टिक ब्लेड फोटोरिसेप्टर से अतिरिक्त टोनर को साफ करती है और इसे एक कूड़ा भण्डार में जमा करता है, तथा एक विसर्जक लैंप बचे हुए आवेश को फोटोरिसेप्टर से हटाता है।
कागज़ फंस जाने जैसी किन्हीं अनपेक्षित घटनाओं के कारण टोनर कभी-कभी प्रकाश-चालक पर ही छूट जाता है। टोनर प्रकाश-चालक पर लगाए जाने के लिये तैयार है, लेकिन इसे लागू किये जा सकने से पूर्व ही प्रचालन विफल हो जाता है। टोनर को हटाकर प्रक्रिया फिर से शुरू करनी चाहिए।
दूषित टोनर को मुद्रण के लिये पुनः प्रयोग नहीं किया जा सकता क्योंकि यह धूल और कागज़ के रेशों के कारण खराब हो सकता है। एक गुणवत्तापूर्वक मुद्रित चित्र के लिये एक शुद्ध, साफ टोनर की आवश्यकता होती है। दूषित टोनर का पुनर्प्रयोग करने के परिणामस्वरूप धब्बेदार मुद्रण क्षेत्र या कागज़ पर टोनर की बुरी फ्यूज़िंग प्राप्त होती है। हालांकि कुछ अपवाद होते हैं, जिनमें ब्रदर (Brother) और तोशिबा (Toshiba) के लेज़र प्रिंटर सर्वाधिक उल्लेखनीय हैं, जो दूषित टोनर को साफ करने और उसका पुनर्चक्रण करने के लिये एक पेटेंटीकृत विधि का प्रयोग करते हैं।[5][6]
एक ही समय पर घटित होने वाले अनेक चरण
[संपादित करें]एक बार रास्टर चित्र का निर्माण पूरा हो जाने पर प्रिंटिग प्रक्रिया के सभी चरण एक तीव्र अनुक्रमण में एक के बाद एक घटित हो सकते हैं। यह एक बहुत छोटी और सुसंबद्ध ईकाई के प्रयोग की अनुमति देता है, जहां फोटोरिसेप्टर आवेशित होता है, कुछ अंशों तक घूमता है और स्कैन किया जाता है, कुछ और अंशों तक घूमता है और विकसित होता है, इस प्रकार प्रक्रिया जारी रहती है। ड्रम की एक परिक्रमा पूरी होने से पहले ही इस पूरी प्रक्रिया को पूर्ण किया जा सकता है।
भिन्न-भिन्न प्रिंटर इन चरणों को भिन्न रूप से क्रियान्वित करते हैं। कुछ "लेज़र" प्रिंटर ड्रम पर प्रकाश को "लिखने" के लिये वस्तुतः प्रकाश-उत्सर्जक द्वियग्र की एक रेखीय श्रेणी का प्रयोग करते हैं (LED प्रिंटर देखें). टोनर मोम या प्लास्टिक पर आधारित होता है, ताकि जब कागज़ फ्यूज़र असेम्बली से होकर गुज़रता है, तो टोनर के कण पिघल जाते हैं। कागज़ विपरीत रूप से आवेशित हो भी सकता है और नहीं भी. फ्यूज़र एक इन्फ्रारेड ओवन, एक गर्म किया गया दबाव रोलर या (कुछ अधिक तेज़ गति वाले, महंगे प्रिंटरों पर) एक ज़ेनॉन फ्लैश लैंप हो सकता है। प्रिंटर को पहली बार विद्युत शक्ति प्रदान किये जाने पर प्रिंटर को गर्म करने के लिये इस पर लागू की गई जिस वॉर्म-अप प्रक्रिया से एक लेज़र प्रिंटर गुज़रता है, उसमें मुख्यतः फ्यूज़र तत्व को गर्म करना शामिल होता है। अनेक प्रिंटरों में एक टोनर-बचाव मोड होता है, जिसे ह्युलेट-पैकार्ड (Hewlett-Packard) द्वारा "इकॉनोमोड" कहा जाता है, जो टोनर की लगभग आधी मात्रा का ही प्रयोग करता है, लेकिन एक हल्का, मसौदे की गुणवत्ता वाला परिणाम उत्पन्न करता है।
रंगीन लेज़र प्रिंटर
[संपादित करें]रंगीन लेज़र प्रिंटर रंगीन टोनर (सूखी स्याही) का प्रयोग करते हैं, विशिष्ट रूप से हरिनील (Cyan), नीलातिरक्त (Magenta), पीला (Yellow) और काला (Black) (CMYK).
