मधु (राजा)

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महाराजा मधु वैदिक काल के यादव सम्राट व मथुरा नगरी के संस्थापक थे।[1] पौराणिक कथाओं के अनुसार मधु का जन्म राजा यदु के वंश में हुआ था।[2] और इनके पिता का नाम राजा देवक्षत्र था।[3] मधु के वंश में जन्म लेने के कारण ही श्रीकृष्ण को 'माधव' कहा जाता हैं।[4][5][6]

मधु
हिंदू पौराणिक कथाओं के पात्र
नाम:मधु
अन्य नाम:मथुरापति
संदर्भ ग्रंथ:महाभारत, विष्णु पुराण तथा अन्य कुछ पुराण
जन्म स्थल:मथुरा
व्यवसाय:क्षत्रिय
मुख्य शस्त्र:धनुष-बाण तथा गदा
राजवंश:यदुवंश
माता-पिता:राजा देवक्षत्र (पिता)
भाई-बहन:जयध्वज, उर्जित, वृषभ तथा अन्य
जीवनसाथी:पता नही
संतान:पुरुवासा तथा 99 अन्य (इनके वंसज को 'मधु यादव' या 'माधव' कहा गया)


महाराजा मधु के शासन काल में यदुवंशी बहुत शक्तिशाली हो गए थे और इनका राज्य दक्षिण-पश्चिमी गुजरात से उत्तर में यमुना नदी के घाटी तक फैला हुआ था, इनके वंसज को 'मधु यादव' या 'माधव' कहा जाता हैं।[7][8] यादवराज मधु ने ही मधुपुरी या मथुरा का स्थापना किया था, जो महाभारत काल तक यादवों का राजधानी रहा।[9]

संदर्भ[संपादित करें]

  1. Majumdar, R. C. (2002). Praacheen Bhaarat. Motilal Banarsidass Publishe. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-2258-0.
  2. Vinay, Dr (2018-03-21). Vishnu Puran: विष्णु पुराण. Diamond Pocket Books Pvt Ltd. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-93-5278-909-2.
  3. The Visnu Purana: Ancient Annals of the God with Lotus Eyes (अंग्रेज़ी में). ANU Press. 2021-06-23. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-76046-441-7.
  4. Mittal, J. P. (2006). History Of Ancient India (a New Version) : From 7300 Bb To 4250 Bc, (अंग्रेज़ी में). Atlantic Publishers & Dist. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-269-0615-4.
  5. Sharma, Premlata (1976). Ekalingmahatmya Eklingam Mandir Ka Sthalpuran Va Mewaar Ke Rajvansh Ka Itihaas. Motilal Banarsidass Publishe. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-208-2244-3.
  6. Feuerstein, Georg (2011). The Bhagavad-Gita: A New Translation (अंग्रेज़ी में). Shambhala Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-1-59030-893-6.
  7. Bhāṭī, Hari Siṃha (1998). Gazanī se Jaisalamera. Harisiṃha Bhāṭī.
  8. Jaina, Hīrālāla (2000). Yuga-yugāntaroṃ meṃ Jaina dharma. Jñānabhāratī Pablikeśansa.
  9. Brahmācārī, Ke (1990). Sūrasāgara aura Śrīmadāndhramahābhāgavata: tulanātmaka adhyayana. Parmeśvarī Prakāśana.