राष्ट्रों की छाप

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राष्ट्रों की छाप के संख्यात्मक मूल्यांकन (Nation branding) का उद्देश्य देशों की प्रतिष्ठा को मापना, स्थापित करना एवं उसका प्रबन्धन करना है। "डिप्लोमैसी इन ग्लोबलाइजिंग वर्ल्ड : थिअरीज ऐन्द प्रैक्टिसेस" के लेखकों ने 'राष्ट्र की बराण्डिंग' को निम्नलिखित प्रकार से पारिभाषित किया है- “नैगम विपणन (कॉरपोरेट मार्केटिंग) की संकल्पनाओं (कॉन्सेप्ट्स) एवं तकनीकों का उपयोग करते हुए, अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर, किसी देश की प्रतिष्ठा की वृद्धि करना, राष्ट्र की ब्रान्डिंग' कहलाती है। राष्ट्र छाप के मामले में, अक्टूबर २०१९ में, भारत का स्थान सातवाँ था। [1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "दुनिया में बजा 'ब्रैंड इंडिया' का डंका! वर्ल्ड का 7वां सर्वाधिक मूल्यवान देश बना भारत". मूल से 12 अक्तूबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अक्तूबर 2019.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]