एक ओर जहां मोनोक्रोम प्रिंटर केवल एक लेज़र स्कैनर असेम्बली का प्रयोग करते हैं, वहीं रंगीन प्रिंटरों में अक्सर दो या अधिक स्कैनर असेम्बलियां होती हैं।
रंगीन मुद्रण के कारण मुद्रण प्रक्रिया में जटिलता जुड़ती है क्योंकि प्रत्येक रंग के मुद्रण के बीच एकरेखन में बहुत कम त्रुटि हो सकती है, जिसे पंजीयन त्रुटि के रूप में जाना जाता है, जो अनभिप्रेत रंग किनारे, धुंधलापन, या रंगीन क्षेत्रों के किनारों पर हल्की/गहरी धारियां उत्पन्न करती है। उच्च पंजीयन अचूकता की अनुमति देने के लिये, कुछ रंगीन लेज़र प्रिंटर एक बड़े घूमते हुए पट्टे का प्रयोग करते हैं, जिसे "स्थानांतरण पट्टा" कहा जाता है। स्थानांतरण पट्टा सभी टोनर कार्ट्रिजों के सामने से गुज़रता है और प्रत्येक टोनर परत को पट्टे पर स्पष्ट रूप से लागू किया जाता है। इसके बाद संयोजित परतों को एक समान एकल चरण में कागज़ पर लागू किया जाता है।
रंगीन प्रिंटरों में सामान्यतः मोनोक्रोम प्रिंटरों की तुलना में एक उच्च "सेंट-प्रति-पृष्ठ" उत्पादन लागत होती है।
DPI रिज़ॉल्युशन
[संपादित करें]1200 DPI प्रिंटर्स आम तौर पर 2008 के दौरान उपलब्ध थे।
2400 DPI इलेक्ट्रोफोटोग्राफिक मुद्रण प्लेट निर्माता, आवश्यक रूप से वे लेज़र प्रिंटर, जो प्लास्टिक शीटों पर मुद्रण करते हैं, भी उपलब्ध हैं।
लेज़र प्रिंटर का रखरखाव
[संपादित करें]अधिकांश उपभोक्ता और छोटे व्यावसायिक लेज़र प्रिंटर एक टोनर कार्ट्रिज का प्रयोग करते हैं, जो फोटोरिसेप्टर (जिसे कभी-कभी "प्रकाश-चालक ईकाई" या "चित्रण ड्रम" कहा जाता है) को टोनर आपूर्ति भण्डार, अवशिष्ट टोनर हॉपर और विभिन्न वाइपर ब्लेड्स के साथ संयोजित करता है। जब टोनर आपूर्ति की खपत पूरी हो जाती है, तो टोनर कार्ट्रिज को स्वचालित रूप से प्रतिस्थापित करना चित्रण ड्रम, अवशिष्ट टोनर हॉपर और वाइपर ब्लेड्स को प्रतिस्थापित कर देता है।
कुछ लेज़र प्रिंटर पिछले रख-रखाव के बाद से अभी तक मुद्रित किये गये पृष्ठों की संख्या की एक पृष्ठ-गिनती रखते हैं। इन मॉडलों पर, एक स्मरण-संदेश दिखाई देगा, जो प्रयोक्ता को इस बात की सूचना देगा कि अब मानक रखरखाव भागों के प्रतिस्थापन का समय आ गया है। अन्य मॉडलों पर, कोई पृष्ठ-गिनती नहीं रखी जाती या कोई स्मरण-संदेश प्रदर्शित नहीं किया जाता, अतः प्रयोक्ता को मुद्रित पृष्ठों का रिकॉर्ड मानवीय रूप से रखना पड़ता है और कागज़ भरने की समस्यायों और मुद्रण त्रुटियों जैसे चेतावनी सूचकों को देखना पड़ता है।
निर्माता सामान्यतः प्रिंटर के आम भागों और उपभोग्य सामग्रियों के लिये एक जीवन प्रत्याशा सूची प्रदान करते हैं। निर्माता प्रिंटर के उनके भागों के लिये जीवन प्रत्याशा को समय की ईकाई की बजाय "अपेक्षित पृष्ठ-उत्पादन जीवन" के संदर्भ में मूल्यांकित करते हैं।
