लण्डा लिपियाँ
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लण्डा लिपियाँ पंजाब और पंजाब और उसके आसपास के उत्तर भारतीय क्षेत्रों में प्रयुक्त लिपियों को कहते हैं। पंजाबी में 'लंडा' का अर्थ 'बिना पूँछ का' है। [1] यह लंडा भाषा से अलग है जिसे 'पश्चिमी पंजाबी' कहा जाता था। लंडा लिपि शारदा लिपि से १०वीं शताब्दी में व्युत्पन्न हुई। यह भारत के उत्तरी एवं उत्तर-पश्चिमी भाग में बहुतायत में परयोग की जाती थी। इसके अलावा यह लिपि पंजाब, सिन्ध, कश्मीर तथा बलोचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा के कुछ भागों में भी प्रयुक्त होती थी। इस लिपि के माध्यम से लिखी जाने वाली भाषाएँ ये थीं- पंजाबी, सिन्धी, हिन्दुस्तानी, सराइकी, बलोची, कश्मीरी, पश्तो तथा विभिन्न पंजाबी बबोलियाँ (जैसे पहाड़ी-पोथवाड़ी) आदि।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ 中西 亮(Nakanishi, Akira) (1980-01-01). Writing systems of the world: alphabets, syllabaries, pictograms (English में). Rutland, Vt.; Tokyo, Japan: C.E. Tuttle Co. पपृ॰ 50-51. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0804812934.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)