राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र
संक्षेपाक्षर | NIC |
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स्थापना | 1976[1] |
मुख्यालय | नई दिल्ली |
स्थान |
|
सेवित क्षेत्र |
भारत |
महानिदेशक |
श्री राजेश गेरा |
पैतृक संगठन |
इलेक्ट्रानिक्स और आईटी विभाग[2] |
स्टाफ़ |
लगभग 6000 |
जालस्थल | आधिकारिक हिन्दी वैबसाइट |
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (National Informatics Centre अथवा NIC) भारत सरकार का सूचना प्रौद्योगिकी में प्रमुख विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान है। इसकी स्थापना 1976 में सरकारी क्षेत्र में बेहतर पद्धतियों, एकीकृत सेवाओं तथा विश्वव्यापी समाधानों को अपनाने वाली ई-सरकार/ई-शासन संबंधी समाधानों को प्रदान करने के लिए स्थापना की गयी थी।
रा.सू.वि.केन्द्र, भारत सरकार में सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) समाधानों के कार्यान्वयन तथा उनके सक्रिय संवर्धन में सबसे आगे है। रा.सू.वि.केन्द्र ने पिछले तीन दशकों से देश-भर में ई-शासन अभियान चलाने के लिए सरकार के प्रयासों में सहायता करने तथा बेहतर व अत्यधिक पारदर्शी शासन प्रदान करने हेतु मजबूत नींव बनाने के लिए नेतृत्व किया है।
परिचय
[संपादित करें]वर्ष 1975 में, भारत सरकार ने सामाजिक विकास तथा आर्थिक संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम कार्यान्वयन तथा नियोजना की सुविधा मुहैया कराने हेतु सरकारी मंत्रालयों तथा विभागों में कम्प्यूटर आधारित निर्णय लेने में सहायक प्रणाली (सूचना-विज्ञान विकास) को शुरु करने के लिए तथा सूचना संसाधनों की उपयोगिता तथा सूचना प्रणालियों के विकास हेतु प्रभावी कदम उठाने के लिए उपयुक्त निर्णय लिये। इसके पश्चात्, केन्द्र सरकार ने 1976 में तथा उसके बाद 4.1 मिलियन यू.एस. डॉलर की संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी) की वित्तीय सहायता से “राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र (एनआईसी)” नामक एक उच्च प्राथमिकता योजना परियोजना तैयार की।
आधारभूत संरचना
[संपादित करें]राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र की सेवाओं में शामिल हैं:
- डिजिटल सरकारी अनुसंधान केंद्र (डीजीआरसी)
- सरकारी स्थानीय क्षेत्र नेटवर्क (LAN)
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग
- राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क (एनकेएन)
- मोबाइल योग्यता केंद्र
- ईमेल और मैसेजिंग
- रिमोट सेंसिंग और जीआईएस
- वेबकास्ट
- डोमेन पंजीकरण
- राष्ट्रीय क्लाउड
- आदेश और नियंत्रण
- निकनेट
- डाटा सेंटर
- सुरक्षा
- ब्लॉक चेन प्रौद्योगिकी
राष्ट्रीय क्लाउड
[संपादित करें]राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र ने मेघराज नाम से जीआई क्लाउड विकसित किया। क्लाउड कम्प्यूटिंग के लाभों का उपयोग और दोहन करने के लिए, भारत सरकार ने एक महत्वाकांक्षी पहल - "जीआई क्लाउड" को शुरू किया है, जिसे 'मेघराज' नाम दिया गया है।[3][4] इस पहल का फोकस सरकार के आईसीटी खर्च को अनुकूलित करते हुए देश में ई-सेवाओं के वितरण में तेजी लाना है। मेघराज क्लाउड विभिन्न प्रकार के सेवा मॉडल पेश करता है जैसे एक सेवा के रूप में प्लेटफ़ॉर्म (PaaS), एक सेवा के रूप में इन्फ्रास्ट्रक्चर (IaaS), एक सेवा के रूप में सॉफ़्टवेयर (Saas)।[5] अप्रैल 2023 में, जियो प्लेटफॉर्म्स ने दिल्ली, पुणे और भुवनेश्वर में राष्ट्रीय डेटा सेंटर में ऑनसाइट रखरखाव के लिए पांच साल के लिए राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) की क्लाउड सेवाओं के प्रबंधन और सुधार के लिए ₹ 350 करोड़ का अनुबंध हासिल किया।[6]
संदर्भ
[संपादित करें]- ↑ "राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केन्द्र-हमारे बारे में". मूल से 9 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जनवरी 2014.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 26 अगस्त 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जनवरी 2014.
- ↑ "Shri Kapil Sibal Launches 'National Cloud' Under 'MeghRaj'".
- ↑ "Kapil Sibal suggests NIC forms cloud service JV with private firms".
- ↑ "Jio Platforms bags Rs 350 crore deal to run National Informatics Centre's cloud services".
- ↑ "Jio Platforms gets Rs 350 crore deal to run NIC's cloud services for 5 yrs".