व्यावसायिक-श्रेणी के प्रिंटरों के लिये उपभोग्य-सामग्रियां और रख-रखाव भागों को सामान्यतः व्यक्तिगत प्रिंटरों के लिये प्रयुक्त भागों की तुलना में एक उच्च पृष्ठ-उत्पादन प्रत्याशा के लिये मूल्यांकित किया जायेगा. विशिष्ट रूप से, टोनर कार्ट्रिज और फ्यूज़र की पृष्ठ-उत्पादन प्रत्याशा सामान्यतः एक व्यक्तिगत प्रिंटर की बजाय व्यावसायिक-श्रेणी के प्रिंटर में उच्चतर होती है। मोनोक्रोम लेज़र प्रिंटरों की तुलना में रंगीन लेज़र प्रिंटरों में रख-रखाव और पुर्ज़ों के प्रतिस्थापन की अधिक आवश्यकता होती है क्योंकि उनमें अधिक चित्रण घटक होते हैं।
कागज़ को उठानेवाले पथ और कागज़ भरनेवाले पथ में शामिल रोलर्स और असेम्बलियों के लिये, कार्यविधि से टोनर और धूल को हटाना और कागज़ को संभालनेवाले रबर के रोलर्स को बदलना, साफ करना और पुनः लगाना एक विशिष्ट रख-रखाव है। अधिकांश पिक-अप, फीड और पृथक्करण रोलर्स में एक रबर की परत होती है, जो अंततः घिसाव से प्रभावित होती है और कागज़ की फिसलन भरी धूल से ढंक ली जाती है। जिन मामलों में प्रतिस्थापन रोलर्स का प्रयोग बंद कर दिया गया हो या वे उपलब्ध न हों, वहां रबर के रोलर्स को एक आर्द्र रोआं-मुक्त टुकड़े की सहायता से सुरक्षित रूप से साफ किया जा सकता है। वाणिज्यिक रासायनिक विलयन भी उपलब्ध हैं, जो अस्थाई रूप से रबर के कर्षण को पुनः प्राप्त करने में सहायता कर सकते हैं।
फ्यूज़िंग असेम्बली (जिसे "फ्यूज़र" भी कहते हैं) को लेज़र प्रिंटर्स पर सामान्यतः एक प्रतिस्थापनीय उपभोग्य पुर्ज़ा माना जाता है। फ्यूज़िंग असेम्बली टोनर को पिघलाने और उसे कागज़ पर जोड़ने के लिए उत्तरदायी होती है। फ्यूज़िंग असेम्ब्लियों के लिये अनेक त्रुटियां संभव हैं: त्रुटियों में जीर्ण प्लास्टिक संचालन गियर, गर्म करनेवाले घटकों की इलेक्ट्रॉनिक विफलता, विदीर्ण फिक्सिंग फिल्म स्लीव, जीर्ण दबाव रोलर्स, गर्म करनेवाले रोलर्स और दबाव रोलर्स पर टोनर का जमाव, जीर्ण या खरोच-युक्त दबाव रोलर्स और क्षतिग्रस्त कागज़ संवेदक शामिल हैं।
कुछ निर्माता बचावात्मक रख-रखाव किट प्रदान करते हैं, जो प्रिंटर के प्रत्येक मॉडल के लिये विशिष्ट होती है; सामान्यतः इस किट में एक फ्यूज़र शामिल होता है और इसमें पिक-अप रोलर्स, फीड रोलर्स, स्थानांतरण रोलर्स, आवेश रोलर्स और पृथक्करण रोलर्स भी शामिल हो सकते हैं।
स्टेगैनोग्राफिक जालसाज़ी-रोधी ("गुप्त") चिन्ह
[संपादित करें]अनेक आधुनिक रंगीन लेज़र प्रिंटर्स मुद्रित कागज़ों को पहचान के उद्देश्य से एक लगभग अदृश्य बिंदु रास्टर के द्वारा चिन्हित करते हैं। ये बिंदु पीले रंग के और लगभग 0.1 मिमी आकार के होते हैं और रास्टर लगभग 1 मिमी का होता है। संभवतः यह जालसाज़ों पर निगाह रखने के लिये U.S. सरकार और प्रिंटर निर्माताओं के बीच हुए एक समझौते का परिणाम है।[7]
बिंदुओं में मुद्रण तिथि, समय और प्रिंटर अनुक्रमांक जैसा डाटा बाइनरी-कोडित दशमलवों में मुद्रित कागज़ की प्रत्येक शीट पर होता है, जो खरीद के स्थान और कभी-कभी क्रय-कर्ता की पहचान करने के कागज़ के टुकड़ों को निर्माता द्वारा जांचने की अनुमति देता है। डिजिटल अधिकारों की वक़ालत करनेवाले समूह, जैसे इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन, मुद्रण करनेवालों की गोपनीयता और अनामिकता के इस क्षरण के प्रति चिंतित हैं।[8]
सुरक्षा खतरे, स्वास्थ्य जोखिम और सावधानियां
[संपादित करें]आघात जोखिम
