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मोबाइल नम्बर पोर्टेबिलिटी

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मोबाइल नम्बर पोर्टेबिलिटी (एम॰एन॰पी) या मोबाइल अंक सुवाह्यता वह सेवा है जिसके द्वारा उपभोक्ताओं को अपना मोबाइल नम्बर बदले बिना सेवा प्रदाता कम्पनी बदलने की सुविधा मिलती है। भारत में यह सेवा २० जनवरी, २०११ को लागू की गई थी। इससे पूर्व छोटे स्तर पर भारत में यह सेवा सबसे पहले हरियाणा राज्य से आरम्भ हुई।


भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने अपने २३ सितम्बर, २००९ को जारी मसौदे में उन नियमों और विनियमों की घोषणा की जिनका मोबाइल अंक सुवाह्यता के लिए पालन किया जाएगा। भारत सरकार ने ३१ दिसम्बर, २००९ से महानगरों और वर्ग 'ए' सेवा क्षेत्रों के लिए तथा २० मार्च, २०१० को देश के बाकी भागों में एमएनपी लागू करने का निर्णय लिया है।

३१ मार्च, २०१० को यह महानगरों और वर्ग 'ए' सेवा क्षेत्रों में से स्थगित कर दिया गया। बहरहाल, सरकारी कम्पनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल द्वारा बार-बार पैरवी के कारण मोबाइल अंक सुवाह्यता के कार्यान्वयन में बहुत बार देरी हुई है। नवीनतम प्रतिवेदनों ने सुझाया है कि अन्ततः बीएसएनएल और एमटीएनएल ३१ अक्टूबर, २०१० से मोबाइल अंक सुवाह्यता लागू करने के लिए मान गए हैं।[1]

ताजा सरकारी प्रतिवेदन है कि मोबाइल अंक सुवाह्यता को धीरे-धीरे चरणबद्ध किया जाएगा, एमएनपी को १ नवम्बर, २०१० से या उसके तुरन्त बाद हरियाणा से आरम्भ किया जायेगा।[2]

सुविधाएँ

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इस सेवा के अन्तर्गत प्रदान की जाने वाली सुविधाएँ इस प्रकार हैं:

  • भारत में उपस्थित किसी भी मोबाइल नम्बर के सेवा प्रदाता कम्पनी को वांछित क्षेत्र में कार्यरत किसी अन्य सेवा प्रदाता कम्पनी के साथ बदला जा सकता है।
  • इस सुविधा के द्वारा सी॰डी॰एम॰ए नम्बर भी दूसरी कम्पनी के जी॰एस॰एम में बदला जा सकेगा।
  • उपभोक्ता ९० दिनों के अन्तराल पर कितनी भी बार सेवा प्रदाता कम्पनी में बदलाव कर सकता है।

उपयोग विधि

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इस सुविधा का उपयोग करने के लिए अपनाई जाने वाली चरणबद्ध प्रक्रिया इस प्रकार है:

  • सबसे पहले अपने मोबाइल फोन से मैसेज बॉक्स में पी॰ओ॰आर॰टी (PORT) स्पेस अपना १० अंको का मोबाइल नम्बर लिखकर १९०० पर मैसेज करना होगा।
  • एस॰एम॰एस भेजते ही ग्राहकों को आठ अंकों का यूनिक पोर्टिग कोड (यू॰पी॰सी) प्राप्त हो जाएगा।
  • इस कोड को एक निर्धारित फॉर्मेट (एम॰एन॰पी) के साथ उपभोक्ता को कम्पनी के सेवाकेन्द्र पर अपने एक छायाचित्र (फ़ोटो) और पता प्रमाण के साथ जमा करना होगा।
  • कागजी दस्तावेज पूरा करने के बाद नई कम्पनी उपभोक्ता को नया सिम देगी। इससे पहले यह भी तय किया जाएगा कि ग्राहक पर पुरानी कम्पनी की कोई बकाया राशि तो नहीं है।
  • इस सुविधा के लिए उपभोक्ता को १९ रुपये देने होंगें जो उसके मोबाइल में जमा राशी से काट लिए जाएँगें। इसकी जानकारी के साथ ही कम्पनी इस प्रक्रिया में लगने वाले समय की भी सूचना देगी। अब तक यह पहले से निर्धारित नहीं है कि प्रक्रिया पूरी होने में कितना समय लगेगा, लेकिन कम्पनियों का दावा है कि तीन दिन में प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
  • कम्पनियाँ पुराने नम्बर पर ही उपभोक्ता को नेटवर्क बदलाव का सन्देश पहुँचाएगी।
  • सन्देश मिलने के बाद न्या सिम लगाना होगा। इसके साथ ही मोबाइल सेवा प्रदाता कम्पनी बदल जाएगी।

सेवा प्रदाता कम्पनियों के हितों के संरक्षण के लिए ट्राइ द्वारा इस सेवा की कुछ सीमाएँ भी तय कर दी गई हैं:

  • पुरानी कम्पनी की शेष धनराशि पुराने उपभोक्ता द्वारा मोबाइल नम्बर बदलने पर आगे नहीं जाएगी। यानी पहले की बची हुई राशी नई कम्पनी की सेवा आरम्भ होते ही समाप्त हो जाएगी।
  • उपभोक्ताओं पर पुरानी कम्पनी का पिछला कुछ बकाया होने के बावजूद यदि कम्पनी बदल भी ली गई तो बकाया ९० दिन में जमा करना होगा। वरना नई कम्पनी नम्बर बन्द कर देगी।
  • किसी कम्पनी की सेवाएँ कम से कम ९० दिनों तक लेने के बाद ही उपभोक्ता कम्पनी बदलने का अनुरोध कर सकते हैं।

सन्दर्भ

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  1. "Mobile Number Portability in India by Oct 31". www.telecomtalk.info. मूल से 18 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-08-21.
  2. "Mobile Number Portability in India to be phased in from 1 नवम्बर 2010". www.mobilenumberporting.in. मूल से 20 अक्तूबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2010-10-27.

बाहरी कड़ियाँ

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