यौन हिंसा

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यौन हिंसा शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डालती है। साथ ही साथ यह शारीरिक चोट का भी कारण बन रही है, इसमें यौन और प्रजनन स्वास्थ्य की समस्याओं के तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों तरह के परिणामों के जोखिम भी जुड़े हुए हैं। यौन हिंसा, दुनिया भर में होता है, हालांकि अधिकांश देशों में इस समस्या पर थोड़ा बहुत अनुसंधान आयोजित किया गया है।

परिभाषा[संपादित करें]

एफबीआई के अनुसार यौन हिंसा जरूरी नहीं की महिला के साथ ही हो इसके अनुसार,हमारे यौन अंगों में बग़ैर हमारी मर्ज़ी के किसी अंग या वस्तु का हल्का प्रवेश भी बलात्कार कहलाता है।[1] कुछ लोगो के विचार से हल्की-फुल्की छेड़छाड़, बदतमीजी, अश्लीलता, छूने की कोशिश, फोन पर अभद्र टिप्पणी या संदेश भी यौन हिंसा की श्रेणी में आते हैं।[2]

महिला यौन हिंसा पर शोध[संपादित करें]

स्रोत: विश्व स्वास्थ्य संगठन, स्वास्थ्य विज्ञान और ऊष्ण कटिबंधीय दवाओं की लंदन संस्था और दक्षिण अफ्रीकी आयुर्विज्ञान शोध परिषद

विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक शोध के अनुसार दुनिया भर में हर तीन में से एक से ज्यादा महिला को शारीरिक या यौन हिंसा का शिकार होना पड़ा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन प्रमुख मार्गरेट चान और सहयोगियों द्वारा निर्मित इस रपट के अनुसार में महिलाओं और लड़कियों के प्रति शारीरिक और मानसिक दुर्व्यवहार के असर को विस्तार से विवरण है।[3]

यौन हिंसा के स्रोत[संपादित करें]

इस रपट के निष्कर्षों के अनुसर:

  • दुनिया भर में 30 प्रतिशत महिलाएं नज़दीकी साथी द्वारा हिंसा दुर्व्यवहार की शिकार होती हैं।
  • कत्ल होने वाली 38 प्रतिशत महिलाओं की हत्या उनके साथियों द्वाराज़्यादा की जाती है।
  • अपने साथी द्वारा शारीरिक या यौन दुर्व्यवहार की शिकार होने वाली 42 प्रतिशत महिलाएं इससे चोटिल हो जाती हैं।
  • किसी गैर के हमले का शिकार होने वाली महिलाओं के अवसाद और व्यग्रता का शिकार होने की आशंका उन महिलाओं के मुकाबले 2.6 फ़ीसदी अधिक होती है जिन्होंने हिंसा का सामना नहीं किया।
  • जिन्हें अपने साथी द्वारा दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है उन्हें ये दिक्कतें होने की आशंका दोगुनी होती है।
  • पीड़ितों को शराबखोरी, गर्भपात, यौन संक्रमित रोग और एचवाईवी होने की आशंका अधिक रहती है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "बदली गई बलात्कार की परिभाषा". बीबीसी हिन्दी. 8 जनवरी 2012 को 01:16 IST. मूल से 22 जून 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जून 2013. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)
  2. रंजना कुमारी, डायरेक्टर, सेंटर फॉर सोशल रिसर्च (05 फ़रवरी 13 को 07:00 PM IST). "आधा अधूरा पर असरदार कानून". हिन्दुस्तान समाचार पत्र. मूल से 26 अप्रैल 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जून 2013. |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  3. "'तीन में से एक महिला होती है यौन हिंसा का शिकार'". बीबीसी हिन्दी. 21 जून 2013 को 02:27 IST. मूल से 25 जून 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 जून 2013. नामालूम प्राचल |source= की उपेक्षा की गयी (मदद); |date= में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद)