मोहन राणा
मोहन राणा | |
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जन्म |
9 मार्च 1964 दिल्ली, भारत |
जाति | भारतीय |
पेशा | कवि |
मोहन राणा का जन्म 1964 में दिल्ली में हुआ। वे ब्रिटेन में बसे भारतीय मूल के हिंदी कवि हैं और बाथ (इंग्लैंड की समरसेट काउंटी में एक रोमन शहर) में निवासी हैं।[1]}} उनकी कविताओं में जीवन के सूक्ष्म अनुभव महसूस किये जा सकते हैं। बाज़ार संस्कृति की शक्तियों के विरुद्ध उनकी सोच भी कविता में उभरकर सामने आती है।[1] उनकी कविताएँ स्थितियों पर तात्कालिक प्रतिक्रिया मात्र नहीं होती हैं। वे पहले अपने भीतर के कवि और कविता के विषय में एक तटस्थ दूरी पैदा कर लेते हैं। फिर होता है सशक्त भावनाओं का नैसर्गिक विस्फोट। उनकी कविता पढ़कर महसूस होता है कि जैसे वे सच की एक निरंतर खोज यात्रा कर रहे हों।[1][2]
कवि-आलोचक नंदकिशोर आचार्य के अनुसार - हिंदी कविता की नई पीढ़ी में मोहन राणा की कविता अपने उल्लेखनीय वैशिष्टय के कारण अलग से पहचानी जाती रही है, क्योंकि उसे किसी खाते में खतियाना संभव नहीं लगता। यह कविता यदि किसी विचारात्मक खाँचे में नहीं अँटती तो इसका यह अर्थ नहीं लिया जाना चाहिए कि मोहन राणा की कविता विचार से परहेज करती है – बल्कि वह यह जानती है कि कविता में विचार करने और कविता के विचार करने में क्या फर्क है। मोहन राणा के लिए काव्य रचना की प्रक्रिया अपने में एक स्वायत्त विचार प्रक्रिया भी है।[1]
मोहन राणा की चुनी हुई कविताओं के संग्रह 'मुखौटे में दो चेहरे'[3] पर कवि आलोचक गोबिन्द प्रसाद ने लिखा, "मोहन राणा की कविता पढ़ते समय यह अहसास सर उठाने लगता है कि इन कविताओं का आस्वाद वैसा कुछ नहीं है जैसे हम हिन्दी की कविताओं में पढ़ते चलते आए हैं। संरचना, शिल्प-संरचना और भाषिक विन्यास में भी ये कविताएँ बहुत कुछ अलग-सी जान पड़ती हैं। ऐसा लगता है इन कविताओं में ‘लिरिकल एलिमेंट’ का जो पारम्परिक रचाव होता है उसमें निहित अनुभव को एक नये स्थापत्य में ढाल दिया गया है। इस स्थापत्य में बिम्ब को रिप्लेस करके स्मृति और समय के बारीक तारों को छेड़कर एक ऐसा नगमा गूँजता हुआ मालूम होता है जो अपनी स्वप्निलता में एक अगोरत्व को बुनता रहता है। समय की क्रूरता, समाज-संस्थाओं का बिखरता ताना-बाना और व्यापती जा रही अमानुषता और असंवेदनशीलता का सामना करने अथवा रेखांकित करने का कवि का अपना तरीका है।"
प्रकाशित कृतियाँ
[संपादित करें]कविता संग्रह-
'जगह' (1994), जयश्री प्रकाशन
'जैसे जनम कोई दरवाजा' (1997), सारांश प्रकाशन
'सुबह की डाक' (2002), वाणी प्रकाशन
‘इस छोर पर' (2003), वाणी प्रकाशन[4]
'पत्थर हो जाएगी नदी' (2007), सूर्यास्त्र
'धूप के अँधेरे में' (2008), सूर्यास्त्र
‘रेत का पुल’ (2012), अंतिका प्रकाशन
'शेष अनेक' (2016), कॉपर कॉइन पब्लिशिंग प्रा. लि.
'मुखौटे में दो चेहरे[5]' (2022), नयन पब्लिकेशन
'एकांत में रोशनदान'[6] (2023), नयन पब्लिकेशन
अंग्रेजी में अनुवादित कविता संग्रह-
'With Eyes Closed' (द्विभाषी संग्रह, अनुवादक - लूसी रोजेंश्ताइन) 2008
‘Poems’ (द्विभाषी संग्रह, अनुवादक - बर्नार्ड ओ डोनह्यू और लूसी रोज़ेंश्ताइन) 2011
'The Cartographer'[7] (द्विभाषी संग्रह, अनुवादक - बर्नार्ड ओ डोनह्यू और लूसी रोज़ेंश्ताइन) 2020
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अ आ इ ई "Poet Mohan Rana - Poetry Translation Centre". Poetry Translation.org. Archived from the original on 5 अक्तूबर 2013. Retrieved 2011-06-04.
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(help) - ↑ "Mohan Rana". whitechapelgallery.org. 2010-02-04. Archived from the original on 23 मार्च 2012. Retrieved 2012-04-19.
- ↑ Delhi, Raag (2022-07-05). "बारिश के आत्मालाप में - मोहन राणा के कविता संग्रह 'मुखौटे में दो चेहरे' की समीक्षा". Raag Delhi (in ब्रिटिश अंग्रेज़ी). Archived from the original on 11 अप्रैल 2023. Retrieved 2023-04-11.
- ↑ "The Cartographer". Poetry Translation Centre. Archived from the original on 11 अप्रैल 2023. Retrieved 2023-04-11.
- ↑ "POEMS OF MOHAN RANA : मुखौटे में दो चेहरे (कविता चयन) :: मोहन राणा". POEMS OF MOHAN RANA. 2022-05-24. Retrieved 2023-04-11.
- ↑ "मोहन राणा के कविता संग्रह 'एकांत में रोशनदान' की समीक्षा". Archived from the original on 10 दिसंबर 2023. Retrieved 10 दिसंबर 2023.
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(help) - ↑ "The Cartographer". Poetry Translation Centre. Archived from the original on 11 अप्रैल 2023. Retrieved 2023-04-11.