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मध्यावयवता (जीवविज्ञान)

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केंचुओं में मध्यावयवता स्पष्ट रूप से दिखती है क्योंकि इनमें दोहराते हुए - लेकिन ज़रा भिन्न - खंड होते हैं

मध्यावयवता या मेटामरिज़म (metamerism) कुछ जीवों की शारीरिक योजना में शारीरिक खंडों की एक लम्बाई से सुसज्जित शृंखला को कहते हैं। यह खंड एक-दूसरे से मिलते हैं लेकिन बिलकुल एक-जैसे नहीं होते क्योंकि उनमें से कुछ के विशेष कार्य होते हैं। प्राणियों में इन मध्यावय खंडों को सोमाइट (somites), मध्यावयवी या मेटामर (metameres) कहा जाता है। वनस्पतियों में इन्हें मेटामेर या फ़ाइटोमर (phytomers) कहते हैं।[1][2][3]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Shull, Franklin; George Roger Larue; Alexander Grant Ruthven (1920). Principles of Animal Biology. McGraw-Hill book company. पृ॰ 108.
  2. DiDio, L.J.A. (1989). Anatomico-surgical segmentation as a principle of construction of the human body and its clinical applications. Anat. Anz. (Suppl.) 164:737–743.
  3. Arber, A. 1930. Root and shoot in the angiosperms: a study of morphological categories. New Phytologist 29(5):297–315.