लखौरी ईंटें

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लखौरी ईंटों से बनी कोस मीनार, अली मरदान खान का मकबरा के पास, लाहोर पाकिस्तान में।
लखौरी ईंटों से बनी कोस मीनार जिस पर चूने के गारे से लिपाई की गयी है, तरावड़ी, करनाल में।

लखौरी, बादशाही या ककैया ईंटें, पतली सपाट लाल रंग की पकी मिट्टी की ईंटें थीं जो मुगल काल के दौरान बहुत लोकप्रिय थीं और, इनका उपयोग भवन निर्माण विशेष रूप से मुगल वास्तुकला में शाहजहां काल से लेकर 20 वीं सदी शुरुवात में तब तक होता रहा जब तक कि इन्हें और इनकी समकालीन नानक शाही ईंटों को औपनिवेशिक ब्रिटिश राज द्वारा, मानक 9"x4"x3" की घुम्मा ईंटों से प्रतिस्थापित नहीं कर दिया गया।[1][2][3][4]

अभी भी 17 वीं से लेकर 19 वीं शताब्दी के दौरान बनी बहुत सी ऐसी मुगल इमारतें मौजूद हैं जिनकी खासियत इनके झरोखे, जालियां, बलुआ पत्थर के खंबे, सजावटी द्वार और भव्य नुक़ीली-मेहराब के प्रवेश द्वार हैं और यह सभी लखौरी ईंटों से बनी हैं। लखौरी ईंटों से किलों, सुरक्षा दुर्गों, मन्दिरों, मस्जिदों, हवेलिओं, जलाशयों और पुलों आदि का निर्माण किया गया। कुछ विशेष इमारतों में लाल किला, बवाना जैल दुर्ग, बागोर की हवेली, चुन्नामल हवेली, ग़ालिब की हवेली, हेमू की हवेली, महाराजा पटियाला का बहादुरगढ़ का किला, मेहरम की सराय, चोरों की बावली, करनाल में मुगल सेतु, सड़क के किनारे बनी कोस कमजोर आदि शामिल हैं।[5][6][7][8][9]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "The Architectures of Shahjahanabad". मूल से 27 जनवरी 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 दिसंबर 2017.
  2. "6. Wall gate and golf club." Archived 2016-03-04 at the वेबैक मशीन, Lodhi garden and golf club.
  3. Top 5 features of Lucknow architecture that make it unique.[मृत कड़ियाँ].
  4. Feisal Alkazi, 2014, Srinagar: An Architectural Legacy
  5. "Haveli to speak of a history lost in time." Archived 2018-09-08 at the वेबैक मशीन, Times of India, 21 Dec 2015.
  6. 5. Havelis of Kucha pati Ram, in South Shahjahanabad, World Monument fund.
  7. Revival of Hemu's Haveli on the cards Archived 2017-12-01 at the वेबैक मशीन, Yahoo News India, 6 Aug 2015.
  8. A Zail, school and orphanage: Bawana's fortress gets another makeover." Archived 2017-12-01 at the वेबैक मशीन, हिन्दुस्तान टाईम्स.
  9. Seeking brides, family restores old haveli Archived 2017-12-01 at the वेबैक मशीन, Times of India in INTACH newsletter, 21 Oct 2014.