भारत उदय

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भारत उदय जिसे आम तौर से इंडिया शाइनिंग या शाइनिंग इंडिया कहा जा रहा था, वास्तव में 2004 के राजनीतिक नारे रहे हैं, जिनका उपयोग भारत की सत्तारूढ़ पार्टी, भाजपा, अपने राष्ट्रीय चुनाव जीतने के लिए कर रही थी। उस समय उसी पार्टी के प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी दोबारा चुनाव जीतने की कोशिश कर रहे थे और राजनीतिक विश्लेषकों द्वारा सुझाए गए इस नारे को जनता के बीच एक रुझान बनाने के रूप में काम करने वाला माना गया था। सरल भाषा में इस नारे का मतलब चमकता हुआ भारत है , हालांकि इस शब्दावली का इस्तेमाल शायद विकल्प के रूप में नहीं किया गया था। नारे का परिणाम यह रहा है कि इस नारे का लोगों के बीच कोई खास असर नहीं हुआ और कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियां सत्ता में आ गईं और बीजेपी को सत्ता गंवानी पड़ी थी।

खेद[संपादित करें]

भाजपा और आरएसएस में कई लोग कहते हैं कि हमें वास्तव में इस बात का अंदाजा नहीं था कि मतदाता इंडिया शाइनिंग की बात को इस तरह खारिज कर देंगे। [1] चुनाव नतीजों पर टिप्पणी करते हुए तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि यद्यपि चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, फिर भी उन्होंने कहा कि 'इंडिया शाइनिंग' और 'फील गुड' या 'खुशनुम एहसास' जैसे नारे असल में भारतीय जनता पार्टी को नुकसान पहुंचाते हुए पाए गए हैं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि उनकी पार्टी भारत के गरीबों को यह समझाने में विफल रही कि हर क्षेत्र और हर वर्ग के समान विकास के लिए पांच साल पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने कहा कि ये नतीजे उनकी पार्टी के लिए अप्रत्याशित थे और यह कहना गलत नहीं होगा कि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को भी इन नतीजों की उम्मीद नहीं थी। [2]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]