[संपादित करें]यद्यपि आधुनिक प्रिंटरों में अनेक सुरक्षा इंटरलॉक और रक्षात्मक परिपथ शामिल होते हैं, लेकिन एक लेज़र प्रिंटर के भीतर विभिन्न रोलर्स, तारों और धातु के संपर्कों में उच्च वोल्टेज या एक निवासी वोल्टेज उपस्थित होना संभव है। दर्दनाक विद्युत आघात की संभावना को कम करने के लिये इन भागों के साथ अनावश्यक संपर्क से बचने हेतु सतर्कता रखी जानी चाहिए।
टोनर की साफ-सफाई
[संपादित करें]टोनर के कण इलेक्ट्रोस्टैटिक विशेषताओं से युक्त होने के लिए बनाए जाते हैं और अन्य कणों, वस्तुओं या परिवहन प्रणालियों और निर्वात नलिकाओं के आंतरिक भागों के साथ रगड़े जाने पर वे स्थिर-विद्युत आवेश विकसित कर सकते हैं। इस वजह से और कणों के छोटे आकार के कारण, टोनर में निर्वात उत्पन्न करने के लिये एक पारंपरिक घरेलू वैक्यूम क्लीनर का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए। आवेशित टोनर कणों से उत्पन्न स्थिर निस्सरण वैक्यूम क्लीनर बैग में धूल को जला सकता है या यदि पर्याप्त टोनर वायुवाहित हो, तो एक छोटा विस्फोट निर्मित कर सकता है। यह वैक्यूम क्लीनर को क्षतिग्रस्त कर सकता है या आग उत्पन्न कर सकता है। इसके अतिरिक्त, टोनर के कण इतने महीन होते हैं कि उन्हें पारंपरिक घरेलू वैक्यूम क्लीनर के फिल्टर बैग द्वारा अच्छी तरह नहीं छाना जा सकता है और वे मोटर से उड़ सकते हैं या पुनः कमरे में वापस आ सकते हैं।
गर्म होने पर टोनर के कण पिघलते (या मिलते) हैं। टोनर के छोटे छलकावों को एक ठंडे, आर्द्र कपड़े द्वारा पोंछा जा सकता है।
यदि टोनर लेज़र प्रिंटर के भीतर छलक जाए, तो इसे प्रभावी ढंग से साफ करने के लिये एक विद्युतीय रूप से आवेशित नली और एक उच्च दक्षता (HEPA) वाले फिल्टर से युक्त एक विशेष प्रकार के वैक्यूम क्लीनर की आवश्यकता हो सकती है। इन्हें ESD-सुरक्षित (इलेक्ट्रोस्टैटिक निस्सरण-सुरक्षित) या टोनर वैक्यूम कहा जाता है। टोनर के बड़े छलकावों की साफ-सफाई के लिये इस प्रकार के HEPA-फिल्टर से सज्जित वैक्यूमों का प्रयोग किया जाना चाहिये।
टोनर को पानी द्वारा धोये जा सकनेवाले अधिकांश वस्त्रों की सहायता से सरलतापूर्वक साफ किया जा सकता है। चूंकि टोनर कम गलन तापमान वाला मोम या प्लास्टिक का पाउडर होता है, अतः सफाई की प्रक्रिया के दौरान इसे ठंडा रखा जाना चाहिये। टोनर का दाग़ लगे वस्त्रों को ठंडे पानी में धोना अक्सर सफल रहता है। यहां तक कि गर्म पानी का प्रयोग करने पर दाग के स्थाई हो जाने की संभावना भी होती है। कपड़े डालने से पहले वॉशिंग मशीन में ठंडा पानी भरा जाना चाहिए। दो चक्रों में धुलाई करने से सफलता की संभावना बढ़ जाती है। पहले चक्र में बर्तनों को हाथों से धोये जाने वाले साबुन का और दूसरे चक्र में कपड़े धोने वाले सामान्य साबुन का प्रयोग किया जा सकता है। प्रथम चक्र में धुलाई के लिये प्रयुक्त पानी में टोनर का अवशिष्ट प्लव बचा रहेगा और यह स्थाई धूसरता का कारण बन सकता है। जब तक यह सुनिश्चित न हो जाए कि पूरा टोनर हटा दिया गया है, तब तक कपड़े सुखानेवाले किसी उपकरण या इस्तरी का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए।
