याचिका
सरकार या किसी सार्वजनिक संस्था से किसी चीज को बदलने की प्रार्थना को याचिका ((पेटिशन / Petition) कहते हैं। कानून के क्षेत्र में किसी न्यायालय से किसी तरह का अनुतोष या रिलीफ (जैसे, कोई आदेश) की माँग करते हुए की गयी प्रार्थना को याचिका कहते हैं।
परिचय
[संपादित करें]याचिका, अर्जीदावा, अर्जिपत्र अथवा बादपत्र वह प्रपत्र है जिसके द्वारा वादी विवादग्रस्त मामले को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करता है। वाद का सूत्रपात अर्जीदावा द्वारा होता है। अर्जीदावे के तीन प्रमुख अंग हैं-
- (१) शीर्षक,
- (२) मध्य भाग तथा
- (३) अनुतोष (relief)
शीर्षक में क्रमानुसार न्यायालय का नाम, वादसंख्या एवं सन्, तथा वादी एवं प्रतिवादी का नाम, पता आदि विवरण होता है। मध्य भाग में वाद संबंधी मुख्य तथ्यों का संक्षिप्त एवं यथार्थ वर्णन होना चाहिए। विधि तथा साक्ष्य का प्रतिपादन अवांछनीय है। वाद हेतु, मूल्यांकन तथा क्षेत्राधिकार संबंधी तथ्यों का उल्लेख अनिवार्य है। अनुतोष का अर्थ उस सहायता से है जो वादी न्यायालय से चाहता है।