मैं अमर शहीदों का चारण

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मैं अमर शहीदों का चारण हिंदी भाषा की एक लोकप्रिय कविता है। इसके रचेता श्रीकृष्ण सरल (1919-2000) हैं।[1] सरल स्वयं को 'शहीदों का चारण' कहते हैं, मध्ययुगीन युग के चारणों के समानांतर जो अपने काव्य से युद्ध के मैदान में सैनिकों को प्राचीन योद्धाओं का स्मरण कराके उनकी तरह वीरता से लड़ने को प्रेरित करते। कविता का विषय देश की आजादी के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीरों के बलिदान को याद करना और उन्हें संजोना है। [2]

कविता के कुछ छंद और टेक[संपादित करें]

कविता का प्रत्येक छंद एक ही पंक्ति वाले दोहे के साथ समाप्त होता है: मैं अमर शहीदों का चारण उनके यश गाया करता हूँ। सरल भाषा का प्रयोग करते हुए श्रीकृष्ण सरल ने अपनी कृति में भारत के क्रांतिकारियों, स्वतंत्रता आंदोलन और देशभक्ति की भावना को व्यक्त किया और देश की नई पीढ़ी को स्वतंत्रता संग्राम और इससे जुड़े शहीदों के गुण याद दिलाए। [3] [4]

हिन्दी टिप्पणी

मैं अमर शहीदों का चारण

उनके गुण गाया करता हूँ

जो कर्ज राष्ट्र ने खाया है,

मैं उसे चुकाया करता हूँ।

कवि कहते है कि मैं उन लोगों के कीर्ति का गायन करनेवाला हूँ जिन्होंने देश के लिए प्राणों को बलिदान कर दिया

मैं उनका यश गान करता हूँ।

चूंकि भारत उनके बलिदान की कीमत पर स्वतंत्र हुआ है इसलिए यह उनका ऋणी है,और मैं उस ऋण को शहीदों का यश गान करके चुकाता हूँ।

संदर्भ[संपादित करें]

  1. सरल, श्रीकृष्ण (2005). महावली: आधुनिक संदर्भ में पवन-पुत्र पर प्रेरक महाकाव्य. सत्काल. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-87859-50-5.
  2. Chaitanya, Dr Bhagwanswaroop (2022-07-23). Sahity Ki Diary. Booksclinic Publishing. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5535-137-1.
  3. Śrīśaraṇa; Rastogī, Āloka Kumāra (1988). Hindī sāhitya kā itihāsa. Prema Prakāśana Mandira.
  4. "हिंदी कक्षा 5 पाठ 1 मैं अमर शहीदों का चारण – श्रीकृष्ण सरल/ MAIN AMAR SHAHIDON KA CHARAN". अभिगमन तिथि 2022-09-01.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]