ओजोन खतरे
[संपादित करें]मुद्रण प्रक्रिया के प्राकृतिक भाग के रूप में प्रिटर के भीतर उच्च वोल्टेज एक परिमण्डल निस्सरण उत्पन्न कर सकता है, जो आयनित ऑक्सीजन और नाइट्रोजन की एक छोटी मात्रा निर्मित करता है, जिससे ओज़ोन और नाइट्रोजन ऑक्साइड का निर्माण होता है। बड़े वाणिज्यिक प्रिंटरों और कॉपियरों में, एक वायु निकास धारा में एक कार्बन फिल्टर इन ऑक्साइडों को तोड़ता है, ताकि कार्यालय के वातावरण को प्रदूषण से बचाया जा सके।
हालांकि, कुछ ओज़ोन वाणिज्यिक प्रिंटरों में होने वाली इस फिल्टरिंग प्रक्रिया से बच जाती है और अनेक छोटे उपभोक्ता प्रिंटरों में ओज़ोन फिल्टरों का प्रयोग नहीं किया जाता. जब किसी लेज़र प्रिंटर या कॉपियर का प्रयोग एक छोटे, कम हवादार स्थान में लंबे समय तक किया जाता है, तो ये गैसें इतने उच्च स्तरों तक बढ़ सकतीं हैं, जहां ओज़ोन की गंध या जलन को महसूस किया जा सकता है। चरम स्थितियों में एक स्वास्थ्य खतरे के निर्माण की संभावना सैद्धांतिक रूप से संभव है।[9]
श्वसन स्वास्थ्य जोखिम
[संपादित करें]क़्वीन्सलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया में किये गए एक हालिया अध्ययन के अनुसार, कुछ प्रिंटर उप-सूक्ष्ममापी कण उत्पन्न करते हैं, जिन्हें कुछ लोग श्वसन से जुड़ी बीमारियों के साथ जोड़कर देखते हैं।[10] क़्वीन्सलैण्ड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अध्ययन में जिन 63 प्रिंटरों का मूल्यांकन किया गया, उनमें से 17 सर्वाधिक शक्तिशाली उत्सर्जक ह्युलेट-पैकार्ड (Hewlett-Packard) द्वारा निर्मित थे और एक तोशिबा (Toshiba) द्वारा बनाया गया था। हालांकि, अध्ययन की गई मशीनों की इस संख्या में केवल वे मशीनें हैं, जिन्हें पहले से ही इमारत में रखा जा चुका था और इस प्रकार यह विशिष्ट उत्पादकों के प्रति पक्षपातपूर्ण था। लेखकों ने इस बात का उल्लेख किया कि मशीनों के एक ही मॉडल के बीच भी कणों के उत्सर्जन में उल्लेखनीय अंतर था। क़्वीन्सलैण्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मोराव्स्का के अनुसार, एक प्रिंटर ने इतने अधिक कण उत्सर्जित किये जितने एक सिगरेट को जलाने पर उत्सर्जित होते हैं।[11]
- "अति-महीन कणों को ग्रहण करने से स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभाव कणों की बनावट पर निर्भर होते हैं, लेकिन परिणाम सांस लेने में तकलीफ से लेकर अधिक गंभीर बीमारियों, जैसे ह्रदवाहिनी में होने वाली समस्याओं या कैंसर, तक फैले हुए हो सकते हैं।" (क्वींसलैंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय).[12]
2006 में जापान में किये गए एक अध्ययन में पाया गया कि लेज़र प्रिंटर स्टाइरिन, ज़ाइलिन और ओज़ोन की मात्रा को बढ़ाते हैं और इंक-जेट प्रिंटर पेंटानॉल का उत्सर्जन करते हैं।[13]
मुहले आदि (1991) ने यह सूचित किया कि दीर्घकालिक रूप से ग्रहण किये गए प्रतिलिपि टोनर, कार्बन ब्लैक के साथ रंजित प्लास्टिक धूल, टिटैनियम डाइ-ऑक्साइड और सिलिका के प्रति प्रतिक्रियायें भी मात्रात्मक रूप से टिटैनियम डाइ-ऑक्साइड और डिज़ल उत्सर्जन के समान थीं।[14]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- डेज़ी व्हील प्रिंटर
- डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर
- इंकजेट प्रिंटर
- LED प्रिंटर
- थर्मल प्रिंटर
- डाई-सब्लिमेशन प्रिंटर
- स्टेग्नोग्राफ़ी
- सॉलिड इंक
- कार्डबोर्ड इंजीनियरिंग
- प्रिंट प्रबंधित सेवाएं
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Edwin D. Reilly (2003). Milestones in Computer Science and Information Technology. Greenwood Press. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1573565210. मूल से 12 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2010.
- ↑ Roy A. Allan (2001). A History of the Personal Computer: The People and the Technology. Allan Publishing. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0968910807. मूल से 12 नवंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2010.
- ↑ "HP वर्चुअल म्यूज़ियम: हेवलेट-पैक्कार्ड लेज़रजेट प्रिंटर, 1984". मूल से 20 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2010.
- ↑ अ आ HP LaserJet 3050/3052/3055 All-in-One Service Manual (4 संस्करण). United States: Hewlett Packard. 2006. पृ॰ 99.
- ↑ अमेरिकी पेटेंट 5231458 - प्रिंटर जो पहले डेवलपर द्वारा इस्तेमाल किया हुआ को प्रयोग करता है
- ↑ "fixyourownprinter.com पर ब्रदर वेस्ट टोनर रीसाइक्लिंग प्रक्रिया की सरलीकृत विवरण". मूल से 19 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2010.
- ↑ "इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन- प्राइवेसी ऑन प्रिंटर्स". मूल से 13 अक्तूबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2010.
- ↑ "इलेक्ट्रॉनिक फ्रंटियर फाउंडेशन थ्रेट टू प्राइवेसी". मूल से 15 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2010.
- ↑ "Photocopiers and Laser Printers Health Hazards". मूल से 21 दिसंबर 2009 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2010.
- ↑ "Particle Emission Characteristics of Office Printers" (PDF). मूल (PDF) से 28 सितंबर 2007 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2010.
- ↑ "Particle Emission Characteristics of Office Printers". मूल से 13 मई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 जून 2010.
- ↑ "Study reveals the dangers of printer pollution". http://www.news.qut.edu.au/cgi-bin/WebObjects/News.woa/wa/goNewsPage?newsEventID=13495.
- ↑ "Are Laser Printers Hazardous to Your Health? - Yahoo! News".[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "11.6 METALS" (PDF). मूल से 12 अगस्त 2011 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 24 जून 2010. 070821 epa.gov
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]Laser printers से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |