राम नारायण मल्होत्रा
राम नारायण मल्होत्रा | |
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पद बहाल 4 फरवरी 1985 – 22 दिसम्बर 1990 | |
पूर्वा धिकारी | अमिताभ घोष |
उत्तरा धिकारी | एस. वेंकटरमणन |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
हस्ताक्षर | ![]() |
राम नारायण मल्होत्रा (1926 – 29 अप्रैल, 1997), भारतीय रिज़र्व बैंक के १७वें गवर्नर थे। सन १९९० में भारत सरकार द्वारा प्रशासकीय सेवा के क्षेत्र में इन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। वे[1] आर. एन. मल्होत्रा (1926[2] - 29 अप्रैल 1997[3][4]) के नाम से अधिक प्रसिद्ध थे। वे 4 फरवरी 1985 से 22 दिसंबर 1990 तक कार्यरत थे।[5]
मल्होत्रा भारतीय प्रशासनिक सेवा के सदस्य थे। उन्होंने आरबीआई के गवर्नर के रूप में अपनी नियुक्ति से पहले सचिव, वित्त और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के भारत के कार्यकारी निदेशक के रूप में कार्य किया था। उनके कार्यकाल के दौरान 500 रुपये का नोट पेश किया गया था।[6] उन्होंने 1986 में 50 रुपये के नोट पर हस्ताक्षर किए। 1990 में उन्हें पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1]
उनकी पत्नी अन्ना राजम मल्होत्रा भारतीय प्रशासनिक सेवा की पहली महिला सदस्य थीं।
रामनारायण मल्होत्रा समिति
[संपादित करें]सन १९९३ में बीमा क्षेत्र में सुधारों की सिफारिश करने के लिए सेवानिवृत्त श्री आर. एन. मल्होत्रा की अध्यक्षता में समिति गठित की गई। इस समिति ने बीमा क्षेत्र का अध्ययन करने तथा पक्षकारों की सुनवाई करने के बाद १९९४ में कुछ सुधारों की सिफारिश की जिसमें बीमा उद्योग के ढांचे, नियामकीय इकाई, प्रतिस्पर्धा सहित विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय दी गयी थी। इस समिति की सिफारिश पर ही बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण यानी इरडा का गठन 19 अप्रैल, 2000 को किया गया।
समिति के सुझाव
[संपादित करें]- (१) निजी क्षेत्र की कंपनियों को कम से कम 100 करोड़ रुपये के अग्रिम पूंजी निवेश के साथ बीमा उद्योग में निवेश करने की अनुमति देना।
- (२) विदेशी बीमा कंपनियों को, भारतीय साझेदारों के साथ संयुक्त वेंचर निवेश के माध्यम से भारतीय कंपनियों के साथ काम शुरू करने की अनुमति देना।
- (३) भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का 50% स्वामित्व सरकार को और 50% बड़े पैमाने पर जनता को प्रदान करना, और अपने कर्मचारियों के लिए आरक्षण रखना और समान डिविजनों के साथ एलआईसी और जीआईसी दोनों के लिए 200 करोड़ रुपए तक की पूँजी जुटाना।
- (४) बीमा नियंत्रक कार्यालय को पूरी कार्यप्रणाली के साथ फिर से बहाल करना। बीमा अधिनियम के अनुसार, सभी बीमा प्रदाताओं के साथ समान व्यवहार होना चाहिए व सभी पर समान कानून व नियम लागू होने चाहिए।
- (५) बीमा उद्योग पर सीधे और व्यक्तिगत रूप से नियंत्रण करने के लिए एक स्वायत्त निकाय के रूप में बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण की स्थापना करना। इसके साथ ही यह सुझाव भी दिया गया कि सरकार को इस निकाय को सभी शक्तियां देनी होगी क्योंकि बीमा क्षेत्र में होने वाला निजीकरण प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा, और इस प्रतिस्पर्धा को छूट भी देनी होगी और इस पर लगाम भी लगानी होगी।
इन सुझावों को कई दूसरे सुझावों के साथ लागू किया गया, जिससे भारतीय बीमा के औद्योगिक मानकों में सुधार लाया जा सके। 1999 में आईआरडीए की स्थापना की गई। इन सुधारों को लागू करने में काफी समय लग गया, क्योंकि बीमा कर्मचारियों की राष्ट्रीय संस्था ने इसका कड़ा विरोध किया था।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ "Padma Awards Directory (1954–2014)" (PDF). Ministry of Home Affairs (India). 21 मई 2014. pp. 94–117. Archived from the original (PDF) on 15 नवम्बर 2016. Retrieved 22 मार्च 2016.
- ↑ Service, International Publications (1983-01-01). International Who's Who, 1983-84 (in अंग्रेज़ी). Europa Publications Limited. ISBN 9780905118864.
- ↑ R N Malhotra Press Institute of India, 1997
- ↑ "Archived copy". Archived from the original on 31 December 2003. Retrieved 26 May 2014.
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: CS1 maint: archived copy as title (link) - ↑ "List of Governors". Reserve Bank of India. Archived from the original on 16 सितंबर 2008. Retrieved 2006-12-08.
- ↑ Jain, Manik (2004). 2004 Phila India Paper Money Guide Book. Kolkata: Philatelia. p. 69.